मिशन 2023 शिव बनाम नाथ
16-May-2022 12:00 AM 521

 

मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में होंगे। लेकिन इससे पहले ही चुनावी मैदान सज गया है। कांगे्रस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तो भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चेहरा होंगे। इन दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के आलाकमान से मिले संकेत के बाद रणनीतिक तैयारियां तेज कर दी हैं। दोनों नेता अब पूरी तरह चुनावी मोड में हैं और पार्टी को भी सक्रिय कर रहे हैं।

उप्र, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में मिली शानदार जीत के बाद भाजपा ने इस साल के आखिर और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्लानिंग शुरू कर दी है। इस साल होने वाले चुनावों के साथ ही छत्तीसगढ़ और राजस्थान में साल 2023 में होने वाले चुनावों में भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे, जबकि मप्र में शिवराज सिंह चौहान चुनावी चेहरा बनेंगे। इसकी पुष्टि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी की है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर विश्वास जताया है और प्रदेश के नेताओं ने उनके चेहरे पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

भाजपा और कांग्रेस के चुनावी चेहरों को देखकर यह साफ है कि मिशन 2023 शिवराज के 15 साल के शासनकाल बनाम कमलनाथ 15 माह के शासनकाल के बीच होगा। मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास लगातार 4 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड है। अपने अब तक के 15 साल के कार्यकाल में उन्होंने विकास का ऐसा पहाड़ खड़ा किया है, जिसकी कांग्रेस कल्पना भी नहीं कर सकती है। प्रदेश में सत्ता और संगठन पूरी तरह शिवराज के साथ है। जबकि कांग्रेस में स्थिति अलग है। यहां आज भी पार्टी विभिन्न गुटों में बंटी हुई है। हालांकि चुनावी बेला में कमलनाथ ने एकता की कोशिश की है, लेकिन उसकी संभावना कम नजर आ रही है।

चौथी पारी में शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मप्र का नारा दिया है। यानी 2023 के चुनावी शंखनाद से पहले वे प्रदेश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे निरंतर योजनाएं-परियोजनाएं बनवा रहे हैं और उन्हें क्रियान्वित करवा रहे हैं। अभी हाल ही में दो दिन तक सतपुड़ा की खूबसूरत वादियों में मंथन करने के बाद अब टीम शिवराज चुनावी मोड पर आ गई है। दो दिन चले मंथन में शिवराज सरकार का पूरा फोकस मिशन-2023 पर रहा। पचमढ़ी चिंतन बैठक के बाद एक बात साफ हो गई है कि शिवराज सरकार अब पूरी तरह इलेक्शन मोड पर है और भाजपा 2023 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही लड़ने जा रही है। चिंतन बैठक में तय किया गया कि शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल की फ्लैगशिप योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, लाडली लक्ष्मी योजना के साथ-साथ तीर्थ दर्शन योजना को फिर से लॉन्च किया जाएगा। इसके साथ सीएम राइज स्कूल योजना जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके है को भी नए शिक्षण सत्र से प्रारंभ करने का फैसला किया गया।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना को 21 अप्रैल से फिर से नए स्वरूप में प्रारंभ किए गया। कन्या विवाह के आयोजन की राशि को 51 हजार से बढ़ाकर 55 हजार रुपए किया जा गया। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले समारोह का विकासखंड के स्तर पर पहले से तिथि तय की जाएगी, प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसके साथ कोरोना के चलते बंद मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को 18 अप्रैल से शुरू किया गया। गंगा स्नान, काशी कारीडोर, संत रविदास और कबीरदास के स्थलों के दर्शन के साथ योजना शुरु हुई। इसके साथ तीर्थ दर्शन यात्रा में मंत्री भी ट्रेन में तीर्थ यात्रियों के साथ जाएंगे। ट्रेन में बोगी में स्पीकर सिस्टम के माध्यम से तीर्थ स्थलों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसके साथ तीर्थ दर्शन यात्रा के कुछ स्थलों को हवाई तीर्थ दर्शन यात्रा से भी जोड़े जाने का फैसला किया गया है।

पचमढ़ी बैठक में शिवराज जिस आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दिए वह यह बताता है कि उनको केंद्र की तरफ से हरी झंडी मिल चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार मप्र के कार्यक्रमों में वर्चुएल और एक्चुअल रूप से शामिल होना और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करना भी इस बात के संकेत है कि भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में मोदी और शिवराज के चेहरे के साथ उतरने की पूरी तैयारी कर चुकी है। पचमढ़ी चिंतन बैठक में शिवराज ने जिस आत्मविश्वास के साथ आने वाले समय में कार्यक्रमों का रेखाचित्र खींचा वह यह बताता है कि वह मप्र को देशभर में एक खास पहचान प्रदान करने के लिए पूरी तरह संकल्पित हैं। दरअसल सरकार की योजना और कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि उन पर अमल के लिहाज से भी शिवराज राज्य में अपने लगभग सभी पूर्ववर्तियों से काफी आगे हैं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण पक्ष यह कि चौहान ने नवाचार पर सर्वाधिक जोर दिया है। उनकी उपलब्धियों के खाते के वृहद आकार में इसी बात का सबसे बड़ा योगदान रहा है। ऐसे में जब शिवराज सिंह चौहान देश में भाजपा के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बना चुके हैं तब वह अपने नेतृत्व में मप्र की भाजपा शासित राज्य की एक ऐसी छवि बनाना चाह रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरता हो।

प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई है। गत दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास पर आयोजित पार्टी नेताओं की बड़ी बैठक में विधानसभा चुनाव की रूपरेखा तय कर एक बड़ा निर्णय लिया गया। बैठक में सभी नेताओं ने एकजुट होकर तय किया कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में ही मैदान में उतरेगी। कमलनाथ ने विगत दिनों प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं और पूर्व मंत्रियों को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया था। यहां अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति पर मंथन किया गया। बैठक में सभी नेताओं ने एक सुर में कमलनाथ के नेतृत्व में भरोसा जताया और तय किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ही कांग्रेस का चेहरा होंगे। इसके साथ ही प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर चल रही अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग गया। प्रदेश में भाजपा के मजबूत संगठन से मुकाबला करने के लिए यह जरूरी भी है कि कांग्रेस चुनाव से पहले किसी तरह के संशय में न रहे। चेहरे को लेकर चली दुविधा और विवाद के चलते ही पंजाब में पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए थे।

ऐसे में चुनाव से 18 महीने पहले ही कमलनाथ का चेहरा तय होना पार्टी के लिए बेहतर नतीजे देने वाला साबित हो सकता है। चेहरा तय होने के बाद पार्टी ने अब शिवराज सरकार की नीतियों पर मुखर होकर जनता के बीच जाने का फैसला लिया है। जनता से जुड़े मुद्दों का पूरी ताकत से उठाकर उनके साथ जनता को जोड़ने के लिए भी बैठक में मंथन हुआ।

बैठक में कमलनाथ ने भी जनता से जुडे मुद्दों को जन आंदोलन में बदलने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में अब महज 18 महीने ही बचे हैं। ऐसे में पूरी ताकत से चुनाव की तैयारियों में जुटना होगा। उन्होंने प्रदेश की बदहाल आर्थिक स्थिति, भ्रष्टाचार, व्यापमं घोटालों से रोजगार खोते युवाओं, महंगाई से त्रस्त महिलाओं और किसानों के मुद्दों पर पूर्व मंत्रियों से व्यापक जन आंदोलन प्रारंभ करने को कहा। बैठक के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के चेहरे के साथ ही उतरने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जन आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली गई है और अब विधानसभा चुनाव तक ये आंदोलन लगातार जारी रहेंगे। कांग्रेस के लिहाज से बैठक की सबसे अच्छी बात यह रही कि पार्टी में गुटबाजी की खबरों को प्रदेश के नेताओं ने ही खारिज किया। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बैठक में कमलनाथ के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की बात कही। वहीं अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कमलनाथ द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी पर खरा उतरने का भरोसा दिलाया। 

2023 की तैयारियों में जुटी दोनों पार्टियां

मप्र में 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। क्योंकि अब चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है, लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सक्रियता बढ़ाने के साथ अपने-अपने नेताओं को परफॉर्मेंस दुरुस्त करने का अल्टीमेटम भी दे दिया है। बीते दिनों दोनों ही दलों में बैठकों का दौर चला और संगठन के कार्यक्रमों में ढिलाई बरतने वाले पदाधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई गई। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों पार्टियों में इसका असर देखने को मिल सकता है। दरअसल, मप्र में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बार चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है कि ऐसे में सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है। भाजपा जहां बूथ विस्तार अभियान और समर्पण निधि जैसे अभियानों के जरिए पार्टी को मजबूत करने में जुटी है, तो वहीं कांग्रेस भी घर चलो घर-घर चलो अभियान के जरिए पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में है।

कांग्रेस ने भी दिया अल्टीमेटम

वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने भी कमर कस ली है, लेकिन संगठन की ओर से सौंपे गए दायित्वों को लेकर पदाधिकारियों की लेट लतीफी कमलनाथ के लिए बड़ी समस्या बन गई है। 25 फरवरी तक मंडलम सेक्टर में नियुक्तियों के अल्टीमेटम के बावजूद नियुक्तियां पूरी नहीं हुई हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि कमलनाथ क्या कड़ा रुख अपनाते हैं। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री महेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि मप्र के सभी जिलों की 230 में से 190 विधानसभाओं में ही अब तक मंडलम सेक्टर की नियुक्ति हो सकी है। पार्टी नेताओं का दावा है कि 2 से 3 दिनों में और भी नियुक्तियां कर ली जाएंगी। दूसरी और संगठन ने पार्टी के विधायकों के साथ पदाधिकारियों को जनता के बीच रहने और उनकी मांगों, समस्याओं को जोर-शोर से उठाने के निर्देश दिए हैं और यह भी साफ कर दिया है कि सभी कार्यों को तय समय पर पूरा किया जाए। यानी 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों दल अभी से एक्शन मोड में जुट गए हैं। विपक्ष जहां जनता की समस्याओं और परेशानियों को लेकर मुखर नजर आ रहा है। तो वहीं भाजपा प्रदेश सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाने में जुटी हुई है।

- कुमार राजेन्द्र

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