05-Apr-2021 12:00 AM
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जल दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना को लेकर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसी के साथ दोनों प्रदेशों के बीच पानी को लेकर चले आ रहे विवाद का अंत हो गया। अब बुंदेलखंड की जनता को सिंचाई से लेकर जल विद्युत का लाभ मिलेगा। पेयजल भी मिलेगा और सूखे का संकट खत्म हो जाएगा। इस परियोजना से सिंचाई समेत पेयजल और जलविद्युत का लाभ मिलेगा। प्रति वर्ष 10.62 लाख हैक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं मिलेंगी और लगभग 62 लाख लोगों के लिए पेयजल आपूर्ति होगी। इसके अलावा 103 मेगावाट जलविद्युत का उत्पादन होगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना दो राज्यों मप्र और उप्र का संयुक्त प्रोजेक्ट है। संयुक्त परियोजना होने के कारण दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे का भी प्लान तैयार किया गया है। इसमें हर साल नवंबर से अप्रैल माह के बीच (नॉन मानसून सीजन) में उप्र को 750 एमसीएम तो वहीं मप्र को 1834 एमसीएम पानी मिलेगा। इन सभी बिंदुओं पर दोनों राज्य सरकारों का केंद्र सरकार के साथ समझौता किया गया है। इसी समझौते को एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) कहा जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के पहले फेज में केन नदी पर डोढ़न गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा। यह पानी नहर के जरिए बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा। वहीं दूसरे फेज में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में चार बांध बनाए जाएंगे। इसके साथ ही बेतवा की सहायक बीना नदी जिला सागर और उर नदी जिला शिवपुरी पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा। प्रोजेक्ट के दोनों फेज से सालाना करीब 10.62 लाख हैक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावाट हाइड्रो पावर भी पैदा किया जाएगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावाट है।
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में से एक केन-बेतवा लिंक परियोजना भी है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ है, जिसका 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी। इस परियोजना में केन नदी से बेतवा नदी में पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए दाऊधन डैम बनाया जाएगा और एक नहर के जरिए दोनों नदियों को जोड़ा जाएगा।
मप्र में छतरपुर व पन्ना जिलों की सीमा पर केन नदी के मौजूदा गंगऊ बैराज के अपस्ट्रीम में 2.5 किमी की दूरी पर डोढ़न गांव के पास एक 73.2 मीटर ऊंचा ग्रेटर गंगऊ बांध बनाया जाएगा। कांक्रीट की 212 किमी लंबी नहर द्वारा केन नदी का पानी उप्र के झांसी जिले में बेतवा नदी पर स्थित बरुआ सागर में डाला जाएगा। यह परियोजना बूंद-बूंद को तरसते बुंदेलखंड के लिए एक उपहार है। सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्र के लिए बौछार है। इस परियोजना में मप्र के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिले हैं तो उप्र के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट केन-बेतवा लिंक परियोजना को लगभग 16 साल बाद दोनों राज्यों की आपसी सहमति हुई है। यह परियोजना छतरपुर, पन्ना सहित मप्र और उप्र के बुंदेलखंड वाले हिस्से को हरित क्षेत्र बनाने के रूप में देखी जा रही है। परियोजना का बजट 35,111 करोड़ रुपए है जिसके अंतर्गत पन्ना टाईगर रिजर्व क्षेत्र में मौजूद डोढ़न गांव में एक विशाल बांध बनाया जाएगा। बुंदेलखंड क्षेत्र की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना की मूल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में इसे दो चरणों में पूरा किया जाना था। जल संसाधन मंत्रालय ने मूल परियोजना रूपरेखा में परिवर्तन करते हुए अब दोनों चरणों को एक साथ मिला दिया है। जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय द्वारा केन-बेतवा लिंक के प्रथम और द्वितीय चरण को मिलाने का फैसला मप्र सरकार के आग्रह पर किया गया है। इसके कारण इस परियोजना के संबंध में कुछ आवश्यक मंजूरी पर मंत्रालय काम कर रहा है। केन बेतवा लिंक परियोजना में चार बांध बनाए जाएंगे। डोढ़न बंाध के अलावा तीन और बांध भी मप्र के रायसेन और विदिशा में बेतवा नदी पर बनेंगे। केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा व 19633 वर्ग किलोमीटर जलग्रहण क्षमता वाले इस डोढ़न बांध में 2584 एमसीएम पानी भंडारण की क्षमता होगी। 2613.19 करोड़ की लागत वाले इस बांध से दो बिजली घर बनेंगे जिससे 36 मेगावाट बिजली बनेगी। इस बिजली घर पर 341.55 करोड़ की राशि व्यय होगी।
2005 में अक्स ने उठाए थे सवाल
केन-बेतवा परियोजना को लेकर अक्टूबर 2005 में मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, तब अक्स ने उस पर सवाल उठाए थे। अक्स ने आशंका जताई थी कि यह एमओयू कागजी न साबित हो जाए। हुआ भी यही। अब दोबारा इस पर एमओयू हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार परियोजना आकार लेगी। लेकिन इस बार भी इस परियोजना में कई तरह की विसंगतियां हैं। इस बांध के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व की 5258 हैक्टेयर जमीन सहित कुल 9 हजार हैक्टेयर जमीन डूब जाएगी। इस जमीन पर बसे सुकुवाहा, भावर खुवा, घुगारी, वसोदा, कुपी, शाहपुरा, डोढ़न, पल्कोहा, खरयानी और मेनारी गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
- सिद्धार्थ पांडे