मप्र में इस बार गेहूं का रिकार्ड उत्पादन और खरीदी हुई है। एक तरफ जहां गेहूं का उत्पादन करने वाले किसान मालामाल हुए हैं, वहीं गोदामों में रखने के लिए जगह नहीं है। ऐसे में ओपन कैप में लाखों मीट्रिक टन गेहूं रखा गया है। सरकार का दावा है कि यह गेहूं पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने ओपन कैप में रखे गेहूं को उठाने से मना कर दिया है। उसका कहना है कि यह गेहूं भीग गया है और हमारे किसी काम का नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भीगे गेहूं का क्या होगा?
गौरतलब है कि इस साल गेहूं खरीदी में मध्यप्रदेश देश में सिरमौर बना है। मप्र ने 129 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीदकर पंजाब के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। समर्थन मूल्य पर की गई गेहूं की खरीदी और उसके बाद उसके भंडारण को लेकर मध्यप्रदेश से कई तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जिसमें अधिकारियों की लापरवाही के कारण ओपन कैप में ही अधिकांश गेहूं का भंडारण कर दिया गया।
उधर, इस साल गेहूं की रिकॉर्ड खरीद करने के बाद एफसीआई ने माल उठाना शुरू कर दिया है। लेकिन समस्या ये है कि वो सिर्फ गोदाम में रखा माल ही उठा रहा है। खुले में रखे गेहूं को उसने हाथ भी नहीं लगाया। साथ ही एक महीने पहले खरीदा गया माल ही उठाया जा रहा है। दरअसल इस साल मप्र में गेहूं की रिकॉर्ड खरीद के बाद हुई बारिश के कारण खुले में रखा लाखों मीट्रिक टन गेहूं भीग गया है। शायद यही वजह है कि एफसीआई कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। हैरानी की बात तो यह है कि एफसीआई अधिकांश जगह से एक माह पुराने गेहूं को ही उठा रहा है। एफसीआई की मनमानी सरकार पर भारी पड़ सकती है।
वहीं इस व्यवस्था से वेयर हाउस संचालक बेहद परेशान हैं। उनका मानना है कि एक तो कर्ज लेकर वेयर हाउस बनवाया, 1 साल का अनाज का इंश्योरेंस भी करा लिया गया। इनकी परेशानी ये है कि एफसीआई एक महीने पहले रखा गया गेहूं ही उठा रहा है। ऐसे में पुराने अनाज का क्या होगा। वेयरहाउस संचालक इस पूरी प्रक्रिया में पहले भी बड़े घोटाले का अंदेशा जता चुके हैं और अब जब एफसीआई ने भी खुले में पड़े गेहूं को अमानक बता दिया है तो कहीं ना कहीं उनको इन आरोपों पर दम भरता दिख रहा है।
उधर सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सरकार इस मामले में जांच कराने की बात कह रही है। सरकार का कहना है कि एफसीआई अपने तय मापदंड के अनुसार ही माल उठाता है। लेकिन फिर भी इसी साल खरीदा गया गेहूं अगर एफसीआई के मानकों में फिट नहीं बैठ रहा है तो इसकी क्या वजह है। क्या गेहूं का भंडारण नहीं हुआ या अधिकारियों ने कोई गलती की है। बारिश अपनी आमद दे चुकी है और अभी भी माल ओपन कैप में रखा है। तो क्या जिम्मेदार अधिकारी इसके सड़ने के इंतजार में हैं जिसके बाद इसे कौड़ियों के दाम नीलाम किया जाएगा। जो भी हो लेकिन लापरवाही के चलते सरकार को करोड़ों की चपत जरूर लग सकती है।
उधर, अधिकारियों का कहना है कि मध्यप्रदेश वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के गोदामों में रखा अनाज यदि समय पर रिलीज नहीं हुआ तो खरीफ फसल के दौरान समस्या आ सकती है। वर्तमान में गेहूं के साथ वेयरहाउस के गोदामों में चना भी रखा हुआ है। इस साल बंपर पैदावार के कारण गोदामों की कमी आ गई है। इसके कारण लाखों क्विंटल गेहूं खुले मैदान में रखना पड़ा है। वर्तमान में हालात यह हैं कि जितने भी ओपन कैप बनाए गए थे सभी भर चुके है। इसके अतिरिक्त प्राइवेट ओपन कैप भी किराए पर लेना पड़ रहे हैं। प्रदेश सरकार जहां किसानों का एक-एक दाना खरीदने के लिए संकल्पित रही, वहीं उसने किसानों से खरीदे गेहूं को सुरक्षित रखने की व्यवस्था भी की है, लेकिन एफसीआई ने ओपन कैप में रखे गेहूं उठाने से मना कर दिया है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में इस बार जितना गेहूं खरीदा गया वो पिछले साल के मुकाबले 75 फीसदी से भी ज्यादा है। मध्यप्रदेश में अभी तक 1 करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है जो पूरे देश का 33 प्रतिशत से ज्यादा है। पूरे देश में 3 करोड़ 86 लाख 54 हजार मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद की गई। इस मामले में मप्र ने पंजाब को दूसरे नंबर पर धकेल दिया है। पिछले साल की तुलना में मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी में 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल मध्यप्रदेश में 73.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। मध्यप्रदेश में इस बार 15 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई थी जो 5 जून को खत्म हुई। गेहूं का ज्यादा उत्पादन होने के कारण इस बार खरीदी केंद्र भी 3 हजार 545 से बढ़ाकर 4 हजार 529 कर दिए गए हैं।
एफसीआई गोदाम से उठाएगा गेहूं
अब जब एफसीआई मध्य प्रदेश भर में निरीक्षण कर रही है तो उसने इसी साल खरीदे गए 129 लाख मैट्रिक टन गेहूं में से गोदामों में रखा गेहूं खरीदना ही मुनासिब समझा है। आलम यह है कि एफसीआई ओपन कैप में रखे गेहूं को छोड़कर गोदामों में रखे गेहूं को ही मानक के अनुसार मान रही है। मध्यप्रदेश के मंदसौर में तो गोदामों से एफसीआई ने गेहूं उठाना शुरू भी कर दिया है और कई जगह सर्वे का काम चल रहा है। गौरतलब है कि ठीक मार्च महीने के पहले मध्यप्रदेश के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने को मिल रही थी चिंता जायज भी थी जब अफवाहें अपने चरम पर थी कि इस बार मंडियों में गेहूं किस प्रकार तौला जाएगा। कोविड-19 की भयावह तस्वीरों ने प्रदेश के अन्नदाता किसानों को सचमुच चिंता में डाल दिया था कि गेहूं तौलना तो दूर खरीदेगा कौन? व्यापारी क्या बोली लगाने आएंगे? या इस परिस्थिति का फायदा उठाकर कहीं फसल के मूल्य से भी समझौता न करना पड़ जाए। लेकिन सरकार की सक्रियता और सुविधाओं के कारण इस साल प्रदेश ने देश में सबसे अधिक गेहूं खरीद का रिकार्ड बनाया है।
- अरविंद नारद