मप्र में मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार विकास के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन केंद्र सरकार के साथ ही भाजपा के सांसद और विधायक प्रदेश के विकास में भी राजनीति कर रहे हैं। इस कारण प्रदेश में सरकार की मंशानुसार विकास नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि सांसदों-विधायकों के पास करोड़ों रुपए का फंड पड़ा है, लेकिन वे विकास कार्यों की अनुशंसा नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि वर्तमान समय में मप्र पर करीब 2,26,000 करोड़ का कर्ज है। वहीं केंद्र सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैए, केंद्रीय करों में कटौती और केंद्र से मिलने वाले फंड को रोके जाने से कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। लेकिन इस विकट स्थिति में भी मप्र के भाजपा सांसद और विधायक अपनी निधि विकास कार्यों के लिए जारी नहीं कर रहे हैं। जबकि वित्तीय वर्ष 2019-2020 समाप्त होने में 60 दिन शेष है, लेकिन भाजपा के अधिकांश सांसद और विधायक अपनी निधि खर्च नहीं कर पाए हैं। इस कारण सांसद निधि के 69.58 करोड़ और विधायक निधि के 223 करोड़ रुपए बचे हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के 29 लोकसभा सांसदों को अभी तक 82.50 करोड़ रुपए की निधि मिली है। जिसमें से वे मात्र 12.92 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाए हैं। वहीं 230 विधायकों को विकास कार्यों के लिए चालू वित्त वर्ष में 425 करोड़ रुपए की निधि मिली है। जिसमें से अभी तक सिर्फ 202 करोड़ रुपए ही विकास कार्यों के लिए मंजूर किए गए हैं। प्रदेश के 29 लोकसभा सांसदों में से भाजपा के 19 सांसदों ने सांसद निधि से कोई भी राशि खर्च नहीं की है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 29 लोकसभा सांसदों में से 28 भाजपा के और एक सांसद कांग्रेस का है। भाजपा के 28 में से 18 सांसदों ने अब तक अपनी सांसद निधि का कोई भी इस्तेमाल नहीं किया है। जबकि पूर्व में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो भाजपा सांसदों में निधि खर्च करने की होड़ मची रहती थी।
सांसदों को 31 मार्च तक मिले हुए फंड का 80 फीसदी हिस्सा यानी दो करोड़ रुपए खर्च करने होंगे तभी उनको 2.5 करोड़ की अगली किश्त मिलेगी। सांसदों को एक साल में सांसद निधि के रूप में 5 करोड़ रुपए मिलते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस निधि को खर्च करने में सांसदों को एक बड़ी दिक्कत पेश आती है। वो सिर्फ काम कराने की सिफारिश करते हैं उस काम के क्रियान्वयन की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है, इसलिए काम सरकारी सिस्टम के हिसाब से ही होता है।
भाजपा के बचे 10 सांसदों ने बहुत थोड़ी राशि का इस्तेमाल किया है। भाजपा के जिन सांसदों ने अभी तक अपनी सांसद निधि का इस्तेमाल किया है उनमें दमोह सांसद प्रहलाद पटेल ने 81 लाख, भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 1.99 करोड़, रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा 1.95 करोड़, बालाघाट सांसद ढाल सिंह बिसेन ने 6 लाख, छतर सिंह दरबार ने 1.53 करोड़, गुना सांसद केपी सिंह यादव ने 1.78 करोड़, बैतूल सांसद दुर्गादास उइके ने 12 लाख, सतना सांसद गणेश सिंह ने 81 हजार, देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी ने 5 लाख और उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने 1.61 करोड़ रुपए खर्च किया है। वहीं प्रदेश के 29 सांसदों में से कांग्रेस के एकमात्र सांसद नकुलनाथ अपनी निधि खर्च करने में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने अपनी 5 करोड़ की सांसद निधि में से 2.42 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए किया है।
सूबे की सियासत में इन दिनों भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। भाजपाईयों के लगातार कांग्रेस सरकार पर हो रहे हमलों के बाद अब कांग्रेस ने भाजपा के चुने हुए सांसदों को घेरने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस अब प्रदेश के विकास में भाजपा के चुने हुए 28 सांसदों के सहयोग नहीं करने को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के सांसदों ने न तो आपदा के लिए केंद्र से राशि दिलाने में कोई सहयोग किया और न ही सांसद निधि का इस्तेमाल विकास के लिए कर रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सांसद सिर्फ बयानों के जरिए चर्चा में है। और सांसद निधि खर्च नहीं कर विकास में रोड़ा बन रहे हैं और कांग्रेस अब ये बात जनता को बताना चाहती है। कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने कहा है कि भाजपा सांसद डिक्टेरशिप से बाहर आकर जनसेवक नहीं बन पा रहे हैं। जनता अब अहसास कर रही है कि उनसे भूल हुई है।
सांसदों की राह पर विधायक भी
प्रदेश के भाजपा सांसदों की तरह भाजपा विधायकों ने भी अपनी निधि रोक कर रखी है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के 230 विधायकों को विकास कार्यों के लिए अब तक 425 करोड़ रुपए की राशि मिली है, लेकिन उसमें से सिर्फ 202 करोड़ रुपए ही विकास कार्यों के लिए मंजूर किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि वर्तमान में भाजपा के 107 विधायकों में से आधे ने अपनी निधि से विकास कार्य मंजूर नहीं कर पाए हैं। प्रदेश में एक विधायक को हर साल विधायक निधि में एक करोड़ 85 लाख रुपए विधायक निधि के रूप में खर्च करने के लिए मिलते हैं। इसके अलावा 15 लाख रुपए स्वेच्छानुदान के रूप में दिए जाते हैं जिसे विधायक अपने परिचितों, गरीबों की मदद या अन्य कार्यों में बांटते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 समाप्ति की ओर है, लेकिन विधायकों ने निधि की राशि विकास कार्यों के लिए मंजूर करने में रूचि नहीं दिखाई है। इन विधायकों को अपने क्षेत्र में सडक़, बिजली, पानी की मूलभूत सुविधाओं के साथ ग्रामों, कस्बों में सामुदायिक भवन, स्कूल भवन, कॉलेज, मंगल भवन समेत अन्य सार्वजनिक प्रयोजन के विकास कार्यों के लिए विधायक निधि से राशि स्वीकृत करने का अधिकार है।
- कुमार विनोद