04-Feb-2020 12:00 AM
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देश में वन भूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण मध्यप्रदेश में हो रहा है। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार अब तक मप्र में करीब 5,347 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है। जबकि दूसरे नंबर पर असम और तीसरे नंबर पर उड़ीसा का नाम है। मध्य प्रदेश में वन विभाग के संरक्षण शाखा की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में प्रति वर्ष साढ़े 700 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर खेती और आवास बनाने के नाम पर अतिक्रमण हो रहा है। रिपोर्ट में ये बात भी स्वीकार की गई है कि वन भूमि से अतिक्रमण हटाने में मात्र 20 फीसदी ही सफलता मिल पाती है। इसकी मुख्य वजह वोट बैंक की राजनीति मानी जा रही है। रिपोर्ट में पिछले तीन साल के अतिक्रमण आंकड़ों का हवाला देकर कहा गया है कि 13209 हेक्टेयर में अतिक्रमण हुआ। जबकि मात्र 1039 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराने में वन महकमा सफल हो पाया। प्रदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। इसे हटाने में प्रति वर्ष करीब 50 वन सुरक्षाकर्मी घायल होते हैं। कुछ घटनाएं ऐसी भी सामने आई हैं जिनमें सुरक्षाकर्मियों को अतिक्रमण मुहिम में जान से हाथ धोना पड़ा है। प्रदेश में करीब पांच माह पहले खंडवा जिले के गुड़ी वन परिक्षेत्र के आमाखुजरी में अतिक्रमण हटाने गए रेंजर सहित अन्य वन कर्मी और पुलिस कर्मियों को अतिक्रमणकारियों ने हमला कर घायल कर दिया था। इस मामले में राजनीतिक दबाव के चलते उल्टे वन कर्मियों पर ही सरकार ने प्रकरण दर्ज करा दिया। इसके बाद डीएफओ सहित कई अधिकारियों को सजा के तौर पर स्थानांतरण कर दिया गया। इससे वन विभाग के अधिकारियों को झटका लगा है, हालांकि इस मामले की न्यायिक जांच चल रही है। सूत्रों का कहना है कि अगले माह रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। जंगल माफिया गर्मी के मौसम में पहले पेड़ों की अवैध हटाई करते हैं और बारिश के दौरान उसे खेत के रूप में तब्दील कर देते हैं। वन विभाग के अवैध कटाई की रिपोर्ट को देखा जाए तो पेड़ों की अवैध कटाई सबसे ज्यादा मामले दिसंबर से मई के बीच दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह अतिक्रमण के मामले मानसून सीजन (जून से लेकर सितंबर) में होते हैं। वन मंत्री उमंग सिंघार के इंदौर परिक्षेत्र में एक साल 8 गुना अतिक्रमण हुआ है। इसके पहले इंदौर परिक्षेत्र में 2017 में 23 और 2018 में 25 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हुआ था। वर्ष 2019 में 492 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण हुआ। वन मंत्री अपने क्षेत्र से मात्र 9 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवा पाए हैं। इसके अलावा अतिक्रमण के मामले में खंडवा, शिवपुरी, छतरपुर और शहड़ोल सर्किल सबसे आगे हैं। इन सर्किलों में वन भूमि पर हर साल करीब 300 से लेकर एक हजार हेक्टेयर तक अतिक्रमण होता है। छतरपुर जिले में वर्ष 2017 में 5992 हेक्टेयर में अतिक्रमण किया गया, जिसमें से मात्र 22 हेक्टेयर क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया गया है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन विभाग आलोक कुमार कहते हैं कि प्रदेश में वन भूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण मालवा, चंबल और शहडोल क्षेत्र में होता है। अतिक्रमण पुलिस और प्रशासन के साथ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रति वर्ष की जाती है। कई जगह पर अतिक्रमण हटाने के बाद लोग फिर से कर लेते हैं। प्रदेश में वन भूमि 95 हजार वर्ग किलोमीटर है। प्रति वर्ष खर्च होता है 2600 करोड़ वन विभाग वनों की सुरक्षा और विकास के नाम पर प्रति वर्ष विभाग 2600 करोड़ रुपए प्रति वर्ष खर्च करता है। इसके अलावा ग्रन इंडिया मिशन, कैंपा सहित अन्य मदों से विभाग को करोड़ों रुपए प्रति वर्ष दिया जाता है। इसके बाद भी वनों की सुरक्षा पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। अतिक्रमण, अवैध कटाई और उत्खनन के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं। - धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया