मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आत्मनिर्भर मप्र अभियान को प्रदेश के गांव संबल दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि प्रदेश सरकार के नवाचारों से गांवों की तस्वीर बदली है। आज मप्र के गांव देशभर के लिए विकास के मॉडल बने हुए हैं। यह संभव हो पाया है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के संयुक्त प्रयास से। अब मप्र के गांव भी स्वच्छता और सुविधाओं के मामले में छोटे नगरों को टक्कर देने लगे हैं। पंचायतें भी लक्ष्य तय करती हैं और आपसी प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने की होड़ में गांवों का नक्शा बदल रही हैं। गांवों की महिलाएं भी अब समूहों के रूप में उद्यमी बन रही हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से सक्षम बनकर अपने बच्चों को शिक्षित बनाकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। नवाचारों ने विभाग में विकास की दृष्टि से नए आयाम स्थापित कराए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश की बड़ी आबादी गांवों में रहती है। इसलिए सरकार का फोकस भी गांवों पर रहा है। केंद्र की योजनाएं हो या राज्य की प्रदेश सरकार ने उनका सुनियोजित क्रियान्वयन गांवों में कराया है, इसलिए आज मप्र के गांव छोटे शहरों को टक्कर देने लगे हैं। गांवों में पलायन को रोकने के लिए सरकार ने ग्राम शिल्पी अभियान चलाया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास के इस नवाचार के तहत ग्रामीण शिल्पियों जैसे नाई, बढ़ई, कुम्हार, लोहार व बसोर आदि का चयन कर उन्हें व्यवसाय करने हेतु प्रेरित किया, उन्हें प्रशिक्षण दिलाया गया और पंचायत क्षेत्र में स्थान देकर उनका व्यवसाय शुरू कराया गया। इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ कि जहां गांव में प्रशिक्षित शिल्पी मिलने लगे, तो वहीं इस वर्ग से जुड़े लोगों का पलायन भी रुकने लगा।
प्रदेश सरकार का शहर की ही तरह गांवों के विकास पर भी फोकस है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की अभ्युदय योजना को माध्यम बनाया गया है। विभागीय मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने इस नवाचार पर व्यक्तिगत रूचि दिखाई जिसके कारण इस योजना के तहत प्रदेश के ब्लाक में 40-40 आदर्श गांव बनाए जा रहे हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गांवों का विकास कैसे हो, इसके लिए उसी गांव के प्रत्येक घर में सरकारी बाबू पहुंचेंगे और ग्रामवासी से पूछेंगे कि वे गांव को आदर्श बनाने के लिए क्या सोचते हैं। यानी कि घर-घर सर्वे किया जाएगा और इससे जो रोडमैप तैयार होगा, उसी आधार पर गांव का विकास कर उसे आदर्श गांव की श्रेणी में खड़ा किया जाएगा।
पैसे के लिए पुरूषों पर निर्भर रहने वाली ग्रामीण महिलाओं को बैंक सखी ने आत्मनिर्भर बना दिया है। इसके तहत स्व-सहायता समूहों की दीदी उन महिलाओं को दो हजार रुपए तक की नगद राशि उपलब्ध कराती हैं, जिन्हें पैसों की जरूरत होती है। वहीं विभाग ने एक ओर जहां महिलाओं को अपने हुनर के आधार पर व्यवसाय करने में सहायता उपलब्ध कराई तो उन्हें कर वसूली जैसे काम की जिम्मेदारी भी सौंपी। गांव में स्व-सहायता समूहों से जुड़ी कई महिलाएं अब रजिस्टर और रिकार्ड लेकर कर वसूली के काम में जुटी हुई हैं। दीदियों को बिजली बिल, जल कर एवं स्वच्छता कर वसूली का दायित्व सौंपा गया है। वर्तमान में 2 हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों द्वारा उक्त वसूली का कार्य किया जा रहा है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री पोषणशक्ति योजना में विद्यार्थियों को ताजी एवं ऑर्गेनिक सब्जियां उपलब्ध कराने सभी शालाओं में मनरेगा के सहयोग से किचन गार्डन विकसित किए जा रहे हैं। पिछले वर्ष 24,271 मां की बगिया पूर्ण कराई गई है।
सरकार ने प्रदेश के हर गांव में विकास की उमंग भरने के लिए गांव का जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया है। इसे ग्राम गौरव दिवस नाम दिया गया है। इससे जहां ग्रामवासियों को अपने गांव के प्रति गौरव का भाव उत्पन्न होगा, तो वहीं गांव के विकास के लिए भी ग्रामीणों के सुझाव भी मिलेंगे। यानी कि अब गांव का विकास कैसे और किस तरह से होना है, ये निर्णय कोई सरकारी बाबू नहीं गांव के लोग ही तय करेंगे कि गांव में कैसे विकास होगा। वहीं विभाग ने मनरेगा योजना से ग्रामीण शालाओं में पत्थरों के पटियों से डाइनिंग टेबल बनवाए हैं। ये टेबल पढ़ाई के साथ-साथ भोजन अवकाश में भोजन के काम भी आते हैं। अब इंटरवल में बच्चों को पेड़ के नीचे या जमीन पर बैठकर खाना खाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। इसका सबसे मजबूत पहलू ये रहा कि अब बच्चों की उपस्थिति स्कूलों में पहले से ज्यादा होने लगी और गांव के निर्धन व सक्षम बच्चों के बीच की दूरियां भी खत्म हो गई, वे शहरी क्षेत्र के बच्चों जैसा भाव महसूस करते हैं।
ग्रामीण विकास योजनाओं से बदल रहा है ग्रामीण परिवेश
प्रदेश में गांवों की स्थिति अब तेजी से सुधर रही है। ग्रामीण इलाकों में विकास के नए सोपान गढ़े जा रहे हैं। प्रदेश को कई योजनाओं में देश में प्रथम स्थान मिलने से इसकी पुष्टि होती है। ग्राम सभाओं में भागीदारी, पंचायतों के सशक्तीकरण, सामूहिक विकास में समुदाय का समावेशन, सामुदायिक निगरानी, सहभागिता, सामुदायिक स्वामित्व जैसे मुद्दों के साथ ग्रामीण अधोसंरचना विकास, मूलभूत सुविधाएं, आवागमन, सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण, आत्मनिर्भरता, रोजगार-स्व-रोजगार, नवीन तकनीकियों की ग्राम स्तर तक पहुंच, विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और आजीविका क्षेत्र में प्रतिबद्धता से काम किए जा रहे हैं। इन तमाम प्रयासों से गांवों की तस्वीर बदलती दिख रही है। ग्रामीण क्षेत्र में उन्नत कृषि, पशुपालन में बुनियादी सुविधाएं, सिंचाई, भण्डारण, वृहद् बाजारों को गांव से जोड़ने के लिए भी उल्लेखनीय जतन किए गए हैं। वैज्ञानिक ढंग से विकास की प्रक्रिया का अनुसरण किए जाने से परंपरागत आय के संसाधनों पर निर्भरता कम होने के फलस्वरूप सकारात्मक परिवर्तन आना शुरू हुए हैं।
- राजेश बोरकर