सौर ऊर्जा का हब मप्र
21-Jul-2020 12:00 AM 423

 

10 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे बड़े सोलर प्लांट का लोकार्पण करते हुए ऐलान किया कि मप्र सौर ऊर्जा का हब बनेगा। गौरतलब है कि मप्र के रीवा के गुढ़ में यह सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किया गया है। 

सोलर एनर्जी 21वीं सदी में ऊर्जा का एक बड़ा माध्यम बनने जा रही है। ये श्योर, प्योर और सिक्योर है। श्योर इसलिए कि जब सभी संसाधन खत्म हो जाएंगे, सूर्य हमेशा चमकता रहेगा। प्योर इसलिए, क्योंकि इससे पर्यावरण पूरी तरह से सुरक्षित और साफ-सुथरा बना रहेगा। सिक्योर इसलिए कि इससे बिजली की जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सकेगा। जैसे-जैसे भारत विकास के नए शिखर की तरफ बढ़ रहा है, हमारी आशाएं-आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, हमारी ऊर्जा की, बिजली की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। ऐसे में बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है। यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा प्लांट के लोकार्पण अवसर पर कही। यह मप्र के लिए गौरव की बात है कि यह प्लांट रीवा जिले के गुढ़ में स्थापित है।

सौर परियोजना से उत्पादित बिजली की लागत ताप और जल विद्युत उत्पादन से जहां कम होती है वहीं इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। मध्यप्रदेश में भी नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता देने की रणनीति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पूर्व कार्यकाल में प्रारंभ हुई। मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में सिरमौर बन गया है। सौर ऊर्जा उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी स्थान पर है। विश्व की सबसे बड़ी परियोजना में रीवा सौर परियोजना शामिल है। लगभग 4 हजार करोड़ की लागत से 750 मेगावाट की रीवा सौर परियोजना में पूर्ण क्षमता के साथ उत्पादन प्रारंभ हो गया है। इसके अलावा पांच हजार मेगावाट की 6 परियोजनाएं और निर्माणाधीन हैं। रीवा सौर परियोजना के लिए मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम और सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की ज्वाइंट वेंचर कंपनी के रूप में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कंपनी का गठन किया गया। इस परियोजना को राज्य-स्तर पर नवाचार के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं में चयनित किया गया। इस परियोजना में उत्पादित विद्युत का न्यूनतम टैरिफ 2 रुपए 97 पैसे यूनिट था, जो समकालीन परियोजनाओं से प्राप्त टैरिफ साढ़े चार से पांच यूनिट की तुलना में डेढ़ से दो रुपए तक कम था।

रीवा सौर परियोजना 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है। यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल साइड सौर संयंत्रों में से एक है। परियोजना से उत्पादित विद्युत का 76 प्रतिशत अंश प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कंपनी और 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को प्रदान किया जा रहा है। इस परियोजना से प्रथम बार ओपन एक्सेस के माध्यम से राज्य के बाहर किसी व्यवसायिक संस्थान दिल्ली मेट्रो को बिजली प्रदान की गई। आंतरिक ग्रिड समायोजन के लिए और वर्ल्ड बैंक से ऋण प्राप्त करने वाली यह देश की पहली परियोजना है। विश्व बैंक का ऋण राज्य शासन की गारंटी के बिना और क्लीन टेक्नालॉजी फंड (सीटीएफ) के अंतर्गत सस्ती दरों पर दिया गया है।

पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से देखें तो रीवा सौर परियोजना से प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका जा रहा है, जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है। रीवा सौर ऊर्जा परियोजना न केवल प्रदेश को नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी बल्कि मध्यप्रदेश को अन्य राज्यों एवं व्यवसायिक संस्थानों को बिजली प्रदान करने में अग्रणी रखेगी। मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा की 5 हजार मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। प्रदेश की पहली रीवा सौर परियोजना के लिए गठित कंपनी रम्स द्वारा आगर, शाजापुर, नीमच, छतरपुर, ओंकारेश्वर तथा मुरैना में स्थापित होने वाली इन परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है। आगर में 550 मेगावाट, शाजापुर में 450 मेगावाट, नीमच में 500 मेगावाट, छतरपुर में 1500 मेगावाट, ओंकारेश्वर फ्लोटिंग ओंकारेश्वर बांध स्थल पर 600 मेगावाट और मुरैना में 1400 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सौर पार्कों की स्थापना की कार्यवाही चल रही है। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में मप्र सौर ऊर्जा का हब बनेगा।

रूफ टॉप पर सौर ऊर्जा

प्रदेश में अब तक 30 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफ टॉप संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इस वर्ष प्रदेश के 700 शासकीय भवनों पर 50 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफ टॉप लगाना प्रस्तावित है। सोलर रूफ टॉप संयंत्रों से उत्पादित बिजली की दरें एक रुपए 38 पैसे प्राप्त हुई। सरकार का प्रयास है कि रूफ टॉप संयंत्र घर-घर लगाए जाएं ताकि उपयोग के लिए बिजली सस्ती दरों पर मिले। शासकीय भवनों पर सौर संयंत्र ऐसे मॉडल पर लगाए जा रहे हैं, जिसमें हितग्राही को विभाग अथवा संस्था को कोई पैसा नहीं देना है। संयंत्र विकसित करने वाला सस्ती बिजली उपलब्ध कराएगा। प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए सोलर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। भोपाल के निकट मंडीदीप में 400 औद्योगिक ईकाइयों के लिए 32 मेगावाट क्षमता की सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इससे उद्योगों को सस्ती बिजली मिलने से औद्योगिक क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। सौर ऊर्जा को बढ़ावा समय की मांग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक लाख मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। मध्यप्रदेश इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। निश्चित ही सौर ऊर्जा उत्पादन में मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान होगा और मध्यप्रदेश देश का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा।

 - लोकेश शर्मा

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