कोरोना वायरस ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है बल्कि कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। कोरोना वायरस के कारण उद्योग धंधे बंद होने के बाद लोग पलायन कर अपने घर तो पहुंच गए हैं लेकिन अब रोजगार नहीं होने के कारण आर्थिक तंगी बढ़ती जा रही है।
कोरोना महामारी के संकट के चलते पूरे प्रदेश में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। ऐसे में अब काम की तलाश में अपना घर छोड़कर बाहर जाने वाले ग्रामीणों का तेजी से लौटना जारी है। इनमें खासतौर पर वे लोग शामिल हैं, जो काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर होते हैं। अब तक जो जानकारी आ रही है उसके मुताबिक घरों पर लौटने वाले लोगों की संख्या 8 लाख से अधिक हो चुकी है। ये लोग वापस तो आ गए लेकिन अब इनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। इस तरह के लोगों की संख्या सबसे अधिक झाबुआ जिले में सामने आई है। वहां करीब 75 हजार ग्रामीण लौटे हैं। अब इन सभी का कोरोना टेस्ट कराने की कवायद की जा रही है। इसके साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से सरकार घर-घर और गांव-गांव का रिकार्ड तैयार करवा कर उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 14वें वित्त आयोग से 275 करोड़ की राशि भी जारी कर दी है। यही वजह है कि अब वापस लौटे ग्रामीणों का रिकार्ड पूरी तरह तैयार कराया जा रहा है।
वहीं कोरोना महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के चलते लाखों कामगारों पर इन दिनों रोजी-रोटी का गहरा संकट खड़ा हो गया है। इसमें भी वह वर्ग शामिल है, जो रोज मजदूरी कर कमाई करता था। इनकी संख्या अकेले भोपाल जिले में ही दो लाख है, तो प्रदेश में इनकी संख्या कितनी होगी समझी जा सकती है। यह वे लोग हैं जो नाई, धोबी दिहाड़ी मजदूर, इलेक्ट्रिशियन, हम्माल और ऑटो-टैक्सी ड्राइवर जैसे काम करते हैं। अब यह काम पूरी तरह से बंद है, जिससे उनकी आय का स्रोत पूरी तरह से बंद हो चुका है। ऐसे में महंगे दामों में मिलने वाली रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं ने भी उनका संकट और बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि यह दौर तो उनके लिए नोटबंदी से भी बुरा है, क्योंकि नोटबंदी के दौरान केवल भुगतान अटके थे। अब तो उनका काम धंधा ही पूरी तरह से बंद हो गया है। अब सरकार से ही आस है कि वह कुछ करे, ताकि उनका जीवन पटरी पर आ सके। कोरोना से छोटे मजदूर और कामगारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। लॉकडाउन के चलते चाय, पान, छोटे होटल, फुटपाथ पर कपड़ा के व्यवसायी, नाई, धोबी जैसे अन्य व्यवसाय करने वाले लोगों की स्थिति अब पूरी तरह चरमरा गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में निम्न स्तर पर 25 हजार से ज्यादा कामगार हैं, जिन्हें रोजाना कमाई कर जीवनयापन करना पड़ता है। कोलार निवासी मोहन सेन ने बताया कि लॉकडाउन की स्थिति में दुकान पिछले 18 दिनों से बंद है। घर में बैठकर सामान्य होने की राह देख रहे हैं। जो जमा पूंजी है उससे काम चला रहे हैं। पैसे नहीं होने से बच्चों के दूध में भी कटौती करनी पड़ रही है। सब्जी व रसोई के अन्य सामानों की परेशानी तो है ही। उन्होंने बताया कि रोज की मजदूरी करने वाले लोग अनाज इकट्ठा नहीं लाते। रोज कमाई के आधार पर राशन, सब्जी, दूध पर खर्च करते हैं। ट्रांसपोर्ट का काम भी पूरी तरह से बंद है। देशभर में लॉकडाउन होने के बाद से उनकी सभी गाड़ियां खड़ी हैं। मुश्किल यह है कि इस दौरान उन्हें भी रोजाना ड्राइवरों और क्लीनरों को भत्ता देना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने अब ड्राइवरों और क्लीनरों को नौकरी से बाहर करना शुरू कर दिया है। इससे बड़े पैमाने पर इस तरह के मजदूरों और छोटे कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्हें भरण-पोषण मुश्किल हो रहा है।
कामगार के पास काम है, पर वह कर नहीं सकता। नाई, धोबी, हम्माल की जरूरत लोगों और बाजारों में हैं, पर कोई काम नहीं हो रहा है। पंचर बनवाना, मोटर व्हीकल मैकेनिक, बाल कटवाना व कपड़े प्रेस कराना लोगों की मजबूरी है, लेकिन यह काम नहीं हो पा रहा है, जिससे यह लोग बेरोजगारी की स्थिति में पहुंच गए हैं। लॉकडाउन होने से वाहनों के पहिए जाम हो गए। इससे ड्राइवरों को रोजी का संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन में सबसे पहले उनकी नौकरी चली गई। ट्रैवल्स मालिकों द्वारा काम नहीं होने से भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में इन कामगारों ने एक सप्ताह तक परिवार का भरण-पोषण किया। अब संकट गहराने लगा है। यही हालत धोबी और नाईयों के घरों में बनी हुई है। इस संकट की सूची में हम्माल और मजदूर वर्ग शामिल हैं। मंडियां व बाजार बंद हैं। ऐसे में उनके पास घर में बैठने के अलावा कोई काम नहीं है।
40 हजार मिले बीमार
घर-घर ली गई जानकारी में लौटने वाले लोगों में अब तक 40 हजार के करीब लोगों में सर्दी, जुकाम और खांसी के लक्षण मिले हैं। यह संख्या अभी और बढ़ सकती है। इसकी वजह है अब तक महज 4 लाख 11 हजार लोगों का ही स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है। जिसके बाद इन सभी को क्वारैंटाइन किया गया है। इनमें से अधिकांश को अपने घरों में रहने की सलाह दी गई। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से 800 लोगों की कोरोना जांच कराई गई , जिसमें 8 पॉजिटिव आए हैं। इनमें छिंदवाड़ा में 2, इंदौर में 2, खरगोन में 2, शाजापुर और विदिशा जिले में एक-एक है। इसके साथ ही लौटने वाले ग्रामीणों को ठहराने के लिए साढ़े तीन हजार शिविर स्थल बनाए गए। वहीं 6500 स्थानों पर भोजन की व्यवस्था की गई। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पंचायत विभाग ने हर पंचायत को 30 हजार रुपए की राशि जारी की है। इस राशि में मास्क और सेनेटाइजर आदि उपलब्ध कराने को कहा गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका मिशन की स्व सहायता समूहों द्वारा भी मास्क तैयार जा रहे हैं।
- विशाल गर्ग