तीसरे मोर्चे की गोलबंदी
23-Jun-2020 12:00 AM 395

 

मप्र के 15 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर तीसरा मोर्चा तैयार हो रहा है। बसपा, सपा के बाद अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी चुनावी तैयारी कर रही है। वैसे तो मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में होना है, लेकिन उनकी हार-जीत का गणित बिगाड़ने के लिए तीसरा मोर्चा आकार ले रहा है।  गौरतलब है कि 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं बसपा और सपा ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। ऐसे में 2018 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सभी 24 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है। वो तीसरे मोर्चे से भी संपर्क कर रही है। उधर दिल्ली विधानसभा चुनाव में कई क्षेत्रों में कांग्रेस से आगे रही जनाधार नेशनल पार्टी अब मप्र में भी दस्तक देने जा रही है। पार्टी ने घोषणा की है कि 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में पार्टी अपने प्रत्याशी खड़े करेगी।

भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी ने ऐलान किया है कि पार्टी उपचुनाव में सभी 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। इसके लिए पार्टी तीसरा मोर्चा के घटक दलों से संपर्क कर रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सबसे ज्यादा असर महाकौशल और कुछ मालवा अंचल के इलाकों में है। लेकिन पहली बार पार्टी ग्वालियर चंबल इलाके में अपने उम्मीदवार खड़ा कर प्रमुख सियासी दलों के समीकरण को बिगाड़ने की तैयारी में जुट गई है। मनमोहन शाह बट्टी के मुताबिक जल्द ही तीसरा मोर्चा के कई नेताओं के साथ उनकी बैठक होगी। उसमें 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी की रणनीति का ऐलान किया जाएगा। हालांकि पार्टी ने साफ कर दिया है कि उसके प्रभाव वाले अनूपपुर, सुरखी, सांची के अलावा मालवा-निमाड़ की सीटों पर पूरे दम के साथ पार्टी चुनाव लड़ेगी।

2018 के चुनाव में दलों में बंटी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था और कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ दिया था। जीजीपी प्रत्याशियों ने 6 लाख 75 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर तो पार्टी कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर थी। हालांकि उपचुनाव से पहले पार्टी में एक बार फिर गुटबाजी शुरू हो गई है। भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने-अपने बैनर तले 24 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। बहरहाल 24 सीटों में तीसरे दल के नेता कितना प्रभावी होंगे यह कहना मुश्किल है। लेकिन यह जरूर है कि बसपा के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरते हैं तो भाजपा और कांग्रेस का सियासी समीकरण बिगड़ना तय है।

2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे पर नजर डालें तो महाकौशल इलाके में गोंडवाना फैक्टर ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल खड़ी की थी। कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया था। 2018 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर 76 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। 2003 के चुनाव में जीजीपी ने 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 3 सीटें जीती थीं। उसके बाद 2008 के चुनाव में दो टुकड़ों में बंटी पार्टी ने अलग-अलग सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। जिसके चलते पार्टी का वोट प्रतिशत घट गया था। लेकिन 2018 के चुनाव में जीजीपी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा और कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के वोट कटवा दिए। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भले ही ग्वालियर चंबल इलाके की सीटों पर ज्यादा असर ना हो लेकिन मालवा-निमाड़ समेत रायसेन, सागर और अनूपपुर में वो अपना असर दिखा सकती है। जानकारों का कहना है कि अगर उपचुनाव में तीसरे मोर्चे की गोलबंदी हो गई तो यह भाजपा और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी होगी।

उपचुनाव में बिगड़ सकता है भाजपा-कांग्रेस का खेल

उपचुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। लेकिन बसपा उपचुनाव में बड़ा उलटफेर कर सकती है। ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव होना है। भाजपा और कांग्रेस के बाद यहां बसपा और सपा का भी प्रभाव है। विधानसभा चुनाव 2018 में बसपा ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिसमें से एक सीट ग्वालियर-चबंल की थी। बसपा भी मध्यप्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में बसपा अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है। बसपा की नजर भाजपा और कांग्रेस के बागियों पर भी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा और सपा ने मध्यप्रदेश में चुनाव लड़ा था। सपा को एक सीट में जीत मिली थी जबकि बसपा को दो सीटों पर जीत मिली थी। बसपा ने भिंड और दमोह जिले की पथारिया विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। 2018 के विधानसभा चुनावों में बसपा करीब 5 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ मध्यप्रदेश में तीसरे स्थान पर थी। बहुजन समाज पार्टी मध्यप्रदेश की 97 सीटों पर तीसरे स्थान पर थी। जबकि 6 सीटों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे। ऐसे में उपचुनाव में बसपा मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। बसपा की नजर मध्यप्रदेश के बागियों पर हो सकती है। कांग्रेस की नजर ग्वालियर-चंबल में एससी-एसटी वोट पर है। यही कारण है कि बसपा के वोट बैंक में कांग्रेस ने अब सेंध लगाना शुरू कर दिया है।

- सिद्धार्थ पांडे

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