मप्र का प्रशासनिक ढांचा इन दिनों अनबैलेंस हो गया है। आलम यह है कि प्रदेश में एसीएस, प्रमुख सचिव, एडीजी और आईजी स्तर के अधिकारियों की भरमार हो गई है। इसका असर यह हो रहा है कि कई वरिष्ठ अधिकारी बिना काम और जिम्मेदारी के ही बैठे हैं।
मध्य प्रदेश में प्रमोशन के नियमों का पालन नहीं होने से प्रशासनिक ढांचा अनबैलेंस हो रहा है। सच कहा जाए तो एसीएस, प्रमुख सचिव, एडीजी और आईजी की संख्या में बाढ़ आने से प्रशासनिक पिरामिड सिस्टम बिगड़ गया है। जबकि दूसरे अधिकारियों के अधिकार में बेवजह का अतिक्रमण किया जा रहा है। बिगड़ते सिस्टम की वजह से कैबिन की संख्या तो लगातार बढ़ ही रही है, बल्कि मैदानी पुलिस की हालत भी कुछ ठीक नहीं है। उसके बाद भी आलम यह है कि आईएएस अधिकारियों को सचिव से प्रमुख सचिव बनाया गया है, लेकिन यह आईएएस अफसरों को सचिव से प्रमुख सचिव बनाने का समय आ गया था। अब ऐसे में प्रमुख सचिव की भरमार हो गई और अब वे पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में 1996 बैच के 6 आईएएस अधिकारियों को सचिव से प्रमोशन करके प्रमुख सचिव बनाया गया है। इनमें डीपी आहूजा, नीतीश कुमार व्यास, फैज अहमद किदवई, अमित राठौर, उमाकांत उमराव और कैरोलिन खुंगवार देशमुख शामिल हैं। इससे यह स्थिति निर्मित हो गई है कि प्रदेश में एसीएस और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की भरमार हो गई है।
वहीं आईपीएस अधिकारियों में तो स्थिति यह है कि निचले पदों को समायोजित करके एडीजी के पद बढ़ाए गए हैं। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि आईएएस अधिकारियों के लिए राज्य सरकार पूरे प्रयास कर रही है कि केंद्र सरकार से उसे अनुमति मिल जाए, लेकिन आईपीएस अफसरों के मामले में फिलहाल आईजी से एडीजी पद की डीपीसी रोक दी गई है। बताया जा रहा है कि पूर्व में एडीजी हो चुके पद रिक्त होने के बाद ही नए प्रमोशन की राह खुल सकेगी। हालांकि एडीजी के प्रमोशन के इंतजार में बैठे 1995 बैच ने 25 साल की सेवा पूर्ण कर ली है। आईएएस अफसरों के मामले में ऐसा नहीं है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में इस वक्त एडीजी के 16 पद हैं, लेकिन अफसरों की सख्या 40 हो गई है। 16 अधिकारी तो किसी न किसी पद पर हैं, लेकिन बाकी अफसरों को एडजस्ट करने का काम किया गया। पीएचक्यू में इन अफसरों के लिए शाखाओं को बढ़ाया गया। हालांकि अब पुलिस मुख्यालय में भी एडीजी अफसरों को एडजस्ट करने की जरा भी गुंजाइश नहीं है। ऐसे में इन अफसरों को फील्ड जैसी पोस्टिंग के पद पर सिर्फ बंद कैबिन देने का काम किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति और प्रशासनिक सर्जरी करने में दीर्घकालिक सोच दिखाई नहीं दे रही है। इससे पदोन्नति-तबादलों से कई विसंगतियां पैदा हो गई हैं। पुलिस में प्रमोशन के द्वार पर खड़े अफसरों को आईजी बना दिया, जिससे वे आज जोन में एडीजी बनकर बैठ गए हैं तो जिलों में एसपी बने अधिकारी अपने सुपरविजन अधिकारी डीआईजी के समकक्ष हो गए हैं। लंबा समय हो जाने के बाद राज्य शासन इन विसंगतियों को दूर नहीं कर पा रहा हैं।
भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारियों देवप्रकाश गुप्ता, राजा बाबू सिंह, आशुतोष रॉय को शासन ने 2019 में आईजी बनाकर भेजा था, जबकि उनका एडीजी पद पर प्रमोशन लंबित हो गया था। पदोन्नति के समय उन्हें जोन में एडीजी बना दिया गया, जबकि ग्वालियर, चंबल व होशंगाबाद पुलिस जोन आईजी के पद हैं। वहीं, इंदौर जैसे बड़े पुलिस जोन में राज्य शासन ने जनवरी 2020 में एडीजी को हटाकर आईजी की पदस्थापना की। जबकि इंदौर और भोपाल पुलिस जोन में एडीजी की भी पदस्थापना की जाती रही है। आईपीएस के 2006 के बैच को राज्य शासन ने डीआईजी पद पर पदोन्नति दे दी है, लेकिन इनमें से कुछ अधिकारियों को आज भी जिलों में ही पदस्थ कर रखा है। शासन ने प्रमोट हुए कुछ अफसरों को हटाकर दूसरे अधिकारियों की पदस्थापना भी की, मगर ज्यादातर को नहीं बदला। इससे एक समान रैंक के अधिकारियों के सुपरविजन व मातहत हो जाने की स्थिति बन गई है।
दिल्ली जाने वालों की कतार आने वाला कोई नहीं
प्रदेश में यह भी देखने को मिल रहा है कि बड़ी संख्या में अधिकारी दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं कईयों को हाल ही में दिल्ली भेजा गया। 1994 बैच के आईएएस हरिरंजन राव, 1991 बैच के प्रमोद अग्रवाल, 1992 बैच के वीएल कांताराव और नीलम शमी राव की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हुई है। वहीं कई अन्य अफसर हैं जो दिल्ली जाने की जुगाड़ लगा रहे हैं। वहीं 2 दर्जन से अधिक आईएएस पहले से ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। यही हाल आईपीएस अफसरों का भी है। हाल ही में कुछ अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली भेजा गया है। वहीं मप्र कैडर के 1987 बैच के आईपीएस संजीव कुमार सिंह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से कार्यमुक्त हो गए हैं। वे जल्द ही प्रदेश लौट रहे हैं और इसी महीने सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उनके रिटायरमेंट से महानिदेशक पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे 1987 बैच के उनके साथियों को फिलहाल कोई लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि उन्हें प्रोफार्मा पदोन्नति भी नहीं दी गई थी। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार सिंह अक्टूबर 2018 में एडीजी नक्सल ऑपरेशन के पद से बीएसएफ में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे। उनका 29 फरवरी 2020 को रिटायरमेंट होने की वजह से बीएसएफ ने उन्हें पिछले दिनों कार्यमुक्त कर दिया है।
- सुनील सिंह