यह कैसी नीति?
04-Feb-2020 12:00 AM 967

मप्र में सरकार ने इस समय माफिया के खिलाफ अभियान चला रखा है। माफिया चाहे किसी भी प्रकार का हो, मुख्यमंत्री का साफ निर्देश है कि उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। इसलिए भू-माफिया, ड्रग माफिया, कॉस्मेटिक माफिया के साथ ही तेजाब रखने वालों के खिलाफ भी प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। लेकिन दूसरी तरफ विडंबना यह है कि सरकार ने शराब की उपदुकानें खोलने की अनुमति दे डाली है। मप्र में सबसे अधिक महिला अपराध होता है। इसके लिए शराब को सबसे बड़ा कारण बताया जाता है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अपने शासनकाल के अंतिम वर्षों में शराब की नई दुकानों के खुलने पर प्रतिबंध लगा रखा था। अब जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया है तो कर्ज में डूबे प्रदेश को उबारने के लिए सरकार शराब से राजस्व कमाने की कवायद में जुट गई है। शराब के जरिए राजस्व भरने की कवायद में जुटी सरकार अब वित्तीय वर्ष के बचे 2 माह के लिए भी उपदुकानें खोलने को मंजूरी देने जा रही है। सरकार ने कहा है कि ठेकेदार चाहें तो चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले फरवरी और मार्च दो महीने के लिए शराब की उप दुकानें खोल सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें सालभर के लिए निर्धारित अतिरिक्त शुल्क जमा करना होगा। उपदुकान खोलने की अनुमति संबंधित जिले के कलेक्टर देंगे। दरअसल, सरकार ने हाल में आबकारी नीति में बदलाव किया है। इसके तहत शराब लायसेंसी को उपदुकान खोलने की अनुमति दी जाएगी। शहरी क्षेत्र में 5 किलोमीटर की परिधि में शराब की दुकान नहीं होने पर जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिधि में शराब दुकान नहीं होने पर उप दुकान खोलने की मंजूरी दी जाएगी। उप दुकान खोलने के लिए सालाना शराब ठेके के अतिरिक्त राशि देना होगी। शराब दुकान के लाइसेंस शुल्क के आधार पर उप दुकानों के अतिरिक्त शुल्क का स्लैब तैयार किया गया है। सवाल यह उठता है कि सरकार की यह कैसी नीति है कि एक तरफ तो प्रदेश को माफिया मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है और दूसरी तरफ शराब की उप दुकानें खोली जा रही हैं। दरअसल, वर्तमान समय में मप्र करीब पौने दो लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है। वहीं केंद्र की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार राजस्व, परिवहन और आबकारी विभाग के माध्यम से अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करने की कोशिश में लगी हुई है। इसी कड़ी में प्रदेशभर में शराब की उपदुकानें खोलने की तैयारी की जा रही है। आबकारी विभाग के सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जिस तरह से शराब की उप दुकानें खोलने के लिए दूरी की शर्त तय की है, उससे प्रदेश में करीब 500 उप दुकानें खुलने का अनुमान है। इसमें देसी और विदेशी शराब की उप दुकानें शामिल हैं। इससे सरकार को सालभर में करीब 1500 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने के आसार हैं। 2 करोड़ रुपए तक की शराब दुकान संचालक को उप दुकान खोलने 15 प्रतिशत अतिरिक्त राशि देना होगी। दो करोड़ से 5 करोड़ रुपए मूल्य की दुकान के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि देनी पड़ेगी। 5 करोड़ रुपए से अधिक की शराब दुकान संचालक को उप दुकान खोलने 5 प्रतिशत अतिरिक्त राशि देना होगी। किसी मुख्य शराब दुकान के लिए एक या एक से अधिक उप दुकानें भी स्वीकृत की जा सकेंगी। प्रदेश सरकार की जो नई आबकारी नीति बनने जा रही है उसके मुताबिक शराब की दुकानें अलग-अलग नीलाम करने के बजाय ठेकेदारों के समूहों को एक या दो जिलों की सभी दुकानें देने की तैयारी है। इतना ही नहीं, एक साल का लाइसेंस देने और अगले साल टेंडर करने की व्यवस्था को भी बदलकर दो साल का लाइसेंस दिया जा सकता है। आबकारी विभाग के आला अधिकारियों के साथ शराब कारोबारियों की चर्चा हो चुकी है। बताया जा रहा है कि कारोबारियों की मंशा के अनुरूप इस तरह के बदलाव की तैयारी है। 16 साल पहले दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते शराब का कारोबार समूहों के ही हाथ में था। इसके बाद भाजपा के सत्ता में आने पर यह नीति बदल दी गई थी। इससे 2003-04 तक 750 करोड़ तक का सालाना रेवेन्यू सीधे 200 करोड़ रुपए बढ़ गया। 2019-20 में 11 हजार 500 करोड़ हो गया। लंबे समय से शराब कारोबारियों का लाइसेंस नवीनीकरण ही किया जाता रहा। दस साल में आखिरी बार नीलामी 2015-16 में हुई। अब वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए नीलामी प्रस्तावित है। आबकारी विभाग को उम्मीद है कि इससे राजस्व बढ़ जाएगा। वर्ष 2018-19 में करीब 9000 करोड़ रेवेन्यू था, जिसे 2019-20 में बढ़ाकर 11500 करोड़ रुपए कर दिया गया। अब इस लक्ष्य से भी आगे बढऩा है। फिर गुटखे पर प्रतिबंध क्यों? सरकार एक तरफ प्रदेश में शराब की उपदुकानें खोलने की अनुमति देने जा रही है वहीं दूसरी तरफ उसने गुटखे पर आंखें तरेरी हैं। सवाल उठता है कि आखिर सरकार की यह कैसी नीति है? जानकारों का कहना है कि शराब गुटखे से अधिक घातक होती है। प्रदेश में बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं शराब के नशे के कारण होती हैं। जबकि गुटखा खाने से कोई भी ऐसी घटना होने की संभावना नहीं रहती है। फिर भी सरकार शराब की दुकानें खुलवाने जा रही है। सरकार के इस कदम को भाजपा के साथ ही सामाजिक संगठनों ने गलत बताया। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि सरकार के इस कदम का हम हर कदम पर विरोध करेंगे। वह कहते हैं कि सरकार प्रदेश में दिखावे के लिए माफिया के खिलाफ अभियान चला रही है। वह सरकार से सवाल पूछते हैं कि क्या शराब की दुकानें खुलने से प्रदेश में अपराध बढ़ेगा नहीं? - नवीन रघुवंशी

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