सिंधिया का रूतबा बढ़ा
26-Dec-2020 12:00 AM 376

 

मप्र में अपना लोहा मनवा चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से ज्यादा बड़ा रुतबा भाजपा में जमा लिया है। जहां भाजपा में शामिल होते ही सिंधिया ने अपने समर्थक एक दर्जन नेताओं को पूर्व विधायक होते हुए भी शिवराज सरकार में मंत्री बनवाया था, वहीं अब अपने समर्थकों को उच्च पदों पर बैठाकर सिंधिया लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपनी राह आसान करने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में उपचुनाव में हार के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे चुकीं इमरती देवी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाना तय है।

बता दें, इमरती देवी को इस्तीफा दिए लगभग एक पखवाड़ा बीत चुका है लेकिन अब सियासी गलियारों में उनके पुनर्वास की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जानकारों की मानें तो इमरती को ज्योतिरादित्य सिंधिया हर हाल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिलाने पर अड़ गए हैं। इमरती देवी को ज्योतिरादित्य सिंधिया की बेहद करीबी माना जाता है और भाजपा सिंधिया को किसी भी कीमत पर नाराज नहीं करना चाहती। ऐसे में माना जा रहा है कि इमरती देवी को महिला वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाना लगभग तय है।

अगर ऐसा होता है तो उनका दर्जा कैबिनेट मंत्री स्तर का होगा और उनका राजनीतिक कद भी बरकरार रहेगा। इसका सीधा फायदा उपचुनाव में शिकस्त खा चुकी इमरती देवी को होगा। मंत्री दर्जा प्राप्त करने के बाद ऐसा नहीं है कि इसका फायदा केवल इमरती देवी को ही होगा, बल्कि भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य को भी होगा। सिंधिया अपने समर्थकों को पद दिलाकर स्वयं की भाजपा में सियासी जमीन मजबूत करना चाहते हैं, ताकि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनकी राह आसान हो सके।

गौरतलब है कि उपचुनाव में मिली हार के तुरंत बाद कैबिनेट मंत्री एदल सिंह कंसाना और कृषि राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया ने मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया था। वहीं दूसरी ओर, हार के बावजूद इमरती देवी ने इस्तीफा नहीं दिया था जिसको लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाना शुरू कर दिए थे। इसके बाद इमरती देवी ने भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा था कि उनका मंत्री रहना या न रहना सरकार और सिंधिया पर निर्भर करता है लेकिन ये भी सच है कि क्षेत्र का विकास उनके ही माध्यम से होगा। इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि हर हाल में सिंधिया द्वारा बैकडोर से ही सही लेकिन इमरती देवी का पुनर्वास कराया जाएगा।

वहीं सिंधिया और उनके समर्थकों को भाजपा प्रदेश कार्यसमिति घोषित होने का भी बेसब्री से इंतजार है। सिंधिया समर्थकों की खाली हुई तीन सीटों को उनके ही समर्थकों से भरा जाना तो निश्चित है ही, शेष रहे 8 समर्थकों को भी कहीं न कहीं एडजस्ट करने की भी कोशिश रहेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया 4-5 समर्थकों को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। माना जा रहा है कि उपचुनाव में उम्मीद से ज्यादा मिली सफलता के चलते सिंधिया की किसी भी बात को ठुकराया जाना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और पार्टी आलाकमान के लिए भी मुश्किल होगा। उम्मीद है कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जल्द ही टीम की घोषणा करेंगे।

इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी प्रदेश कार्यकारिणी में भाजपा के सीनियर नेताओं को पद देकर संतुष्ट करना चाहते हैं, ताकि आगे होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एडजस्ट करने में कोई दिक्कत ना हो। मोदी मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाना या संगठन में कोई महत्वपूर्ण पद पर भी अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। इसकी वजह बिहार चुनाव और बंगाल चुनाव हैं। बिहार के सकारात्मक नतीजे आ चुके हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सिंधिया को मंत्रियों की सूची में शामिल किया जाएगा।

बहरहाल मप्र में इमरती देवी को महिला वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दिया जाता है तो एक बात तो साफ हो जाएगी कि महाराज सिंधिया का जलवा बरकरार है और वे अब अपनी सियासी जमीन को और मजबूत करने में लगे हुए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो 'टाइगर अभी जिंदा है।Ó

राजनीतिक नियुक्तियों में संगठन की चलेगी

मप्र में हाल में हुए उपचुनाव से पहले यह अनुमान लगाए जा रहे थे कि यदि चुनाव में भाजपा की जीत होती है तो आगे राज्य में शिवराज और सिंधिया की जोड़ी भाजपा की धुरी रहेंगे। मप्र की सियासत की दिशा भी इन्हीं दोनों दिग्गजों के अनुसार तय होगी, किंतु चुनाव के बाद स्थिति बिल्कुल उलट लग रही है। सत्ता और पार्टी दोनों की चाबी संगठन ने अपने हाथ में ले रखी है। राजनीतिक नियुक्तियों में जिस तरह शिवराज और सिंधिया की जोड़ी पर भाजपा संगठन हावी है उससे स्पष्ट हो गया है कि भविष्य में कमान इन दोनों नेताओं के हाथ में नहीं रहेगी। संगठन में भी सबसे बड़ी भूमिका प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री सुहास भगत और हाल में भाजपा की ओर से प्रदेश प्रभारी बनाए गए मुरलीधर राव की होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का  कहना है कि भाजपा ने शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री भले ही बना दिया हो किंतु उनको वह स्वतंत्रता नहीं दी जो पिछले कार्यकाल में मिली हुई थी। उनको तो मुख्यमंत्री भी नहीं बनाया जाना था लेकिन उनसे ज्यादा लोकप्रिय चेहरा पार्टी के पास कोई दूसरा नहीं था। चुनाव जीतने के लिए उनको मुख्यमंत्री बना दिया और अब चुनाव जीत गए है। इसके आगे शिवराज और सिंधिया दोनों की भूमिका सीमित रहने के आसार दिख रहे है। शिवराज सिंह को सरकार चलाने की जिम्मेदारी दी गई है, उसके बाहर सब केवल पार्टी संगठन तय करेगा।

- सिद्धार्थ पांडे

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