देश की शिक्षण और संस्कृति से जुड़ी संस्थाओं पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की लॉबी हावी होती दिखाई दे रही है। संस्थाओं के प्रमुखों की नियुक्तियों पर संघ की छाप नजर आने लगी है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भाजपा संघ के करीबियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रही है। केंद्र सरकार ने हाल ही में आईआईएमसी के महानिदेशक पद और प्रसार भारती के पहले भर्ती के बोर्ड प्रमुख पद पर संघ समर्थित लोगों को बैठाया है। वहीं, संस्कृति मंत्रालय की प्रमुख संस्थाएं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, ललित कला अकादमी और सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र के प्रमुख पदों पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की सिफारिश के लोग बैठाए गए हैं। इस मामले में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने संघ के लोगों को शिक्षण व संस्कृति केंद्रों के अहम पदों पर बिठाए जाने की बात को न तो स्वीकार किया न अस्वीकार किया।
संघ विचारक शेषाद्रि चारी कहते हैं कि इस तरह के आरोप पूरी तरह से गलत हैं। कला और संस्कृति से जुड़ी सरकारी संस्थानों में नियुक्ति पूरी योग्यता के आधार पर की गई है न कि किसी संस्था की सदस्यता के आधार पर। अगर वे लोग कोई गलत काम कर रहे हैं या संस्था के अहित में काम कर रहे तो उन पर आरोप लगाया जा सकता है’। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा- 'कला और शिक्षा के क्षेत्र की जो संस्थाएं हैं इनमें मैरिट के आधार पर लोगों की नियुक्ति होनी चाहिए। जो व्यक्ति इन संस्थाओं पर काबिज है, क्या वह इन पदों के योग्य हैं। अगर वे अयोग्य होंगे तो स्वाभाविक है वे रिमोट कंट्रोल से चलेंगे। यह सभी जानते हैं कि भाजपा और इन संस्थाओं का रिमोर्ट कंट्रोल नागपुर में है।’ हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रसार भारती का पहला भर्ती बोर्ड स्थापित किया है। केंद्र सरकार ने भारत प्रकाशन के निदेशक जगदीश उपासने को इस भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने जगदीश उपासने को राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का कुलपति भी नियुक्त किया था। लेकिन जैसे ही राज्य की सत्ता पर कमलनाथ सरकार काबिज हुई उन्हें अपना इस्तीफा देना पड़ा। जगदीश उपासने संघ द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य के संपादक भी रह चुके हैं।
कुछ दिनों पूर्व ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत स्वायत संस्था इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन यानी आईआईएमसी का महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी को नियुक्त किया है। इनका कार्यकाल तीन साल का रहेगा। द्विवेदी कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे। प्रोफेसर द्विवेदी शिक्षण के क्षेत्र में आने से पहले सक्रिय पत्रकारिता करते थे। प्रोफेसर द्विवेदी अखिल विद्यार्थी परिषद् से जुड़े रहे हैं। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी हुई नहीं है। मार्च 2020 में राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें पत्रकारिता विवि का रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया था। कुछ दिन बाद ही उन्हें विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलपति नियुक्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में सदस्य सचिव के पद पर डॉ. सच्चिदानंद जोशी पदस्थ हैं। इसके साथ ही वे भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बनी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की कमेटी में डॉ. जोशी को सदस्य भी बनाया गया है। आईजीएनसीए में निदेशक (प्रशासन) के पद पर ले.क. (सेवानिवृत्त) आर.ए. रांगणेकर मराठी होने की वजह से ये यहां पदस्थ किए गए हैं। डॉ. हेमलता एस मोहन को सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र का अध्यक्ष (सीसीआरटी) बनाया गया है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की सहयोगी संस्था संस्कार भारती के हस्तक्षेप के बाद इनकी नियुक्ति की गई है। झारखंड की रहने वाली डॉ. हेमलता एस मोहन पूर्व में झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकीं हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षाविद् डॉ. हेमलता सूचना प्रसारण मंत्रालय के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, पूर्वी क्षेत्र, कोलकाता के सलाहकार पैनल की सदस्य भी रह चुकीं हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे विदेश मंत्रालय की भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष भी हैं। इसके पूर्व प्रोफेसर लोकेश चंद्रा इस पद 2014 से 2017 तक काबिज थे। चंद्रा के पूर्व कांग्रेस नेता डॉ. करण सिंह 2005 से 2014 तक इस पद पर थे। सहस्त्रबुद्धे फिलहाल मध्यप्रदेश के भाजपा के प्रभारी और राज्यसभा सांसद भी हैं। एक मराठी होने के चलते संघ के मराठी नेताओं के विश्वासपात्र भी हैं।
संस्कार भारती का संस्कृति मंत्रालय पर पूरा हस्तक्षेप
राष्ट्रीय स्वंय संघ की सहयोगी संस्था संस्कार भारती का संस्कृति मंत्रालय से जुड़े न्यासों, विभागों और कला अकादमी की नियुक्ति में पूरा दखल होता है। संस्कार भारती की स्थापना ललित कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना लाने के उद्देश्य सामने रखकर की गई है। समाज के वर्गों में कला के जरिए राष्ट्रभक्ति एवं योग्य संस्कार जगाने, विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण व नए कलाकारों को प्रोत्साहन देकर इनके माध्यम से 'सांस्कृतिक प्रदूषण’ रोकने के उद्देश्य से संस्कार भारती कार्य कर रही है। इनमें राष्ट्रीय गीत प्रतियोगिता, राष्ट्रभावना जगाने वाले नुक्कड़ नाटक, नृत्य, चित्रकला, काव्य-यात्रा, स्थान-स्थान पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आदि कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भारती द्वारा किया जाता है।
- सुनील सिंह