थमी संगठन की गतिविधियां
17-Apr-2020 12:00 AM 456

 

कोरोना के संक्रमण का खतरा राजनैतिक दलों के नेताओं पर भी भारी पड़ रहा है। इस खतरे से बचने के लिए देशभर में लॉकडाउन होने से मध्यप्रदेश में भी यह लागू है। इसके चलते फिलहाल सत्तारुढ़ दल भाजपा के संगठन का विस्तार नहीं हो पा रहा है। वहीं 23 जिलों के अध्यक्षों का मनोनयन भी टाल दिया गया है। इनमें वे जिले शामिल हैं, जहां पर संगठन के चुनाव नहीं हो सके थे। गौरतलब है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के पूर्व 33 जिलाध्यक्षों के चुनाव सर्वसम्मति से करा लिए थे पर इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के चलते इसे टाल दिया गया था। अब कोरोना संकट आने की वजह से 23 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है।

भाजपा में संगठन चुनाव की प्रक्रिया छह माह पहले सिंतबर माह में शुरू हुई थी। उसके बाद संगठन के करीब 800 से अधिक मंडलों के अध्यक्ष बन गए थे। जिसके बाद ही 33 जिलाध्यक्षों का भी ऐलान कर दिया गया था। साल के अंतिम माह दिसंबर में प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन होना था पर यह राजनीतिक कारणों से इसे टालाना पड़ा था। इसके लिए पार्टी संविधान के तहत आधे से अधिक जिलों के अध्यक्षों का निर्वाचन जरुरी होता है। यही वजह है कि पार्टी को इस अनिवार्यता को पूरा करने के लिए 33 जिलों के अध्यक्ष घोषित करना पड़े थे। जिसके बाद फरवरी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ और इसके कुछ दिन बाद ही राकेश सिंह की जगह विष्णुदत्त (वीडी) शर्मा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। तभी से जिलाध्यक्षों का मनोनयन अटका हुआ है। कोरोना संकट के चलते ही प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को अपना पहले से तय प्रदेश का दौरा भी टालना पड़ा है।

एक माह पहले वीडी शर्मा को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन वे अब तक अपनी नई टीम का गठन नहीं कर सके हैं। माना जा रहा है कि उनकी नई टीम में दस उपाध्यक्ष, चार महामंत्री और दस मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती है। फिलहाल नई टीम के गठन को लेकर मंथन का दौर जारी है। माना जा रहा है कि 14 अप्रैल के बाद नई टीम का गठन किया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि शर्मा की नई टीम में युवाओं को अधिक महत्व मिल सकता है।

संगठन के अध्यक्ष बनने के बाद वीडी शर्मा भी दो माह में अपनी टीम बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे थे और इसी के तहत वे शुरुआती कवायद भी करने लगे थे। इस बीच अचानक शुरू हो गई सियासी खींचतान में उनकी यह मुहिम ठंडी पड़ गई। वहीं सत्ता पलट के बाद पार्टी की सरकार बनने से पिछले महीने तक संगठन में काम करने की इच्छा रखने वाले विधायकों की भागदौड़ की दिशा भी बदल गई है। अब हालात यह हैं कि दो बार के विधायकों की भी संगठन में दिलचस्पी नहीं बची है। तीन और चार बार के विधायक तो खुद को मंत्री मानकर चल ही रहे हैं। कांगे्रस की परंपरागत सीटों से पहली बार जीते विधायक भी खुद को अब संगठन से दूर करने में भलाई समझ रहे हैं। वहीं एक या दो चुनाव में हारने के बाद इस बार जीत दर्ज कराने वाले विधायक भी अब मंत्रिमंडल या निगम-मंडलों के जरिए सत्ता में भागीदारी पाने की इच्छा पाले हुए हैं। अब मंत्रिमंडल का गठन होने के बाद ही शर्मा की टीम के गठन की कवायद को गति मिलने की संभावना है।

सीनियर विधायकों की तरह लंबे समय तक संगठन से जुड़े रहे नेताओं का रुख भी अचानक भाजपा की सरकार आने से बदल गया है। अब अचानक संगठन से इनका मोह खत्म हो गया है। संगठन में नामी चेहरे माने जाने वाले नेताओं की प्राथमिकता भी अब सरकार हो गई है। संगठन में अपनी लंबी सेवाओं के जरिए बड़े नेता और पदाधिकारी भी अब सत्ता में भागीदार बनना चाह रहे हैं। सूत्रों की मानें तो महज साढ़े तीन साल का समय मिलने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी राजनीतिक निुयक्तियों को बहुत लंबा नहीं लटकाएंगे। डेढ़ साल कांगे्रस सरकार रहने से निचले स्तर पर संगठनात्मक सक्रियता में आई कमी की भरपाई करते हुए जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू किया जा सकता है। इसके चलते लॉकडाउन खत्म होते ही राजनीतिक पदों के लिए दौड़भाग तेजी के साथ शुरू हो सकती है।

एक बार फिर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने का असर प्रदेशाध्यक्ष शर्मा की टीम पर भी आना तय है। शर्मा की टीम में अब पुराने बड़े चेहरे नजर नहीं आएंगे। इनमें दो बार से अधिक विधायकों की भागीदारी भी बहुत कम रहेगी। बड़े नेताओं की दिलचस्पी सरकार और उससे जुड़ी व्यवस्था में अधिक होने से नए चेहरों को उम्मीद बंध गई है कि अब संगठन में युवाओं को भरपूर मौका मिल सकेगा। लंबे समय से जिलों में काम कर रहे नेताओं को भी मौका मिल सकेगा। वहीं नए भाजपा अध्यक्ष संघ, विशेषकर एबीवीपी से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं तो इन संगठनों में सेवा देने वालों को भी प्रमोशन मिल सकता है।

वीडी की टीम में किसी की रुचि नहीं

प्रदेश में दो माह पहले तक भाजपा के जो विधायक संगठन में काम करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे थे, वे अब संगठन में किसी भी हालात में नहीं जाना चाहते हैं। शायद यही वजह है कि प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को अपनी टीम गठित करने के लिए नए सिरे से कवायद करनी पड़ रही है। संगठन में न जाने की विधायकों की अरुचि की बड़ी वजह है सत्ता पलट के बाद भाजपा का सरकार में आ जाना। इसके चलते ही शर्मा अब नई टीम के लिए इंतजार करने के लिए मजबूर हो गए हैं। वे अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बनने वाले मंडिमंडल का इंतजार कर रहे हैं। शर्मा की इस दुविधा की बड़ी वजह हैं पार्टी के वरिष्ठ विधायक और बड़े चेहरे। प्रदेश में कांगे्रस की सरकार के चलते एक माह पहले तक पार्टी के अधिकांश दिग्गज विधायक संगठन में पद पाने की जद्दोजहद कर रहे थे। विधायकों के अलावा बड़े नेता भी शर्मा की टीम में शामिल होना चाह रहे थे। यही वजह है कि शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद से ही कई विधायकों के साथ ही सीनियर नेता भी मेल-मुलाकात कर संगठन में शामिल होने की जताते रहे हैं।

- बिन्दु माथुर

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