उपचुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन
03-Sep-2020 12:00 AM 361

 

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र आयोजित होने जा रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 21 से 23 सितंबर के बीच बुलाया गया है। राजभवन की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। विधानसभा सत्र के दूसरे दिन अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया की जाएगी। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के इस सत्र के दौरान शिवराज सरकार अपना बजट भी पेश करेगी। इसके अलावा कुछ अहम अध्यादेशों को भी विधानसभा से पारित करवाया जाएगा। इससे पहले विधानसभा सचिवालय की ओर से सत्र आहूत करने के लिए प्रस्ताव राजभवन भेजा गया था, जहां राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद सत्र की अधिसूचना जारी कर दी गई। बता दें कि इससे पहले जुलाई में जब विधानसभा का सत्र आहूत किया जाना था, तो कोरोना की वजह से उसे सर्वदलीय बैठक में सहमति के बाद टालने का फैसला ले लिया गया था।

विधानसभा सत्र में सरकार आर्थिक सर्वेक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। इसके माध्यम से प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिक व कृषि विकास दर के आंकड़े सामने रखे जाएंगे। इसके साथ ही वर्ष 2020-21 के लिए बजट अध्यादेश के स्थान पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा विनियोग विधेयक प्रस्तुत करेंगे। सरकार नगरीय निकाय चुनाव व्यवस्था में परिवर्तन के लिए संशोधन विधेयक लाएगी। इसके माध्यम से प्रदेश में एक बार फिर मतदाता ही सीधे महापौर और अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। प्रदेश में कोरोना संकट और सत्ता परिवर्तन से जुड़ी गतिविधियों के कारण विधानसभा का बजट सत्र नहीं हो पाया था। इसकी वजह से शिवराज सरकार को एक लाख 66 करोड़ रुपए से अधिक का लेखानुदान अध्यादेश के माध्यम से लाना पड़ा था। उम्मीद थी कि मानसून सत्र तक स्थितियां सामान्य हो जाएंगी और विधिवत बजट प्रस्तुत होगा लेकिन कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सर्वसम्मति से सत्र को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया। अब, 21 से 23 सितंबर तक चलने वाले विधानसभा सत्र में सभी जरूरी शासकीय कार्य संपादित किए जाएंगे।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसमें बजट अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाया जाएगा। वहीं, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग आर्थिक सर्वेक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। इसमें प्रति व्यक्ति के साथ औद्योगिक सहित अन्य क्षेत्रों की विकास दर के बारे में आंकड़े सामने रखे जाएंगे। सत्र में पेट्रोल और डीजल पर एक-एक रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी के लिए किए गए वैट अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक प्रस्तुत होगा। वहीं, श्रम कानून और मंडी अधिनियम में अध्यादेश के माध्यम से किए गए बदलाव के लिए श्रम और कृषि विभाग संशोधन विधेयक लाएंगे।

सरकार ने तय किया है कि नगर निगम के महापौर और नगर पालिका व परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाताओं से कराने के लिए प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को फिर से लागू करेगा। इसके लिए नगर पालिक अधिनियम में संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार हो चुका है। कमलनाथ सरकार ने अधिनियम में संशोधन करके चुने हुए पार्षदों में से ही महापौर और अध्यक्ष का चुनाव करने की व्यवस्था को लागू किया था, हालांकि उस पर अमल के पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई। सूत्रों का कहना है कि सरकार 89 आदिवासी विकासखंडों में अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए केंद्र की अनुमति मिलने पर साहूकारी अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी रख सकती है। सांसद और विधायकों को शीर्ष सहकारी संस्थाओं का अध्यक्ष और प्रशासक बनाने के लिए सहकारी अधिनियम में किए गए संशोधन के लिए भी विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।

मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 24 सितंबर से पहले आहूत किया जाना संवैधानिक तौर पर अनिवार्य हो गया था। दरअसल इससे पहले विधानसभा का सत्र 24 मार्च को आहूत किया गया था और उसके बाद कोरोना की वजह से सत्र आहूत नहीं हो पाया। संवैधानिक नियमों के मुताबिक, विधानसभा के दो सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं हो सकता। यही वजह है कि 24 सितंबर से पहले सत्र आहूत करना अनिवार्य था। उधर विपक्ष लंबे वक्त से सरकार को घेरने के लिए विधानसभा सत्र का इंतजार कर रहा है। यह माना जा रहा है कि 21 सितंबर से जो सत्र आहूत किया जाएगा उसमें कांग्रेस, शिवराज सरकार को घेरने के लिए खास रणनीति तैयार करने जा रही है। कांग्रेस का निशाना सबसे ज्यादा उन मंत्रियों पर होगा जो विधायक नहीं रहते हुए भी मंत्री बन गए हैं। इसके साथ ही किसान बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। वहीं सरकार के लिए यह सत्र इसलिए भी अहम है कि बजट के साथ उसे कई अहम बिल कानूनी तौर पर पारित करवाने हैं।

अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पर रार

मप्र विधानसभा सत्र की घोषणा के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच इसके लिए शक्ति परीक्षण हो सकता है। क्योंकि कांग्रेस ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने की घोषणा पूर्व में की थी। उधर, भाजपा में भी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को लेकर खींचतान चल रही है। सत्ता में भागीदारी को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार महाकौशल, विंध्य या मालवा क्षेत्र के किसी विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जिन भाजपा विधायकों का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए सामने आ रहा है उसमें डॉ. सीताशरण शर्मा के अलावा विंध्य क्षेत्र से राजेंद्र शुक्ल, नागेंद्र सिंह, केदार शुक्ला और महाकौशल से गौरशंकर बिसेन और अजय विश्नोई शामिल हैं। वहीं उपाध्यक्ष के लिए भाजपा से जिन विधायकों के नाम इस पद के लिए सामने आया है उसमें प्रदीप लारिया, यशपाल सिंह सिसोदिया, नंदन मरावी और मौजूदा प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा का नाम शामिल है। उधर, कांग्रेस भी दोनों पदों के लिए दावेदारी करने की तैयारी कर रही है। 

- जितेन्द्र तिवारी

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