पूरे प्रदेश में मुरैना जिला इकलौता है, जहां के तीन नेता संसद में हैं। मुरैना के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर देश के कृषि मंत्री हैं। सुरजनपुर गांव के निवासी वीडी शर्मा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो से सांसद हैं और अंबाह निवासी सुमन राय भिंड जिले से सांसद हैं। जिले के तीन पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक ऐंदल सिंह कंषाना, गिर्राज डंडोतिया व रघुराज कंषाना को मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। इसके अलावा विपक्ष भी इतना मजबूत है कि छह विधानसभा में से चार विधानसभा मुरैना, सुमावली, सबलगढ़ व दिमनी में कांग्रेस का कब्जा है। इन सब पर सोने पर सुहागा यह कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुरैना से खास लगाव है।
यह सभी नेता जिले में सरकारी योजनाओं की सौगात लाने, चहुंमुखी विकास के वादे करते हैं, पर हकीकत ये है कि मुरैना जिले में सरकारी संपत्तियों को बेचने की होड़ लगी है। बीते रोज कैलारस शकर मिल का कबाड़ बिक गया। महाराष्ट्र की सिंकोम एक्जीम प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने आनलाइन बोली में कैलारस चीनी मिल की मशीनरी व पूरे ढांचे को 13 करोड़ 4 लाख रुपए में खरीद लिया। इससे पहले पोरसा व मुरैना के बस स्टैंड कौड़ियों के भाव बेचे जा चुके हैं। अब नगर निगम बेशकीमती जमीनों से लेकर आवासहीनों के लिए बनाई गई बहुमंजिला इमारतों को बेचने की तैयारी कर चुका है। उधर सिंचाई विभाग भी मिरघान गांव में खाली पड़ी अपनी जमीनों को बेचने की योजना बना रहा है। हैरानी की बात यह है, कि न तो पक्ष और न ही विपक्ष के जनप्रतिनिधि सरकारी संपत्ति की नीलामी पर एक शब्द का विरोध जताने तैयार नहीं हैं। पूरे मप्र में सरकारी संपत्तियों को इस तरह किसी और जिले में नहीं बेचा जा रहा। इसमें बड़े नेताओं व अफसरों की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकारी संपत्तियों को बेचने की शुरुआत पिछले साल जनवरी से पोरसा बस स्टैंड की नीलामी के साथ हुई। 40 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का पोरसा बस स्टैंड बीते साल जनवरी में 16 करोड़ में बिक गया। इसकी नीलामी इतनी गोपनीयता से हुई, कि आम जनता तो छोड़िए मुरैना कलेक्टर, अंबाह एसडीएम, तहसीलदार व बस स्टैंड का संचालन कर रही नगर पालिका तक को जब पता लगा, तब नीलामी के बाद इसे खरीदार को हैंडओवर करने का आदेश भोपाल से आ गया। इसके बाद दिसंबर महीने में मुरैना शहर के बीचोंबीच स्थित पुराने बस स्टैंड की प्राइम लोकेशन की 90 हजार वर्गमीटर जमीन को 67 करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया गया। बाजार भाव के हिसाब से कम से कम 200 करोड़ रुपए की इस जमीन को 7500 रुपए वर्गफीट के भाव बेच दिया, जबकि यहां जमीनों का सरकारी भाव ही कई अधिक वर्ग मीटर का है।
एमएस रोड पर ननि मुख्यालय के ठीक पीछे दत्तपुरा सब्जी मंडी क्षेत्र में नगर निगम की 5200 वर्गमीटर जगह है, जिस पर कर्मचारी आवास बने हुए हैं। इस जमीन को भी कलेक्टर, एसपी के नए बंगले व 180 कर्मचारी अवासों के निर्माण लिए अनूठे तरीके से बेचा जा रहा है। प्रशासन इसे निर्माण कंपनी को देगा, जो इस पर माल बनाकर उसमें दुकानें-शोरूम बनाकर बेचेगी। इसके बदले में कलेक्टर-एसपी व जिला न्यायाधीश के नए बंगले व 180 कर्मचारी आवास, वीआईपी रोड किनारे बनाकर देने होंगे। प्रशासन ने इस जमीन की कीमत 40.40 करोड़ आंकी है। इसमें से ठेका कंपनी 25 करोड़ के निर्माण करेगी, बची हुई 15 करोड़ की राशि कलेक्टर कोष में जमा कराई जाएगी। इसमें झोल यह है, कि यह जमीन वर्तमान बाजार भाव के हिसाब से लगभग 80 से 90 करोड़ रुपए की है। इस पर माल बनने के बाद दुकानों की कीमत करोड़ों रुपए की रहेगी।
दिमनी विधायक रविंद्र सिंह तोमर का कहना हैं यह शिवराज सरकार का 15 साल का विकास है जो सरकारी संपत्तियां बेचकर खर्च चलाए जा रहे हैं। मप्र सरकार पर इतना कर्ज है कि प्रदेश के हर व्यक्ति पर 40 हजार का कर्ज है। पोरसा, मुरैना बस स्टैंड व कैलारस शकर मिल के बाद मिरघान गांव में सिंचाई विभाग की जमीन को भी बेचने की योजना चल रही है। जनता इस अपराध के लिए सरकार को माफ नहीं करेगी, मैं विधानसभा में इसे लेकर कड़ा विरोध करूंगा। वहीं कैबिनेट मंत्री दर्जा व पूर्व विधायक मुरैना रघुराज सिंह कंषाना कहते हैं कि यह सारे काम विकास के लिए ही हैं। नगर निगम या जो कोई विभाग संपत्तियों को बेच रहा है, उसे इसका जमकर प्रचार-प्रसार करना चाहिए, जिससे सरकार को अधिक राजस्व मिले। पोरसा व मुरैना बस स्टैंड जैसे बचे गए हैं, उनमें पारदर्शिता रखना चाहिए। नगर निगम अतरसुमा कॉलोनी व ट्रांसपोर्ट नगर बेच रहा है तो, उसमें पारदर्शिता लाए।
उधारी चुकाने के नाम पर बेची जा रही संपत्तियां
अंबाह, पोरसा के बस स्टैंड व कैलारस शकर मिल को कर्मचारी व हिस्सेदारों की उधारी चुकाने के नाम पर बेचा गया है। इसी होड़ में मुरैना नगर निगम शामिल हो गया है, जो माली हालत खराब और रुके हुए विकास कार्यों का वास्ता देकर 27 साल से प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर की जमीन पर प्लाट काटकर, कॉलोनाइजरों की तरह बेचने लगा है। ट्रांसपोर्ट नगर की जमीनों का भाव 1500 से 5000 रुपए वर्गफीट तक रखा गया है। इसका विरोध भी ट्रांसपोर्ट नगर से जुड़े दुकानदार व अन्य हितग्राही कर रहे हैं, पर ननि नहीं रुका। इसके बाद अतरसुमा में आवासहीन परिवारों के लिए बनाई गई, बहुमंजिला इमारतों को भी बेचने की तैयारी चल रही है। यहां 2-बीएचके व 3-बीएचके के आवासों वाली बिल्डिंगों को कॉलोनाइजर को बेचकर इन्हें विकसित करवाया जाएगा। इसके बाद कॉलोनाइजर इसे महंगे दाम पर लोगों को बेचेगा।
- जयसिंह