मप्र में कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव कमलनाथ के चेहरे पर ही लड़ेगी। लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का दबदबा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। पार्टी संगठन का जैसे-जैसे विस्तार हो रहा है, दिग्विजय सिंह समर्थक नेताओं को मुख्य जिम्मेदारी मिलती जा रही है। इसे कमलनाथ के लिए बड़ी परेशानी का सबब बताया जा रहा है।
15 साल बाद 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस 15 महीने बाद ही सत्ता से दूर हो गई। इसकी वजह पार्टी के दिग्गज नेताओं में समन्वय की कमी बताई गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी हुई है। लेकिन कमलनाथ की कांग्रेस में दिग्गी राजा का दबदबा बढ़ता जा रहा है, जिससे पार्टी में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
मिशन 2023 की तैयारी में जुटी कांग्रेस दावा कर रही है कि वह एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी। इसके लिए नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जा रही है। लेकिन देखा जा रहा है कि अधिकतर प्रमुख पदों पर दिग्विजय सिंह समर्थक का कब्जा होता जा रहा है। इससे विधानसभा चुनाव के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जिस तरह से दिग्विजय की पैठ होती जा रही है, उससे चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे में कमलनाथ के पसीने छूट सकते हैं।
मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के विरोधी माने जाने वाले दिग्विजय सिंह धीरे-धीरे पीसीसी के पदों पर अपने लोगों को बैठाते जा रहे हैं। कार्यकारी अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष से लेकर कई पदाधिकारियों की फौज और युवा-महिला कांग्रेस-सेवादल व नेता प्रतिपक्ष तक दिग्विजय सिंह के समर्थक हैं। दिग्विजमय होती जा रही कांग्रेस से आने वाले विधानसभा चुनाव में कमलनाथ को उनके समर्थकों के टिकट को काटने में काफी परेशानी होगी।
गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस में 1 मई को कमलनाथ ने 4 साल पहले कमान संभाली थी लेकिन तब उनके साथ जो लोग थे आज वे उनके सामने ही चुनौती बनते जा रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से दिग्विजय ने कमलनाथ का साथ दिया था और सरकार बनने के बाद भी वे विधायक नहीं होते हुए भी सरकार में सीधा दखल करते थे। इसके बाद जब सरकार गिर गई तो धीरे-धीरे कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के बीच रिश्तों में दूरियां आती गईं। हाल में जब दिग्विजय सिंह अपने बंगले के सामने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ धरना दे रहे थे तो कमलनाथ के साथ उनका सड़क पर जो संवाद हुआ, उससे दोनों के बीच के खटास भरे रिश्ते सार्वजनिक हो गए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश कांग्रेस में अपने समर्थकों को बैठाने में निरंतर कामयाब होते जा रहे हैं और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अकेले पड़ते जा रहे हैं। कमलनाथ ने अपनी कार्यकारिणी में विधानसभा चुनाव, लोकसभा उपचुनाव के दौरान असंतुष्ट नेताओं को नियुक्ति पत्र बांटकर काफी बड़ी संख्या में पदाधिकारी बना दिए थे जिसमें उपाध्यक्ष-महासचिव और सचिवों के साथ प्रवक्ता और जिलों में कार्यकारी अध्यक्ष शामिल हैं। वहीं, दिग्विजय सिंह ने नए पदाधिकारियों में युवा कांग्रेस-महिला कांग्रेस, सेवादल की नियुक्तियों में अपने समर्थकों को बैठा दिया है तो नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी उनके साथ ही हैं। युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत पूर्व पीसीसी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं जो दिग्विजय सिंह के निकट हैं।
कमलनाथ के साथ एक समय प्रदेश कांग्रेस के एक गुट के प्रमुख रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सुरेश पचौरी हैं जिनके समर्थक राजीव सिंह इस समय कमलनाथ के साथ हैं। राजीव सिंह प्रभारी महामंत्री प्रशासन हैं। पचौरी इस समय कांग्रेस के कार्यकर्ता की तरह ही कमलनाथ के साथ खड़े दिखाई देते हैं। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. अर्जुनसिंह के पुत्र, वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी इस समय गुटीय राजनीति से दूर हो गए हैं। विंध्य में इस समय कांग्रेस के लिए वह एक चेहरा हैं लेकिन उनके विरोधी बन चुके पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल उनका वहां स्थान लेने की कोशिश कर रहे हैं। माना भी जाता है कि विंध्य में अजय सिंह को कमजोर करने के लिए उनके विरोधियों ने पार्टी के ही कुछ नेताओं का सहारा लिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव इन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में सक्रिय हुए हैं और वे प्रदेश में दौरे कर रहे हैं। मगर उन्हें विधानसभा चुनाव के पहले पीसीसी चीफ से हटाने और लोकसभा उपचुनाव खंडवा में जो झटके लगे हैं, उसको वे शायद ही भूल पाएंगे।
पीसीसी में कौन किसका समर्थक?
प्रदेश कांग्रेस में जहां कमलनाथ समर्थक के रूप में प्रभारी संगठन उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश जैन, मोर्चा समन्वयक-महासचिव जेपी धनोपिया, अनुसूचित जनजाति अध्यक्ष अजय शाह, बाल कांग्रेस अध्यक्ष लक्ष्य गुप्ता, एनएसयूआई अध्यक्ष मंजूल त्रिपाठी, किसान कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुर्जर, मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा की गिनती होती है, वहीं दिग्विजय सिंह समर्थक के रूप में कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष व ग्वालियर ग्रामीण अध्यक्ष अशोक सिंह, युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल, सेवादल अध्यक्ष रजनीश सिंह, अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का नाम शामिल है। ऐसे में कमलनाथ दिग्विजय समर्थकों को अपने हिसाब से चला पाएंगे इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं।
- अरविंद नारद