उम्मीदों का बजट
18-Feb-2020 12:00 AM 932

मध्यप्रदेश सरकार का वर्ष 2020-21 का बजट प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस बजट को लेकर काफी संजीदा हैं और उनका साफ तौर पर मानना है कि इस बजट के माध्यम से आंकड़ों की बाजीगरी से परे विकास अब हकीकत में दिखना चाहिए। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में उनके मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती न केवल अर्थव्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं बल्कि हर विभाग की बारीक से बारीक स्कूटनी कर परिणाम मूलक योजनाओं को अंतिम रूप देने में तेजी से जुड़ गए हैं। दरअसल सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश को वित्तीय बदहाली से उभारना और सीमित राजस्व संसाधनों के बल पर आगे की कार्ययोजना बनाना है। मौजूदा बजट 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपए का है, जो पुनरीक्षित होकर 25 हजार करोड़ रुपए तक घट सकता है।

गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार का दूसरा बजट 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम सप्ताह में पेश किया जा सकता है। इसको लेकर राज्य सरकार की तैयारियां तेज हो गई हैं। बजट का फोकस इस बार कांग्रेस के वचन पत्र और विजन-टू-डिलीवरी रोडमैप 2025 पर रहेगा। सरकार को नए बजट में किसानों की कर्ज माफी, बेरोजगारों का भत्ता, युवाओं को रोजगार का वादा पूरा करना है। माना जा रहा है कि इस पर बड़ी राशि का प्रावधान किया जा सकता है।

कर्मचारी कल्याण, अधोसंरचना और पर्यटन विकास के लिए भी विभागों को बड़ी राशि दी जाएगी। बजट को वचन पत्र और दृष्टिपत्र ध्यान में रखते हुए तैयार करने के लिए कहा है। इसके मद्देनजर वित्त विभाग की पहल पर सामान्य प्रशासन विभाग ने अपर मुख्य सचिवों के नेतृत्व में चार समूह बनाए हैं जो विभिन्न योजनाओं का आकलन करके उन्हें जारी रखने, बंद करने या दूसरी योजनाओं में मिलाने को लेकर सुझाव देंगे। इसके आधार पर विभाग के प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

उधर, केंद्रीय करों में 14 हजार 233 करोड़ रुपए की कटौती और अतिवर्षा व बाढ़ से खजाने पर पड़े साढ़े छह हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त वित्तीय भार का असर भी बजट पर नजर आएगा। इधर, आम बजट 2020 में केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि में बड़ी कटौती से प्रदेश का बजट अनुमान गड़बड़ा गया है। केंद्र सरकार ने 14 हजार 233 करोड़ रुपए की केंद्रीय करों में कटौती कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि नए बजट में प्रदेश सरकार कुछ नए कर लगा सकती है और कई योजनाओं को बंद किया जा सकता है। वर्ष 2019-20 में एक लाख 79 हजार 353 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना जताई जा रही थी। अब इसमें लगभग 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी होने के आसार हैं। प्रदेश में जो राजस्व आना चाहिए, वह भी लक्ष्य से 16 हजार करोड़ रुपए कम है। ऐसे हालात में 2020-21 का बजट पेश करने से पहले मौजूदा बजट को पुनरीक्षित किया जाएगा। पिछले बजट में वित्त मंत्री तरुण भनोत ने 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया था। इसमें 2 लाख 14 हजार करोड़ रुपए शुद्ध व्यय बताया गया था। सभी स्त्रोतों से आय एक लाख 79 हजार 353 करोड़ रुपए आंकी गई थी। इसमें 63 हजार 750 करोड़ रुपए केंद्रीय करों से प्राप्त होने थे। जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने इसमें कटौती कर राशि 61 हजार 73 करोड़ रुपए कर दी। एक फरवरी 2020 को प्रस्तुत बजट में यह राशि और कम कर 49 हजार 517 करोड़ रुपए कर दी गई। इस प्रकार राज्य को केंद्रीय करों में 14 हजार 233 करोड़ रुपए की कटौती हो गई। इसके अलावा केंद्र से मिलने वाले 36 हजार 360 करोड़ रुपए के सहायता अनुदान में भी कमी आई है। वहीं सरकार ने सस्ती बिजली देने के लिए 18 हजार करोड़ की सब्सिडी देकर अपने ऊपर भार बढ़ा लिया है।

सूत्रों का कहना है कि किसानों की कर्जमाफी के तीसरे और अंतिम चरण के लिए कृषि विभाग को लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए की जरूरत होगी। यदि अप्रैल से इसे शुरू करना है तो बजट में प्रावधान करना होगा। इसी तरह किसानों को अतिवर्षा और बाढ़ से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए भी राशि देनी होगी। बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने का कांग्रेस ने वचन पत्र में वादा किया था। इसके लिए युवा स्वाभिमान योजना लागू की थी, लेकिन अपेक्षित नतीजे नहीं आए। अब इसे नए सिरे से लागू करने की तैयारी है। वहीं, नगरीय विकास के 40 हजार संविदा कर्मचारियों को नियमित करने सहित अन्य कर्मचारियों की सेवाओं को जारी रखने, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की देनदारी अदा करने, महंगाई भत्ता बढ़ाने, अतिथि विद्वानों को फिर से सेवा में रखने, शहरों में ओवरब्रिज, सड़क, पुल-पुलिया, सिंचाई परियोजना का निर्माण आदि के लिए बजट प्रावधान किए जाएंगे। औद्योगिक केंद्र और पर्यटन क्षेत्रों के विकास पर सरकार का जोर है, इसके लिए अधिक बजट रखा जा सकता है।

उधर, उद्योग विभाग बजट सत्र में उद्योगों को दी जाने वाली स्वीकृतियों से जुड़ा विधेयक भी प्रस्तुत करेगा। बताया जा रहा है कि उद्योग को एक दिन से लेकर 21 दिन में विभिन्न तरह की अनुमतियां इस कानून के प्रभावी होने के बाद मिलेंगी। यदि किसी वजह से अनुमति नहीं मिल पाती है तो न सिर्फ संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय होगी, बल्कि डीम्ड अनुमति भी मिल जाएगी।

2170 योजनाएं होंगी बंद

चौदहवे वित्त आयोग का कार्यकाल 31 मार्च, 2020  को पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में संचालित सभी 2170 सरकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी। इन सभी योजनाओं की वैधता 31 मार्च तक है। इसके बाद सरकार नए सिरे से तय करेगी कि इनमें से कौनसी योजनाएं बंद करना है और कौनसी नए रूप में चालू रखना है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने इनमें से बड़ी संख्या में अनुपयोगी योजनाओं को बंद करने की तैयारी कर ली है। योजनाओं को 31 मार्च के बाद चालू रखने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेना पड़ेगी। दरअसल, कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू होने वाली हर योजना की वैधता पांच साल की होती है। 31 मार्च को योजनाओं की वैधता खत्म होने के बाद सरकार तय करेगी कि कौनसी योजनाएं अपने मूल स्वरूप में चलेंगी, कौनसी योजनाओं में बदलाव किया जाएगा और कौनसी बंद की जाएंगी।  यही वजह है कि योजनाओं का रि-असिस्मेंट किया जा रहा है, उनकी रि-स्ट्रचरिंग की जा रही है। इसके  लिए सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी बनाई है।

- अरविंद नारद

 

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