वर्तमान समय में मप्र सरकार पर 2,10,510 करोड़ रुपए का कर्ज है। उधर, केंद्र सरकार प्रदेश के साथ उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाए हुए है। ऐसे में सरकार की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन कमजोर होती जा रही है। अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार अपने कमाऊ विभागों पर विशेष ध्यान दे रही है। इसी कड़ी में सरकार आबकारी नीति में बदलाव कर अपने खाली खजाने को भरने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि आम बजट में मध्यप्रदेश का कोटा कम किए जाने के बाद सरकार की आर्थिक दिक्कतें और बढ़ गई हैं। प्रदेश सरकार पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। अब सरकार ने आय बढ़ाने शराब की दुकानों को जरिया बनाया है। कहा जा रहा है कि केंद्र की तरफ से राहत न मिलने के कारण सरकार अपने पास उपलब्ध संसाधनों से अधिक से अधिक राजस्व जुटाने के प्रयास कर रही है। यही वजह है कि आबकारी विभाग से अधिकतम राजस्व जुटाने के लिए नई आबकारी नीति में शराब दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया में संशोधन किया गया है। इससे पहले तक पिछले साल के अपसेट प्राइस से 15 प्रतिशत राशि बढ़ाकर शराब दुकान रिन्यू कर दी जाती थीं। अधिकतर शराब ठेकेदार 15 प्रतिशत ज्यादा राशि देकर दुकानें रिन्यू करा लेते थे। इससे सरकार के राजस्व में अधिकतम 15 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी हो पाती थी। लेकिन अब अपसेट प्राइस में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने और उसके बाद बोली लगाए जाने की प्रक्रिया से सरकार के राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोतरी के आसार हैं।
राज्य सरकार इस साल नई आबकारी नीति में शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसका मकसद राजस्व में बढ़ोतरी करना है। इस साल शराब ठेकेदार शराब दुकानों को रिन्यू नहीं करा पाएंगे। इस बार शराब दुकानों की नीलामी के लिए ई-टेंडर निकाले जाएंगे। टेंडर खोलने के बाद एक बार फिर निविदाकर्ताओं को नीलामी की राशि बढ़ाने का मौका दिया जाएगा। इसके बाद शराब ठेकों की नीलामी शुरू की जाएगी और सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को शराब की दुकान आवंटित कर दी जाएगी। पिछले साल के मुकाबले इस बार शराब दुकानों की अपसेट प्राइस 20 से 25 प्रतिशत ज्यादा रखी जाएगी।
शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में बदलाव से सरकार को 4 हजार करोड़ अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। प्रदेश में शराब की करीब 3600 दुकानें हैं। इनमें 1060 विदेशी शराब दुकानें और करीब 2544 देशी शराब दुकानें हैं। वाणिज्यिक कर विभाग के प्रस्ताव को मंत्री बृजेन्द्र सिंह ने अनुमोदन कर दिया है। अब प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा। वित्त विभाग की अनुमति के बाद मुख्य सचिव के माध्यम से प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। वर्तमान में देश में सबसे महंगी शराब मप्र में है। सरकार इससे पहले प्रदेश में उपदुकानें खोलने का फैसला कर चुकी है। उपदुकान खोलने के लिए शराब दुकान संचालक को सालाना शराब ठेके के अतिरिक्त राशि देनी होगी। शहरी क्षेत्र में 5 किलोमीटर की परिधि में शराब की दुकान नहीं होने पर, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिधि में शराब दुकान नहीं होने पर उपदुकान खोलने की मंजूरी दी जाएगी। शराब दुकान के लाइसेंस शुल्क के आधार पर उपदुकानों के अतिरिक्त शुल्क का स्लैब तैयार किया गया है।
नई शराब नीति में कई बदलाव किए जा रहे हैं। अभी तक शराब की दुकानों का ठेका अलग-अलग ठेकेदारों को दिया जाता था, परंतु आप पूरे जिले या एक साथ कई जिलों का ठेका एक ही शराब कारोबारी को दे दिया जाएगा। याद दिला दें कि 15 साल पहले दिग्विजय सिंह शासनकाल में भी ऐसा ही होता था। आने वाले दिनों में जब शराब के ठेकों की नीलामी होगी तो वह दुकान के हिसाब से नहीं बल्कि जिलों के हिसाब से होगी। ठेका सिंडिकेट को दिया जाएगा। इतना ही नहीं, एक साल का लाइसेंस देने और अगले साल टेंडर करने की व्यवस्था को भी बदलकर दो साल का लाइसेंस दिया जा सकता है।
आबकारी विभाग के आला अधिकारियों के साथ शराब कारोबारियों की चर्चा हो चुकी है। बताया जा रहा है कि कारोबारियों की मंशा के अनुरूप इस तरह के बदलाव की तैयारी है। 16 साल पहले दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते शराब का कारोबार समूहों के ही हाथ में था। इसके बाद भाजपा के सत्ता में आने पर यह नीति बदल दी गई थी। दिग्विजय सरकार के समय मप्र में नौ लोगों के हाथों में ही शराब का काम था। फिर भाजपा शासन में आबकारी आयुक्त रहे ओपी रावत ने नीति बदली और 3000 शराब दुकानों की नीलामी की गई। इसके बाद दिग्विजय सरकार में सक्रिय रहे नौ लोगों के पास सिर्फ 5 से 7 प्रतिशत ही दुकानें बची थीं।
अब राज्य सरकार पुरानी व्यवस्था में जाने वाली है। एक अप्रैल से पहले शराब दुकानों की नए सिरे से नीलामी प्रस्तावित है। इसलिए प्रयास किया जा रहा है कि नीति में जल्द से जल्द बदलाव कर दिया जाए। लंबे समय से शराब कारोबारियों का लाइसेंस नवीनीकरण ही किया जाता रहा। दस साल में आखिरी बार नीलामी 2015-16 में हुई। अब वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए नीलामी प्रस्तावित है। आबकारी विभाग को उम्मीद है कि इससे राजस्व बढ़ जाएगा। वर्ष 2018-19 में करीब 9000 करोड़ रेवेन्यू था, जिसे 2019-20 में बढ़ाकर 11500 करोड़ रुपए कर दिया गया। अब इस लक्ष्य से भी आगे बढऩा है।
उप दुकानें खोलने का निर्णय पहले ले चुकी है सरकार
इससे पहले राज्य सरकार प्रदेश में शराब की उपदुकानें खोलने का फैसला कर चुकी है। उप दुकान खोलने के लिए शराब दुकान संचालक को सालाना शराब ठेके के अतिरिक्त राशि देना होगी। शहरी क्षेत्र में 5 किलोमीटर की परिधि में शराब की दुकान नहीं होने पर, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिधि में शराब दुकान नहीं होने पर उपदुकान खोलने की मंजूरी दी जाएगी। शराब दुकान के लाइसेंस शुल्क के आधार पर उपदुकानों के अतिरिक्त शुल्क का स्लैब तैयार किया गया है। इस फैसले से प्रदेश में करीब 500 उपदुकानें खुलने का अनुमान है।
- कुमार विनोद