आखिरकार चुनावी वर्ष से करीब दो साल पहले भाजपा ने मैदानी पकड़ मजबूत करने के लिए पार्टी नेताओं को निगम मंडलों में नियुक्ति दे दी है। इस नियुक्ति में क्षेत्रीय के साथ ही जातिगत समीकरणों को भी साधने की कोशिश की गई है। वहीं भाजपा ने सिंधिया के साथ पार्टी में आए नेताओं को भी महत्व दिया है। इस बार जिन नेताओं को निगम मंडलों में नियुक्ति दी गई है, उनमें संघ और सिंधिया समर्थकों का दबदबा है। यह इस बात का संकेत है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कितनी संवेदनशील है।
विधानसभा चुनाव 2023 के ठीक दो साल पहले शिवराज सरकार ने प्रदेश की सियासी नब्ज को थामने राज्य के निगम-मंडलों में थोकबंद नियुक्तियां कीं। इन नियुक्तियों के जरिए सारे सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है। मुख्य रूप से एक ओर जहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक नेताओं को नवाजा गया है, तो दूसरी ओर संघ के नेताओं को भी सिर-माथे पर रखकर जगह दी गई। साथ ही उपचुनाव के समय किए वादों को भी पूरा किया गया है। इन नियुक्तियों में कई कारण हावी रहे हैं।
संघ के जिन संभागीय संगठन मंत्रियों को कुछ समय पूर्व हटाया गया था, उनमें चार नेताओं को निगम मंडलों में जगह दी गई है। इसके अलावा उपचुनाव के समय किए वादों को पूरा करने के लिहाज से भी निगम-मंडल में पुनर्वास किया गया है। इनमें कुछ को चुनाव न लड़ने तो कुछ को चुनाव के समय साथ देने का ईनाम मिला है। इसमें सावन सोनकर को उपचुनाव के समय वादे के तहत अध्यक्ष, मप्र राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम बनाया है। वहीं संघ के जरिए जयपाल चावड़ा इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बने हैं।
एक साल 9 महीने इंतजार के बाद शिवराज सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां हो गई हैं। सरकार ने निगम-मंडलों के 16 अध्यक्ष और 9 उपाध्यक्षों की सूची गत दिनों पहले जारी कर दी। इसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के 5 समर्थकों को जगह मिली है। उनकी कट्टर समर्थक इमरती देवी डबरा से विधानसभा उपचुनाव हारी थीं। इमरती को लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। इससे साफ है कि सरकार में सिंधिया का दबदबा कायम है। यही वजह है कि इमरती देवी के अलावा गिर्राज दंडोतिया, जसवंत जाटव, मुन्नालाल गोयल और रघुराज कंषाना को भी निगम अध्यक्ष बनाया गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कोटे से 6 नेताओं को सरकार में राजनीतिक पद मिले हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले एंदल सिंह कंषाना व रणवीर जाटव भी उपचुनाव हार गए थे, लेकिन वादे के मुताबिक उन्हें सरकार में जगह दी गई है। इसी तरह, संघ की पृष्टभूमि से आए आशुतोष तिवारी भी शिवराज कोटे से हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष बने हैं।
भाजपा के एक नेता ने बताया कि आशुतोष तिवारी को भोपाल और ग्वालियर संभाग का संगठन मंत्री रहते हुए सत्ता-संगठन में बेहतर तालमेल बनाने के ईनाम में यह पद मिला है। इसके अलावा, नेपानगर की विधायक सुमित्रा देवी के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद वे उपचुनाव जीतीं। इस दौरान पूर्व विधायक मंजू दादू को सत्ता या संगठन में एडजस्ट करने का आश्वासन दिया गया था, जिसे अब पूरा किया गया है। उपचुनाव के समय नाराज मंजू दादू के निर्दलीय लड़ने की अफवाह भी थी। शिवराज के समर्थक राजकुमार कुशवाहा को बीज निगम के उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली है।
सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को उनके दो समर्थकों को पद देकर खुश किया है। शैलेंद्र शर्मा को मप्र कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि, पार्टी के एक नेता के मुताबिक शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की तरफ से भी सिफारिश की गई थी। बोर्ड में उमा भारती के कट्टर समर्थक नरेंद्र बिरथरे को उपाध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी विनोद गोटिया को मप्र पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। इससे पहले जेपी नड्डा के करीबी तपन भौमिक को शिवराज सरकार ने इस निगम की कमान सौंपी थी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले भाजपा के 3 संभागीय संगठन मंत्रियों जितेंद्र लिटोरिया, शैलेंद्र बरुआ और आशुतोष तिवारी को सरकार में पद देने के लिए चार महीने पहले कोलार डैम में हुई सत्ता-संगठन की संयुक्त बैठक में निर्णय हुआ था। ऐसा पहली बार हुआ, जब भाजपा के जिलों में तैनात संगठन मंत्रियों को पहले हटाया गया और अब उन्हें सरकार में जगह दी गई है।
प्रदेश में जो नियुक्तियां की गई, उनमें मप्र लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष इमरती देवी को बनाया गया है। इनके अलावा मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम का अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल, मप्र ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष गिर्राज दंडोतिया, संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम का अध्यक्ष रणवीर जाटव, मप्र स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का अध्यक्ष एंदल सिंह कंषाना, मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष रघुराज कंषाना, विनोद गोटिया को मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष, मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष पद पर शैलेंद्र बरुआ, राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम का अध्यक्ष सावन सोनकर, निर्मला बारेला को मप्र अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त, अमिता चपरा को मप्र महिला वित्त एवं विकास निगम का अध्यक्ष, जयपाल चावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष, आशुतोष तिवारी को मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना निर्माण मंडल का अध्यक्ष, मप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष पद पर जीतेंद्र लटोरिया, मप्र कौशल विकास और रोजगार निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर शैलेंद्र शर्मा को नियुक्त किया गया है।
वहीं पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य सहकारी अनुसूचित जाति एवं वित्त एवं विकास निगम का उपाध्यक्ष रमेश खटीक, राजेंद्र सिंह मोकलपुर को मप्र खनिज विकास निगम का उपाध्यक्ष, मंजू दादू को मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड का उपाध्यक्ष, अजय यादव को मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का उपाध्यक्ष, मप्र राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम का उपाध्यक्ष राजकुमार कुशवाहा, मप्र कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड का उपाध्यक्ष नरेंद्र बिरथरे, मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन का उपाध्यक्ष राजेश अग्रवाल और मप्र पाठ्य पुस्तक निगम का उपाध्यक्ष प्रहलाद भारती को बनाया गया है। पिछले साल मार्च में सत्ता परिवर्तन हुआ था। उसके बाद से ही कोरोनाकाल चल रहा था। इस बीच, कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सरकार बनाने में मदद करने वाले ऐसे नेताओं की फजीहत हो गई थी, जो उपचुनाव में सफल नहीं हो सके थे। इनके पुनर्वास को लेकर सुगबुगाहट काफी दिन से चल रही थी। अब जाकर शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इन नेताओं पर ध्यान दिया है।
सियासी सबक का असर
इन थोकबंद नियुक्तियों में सियासी सबक का भी असर दिखता है। वजह ये कि 2018 में भाजपा चुनाव हार गई थी। तब, अनेक निगम-मंडल के पद खाली पड़े थे। इससे पहले दो दशक में कभी भी सारे निगम-मंडलों के पद नहीं भरे गए। न कभी इस प्रकार थोकबंद नियुक्तियां की गईं। इसमें भाजपा सरकार के साथ कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने भी कभी पूरे पदों को भरने में रूचि नहीं ली। इसलिए इस बार शिवराज सरकार ने सियासी सबक को ध्यान में रखकर थोकबंद नियुक्तियां की हैं। सिंधिया समर्थक नेताओं में चुनाव हारने वालों को पुनर्वास दिया गया है। इनमें तीनों तत्कालीन मंत्री सहित अन्य विधायक शामिल हैं। सिंधिया समर्थक इमरती देवी को लघु उद्योग निगम और गिर्राज दंडोतिया को ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष बनाया है। इनके साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए एंदल सिंह कंषाना को भी मप्र स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष का पद मिला है। ये तीनों ही मंत्री रहते हुए उपचुनाव हार गए थे। वहीं मुन्नालाल गोयल, मजू दादू, रणवीर जाटव, रघुराज कंषाना, जसवंत जाटव आदि को भी हार के बाद पुनर्वास के तौर पर निगम-मंडल दिए गए हैं। इनके अलावा विनोद गोटिया को पर्यटन निगम अध्यक्ष बनाया है। इन्हें राज्यसभा चुनाव हारने के बाद अब संगठन की ओर से मौका दिया गया है।
11 प्रतिशत वोट बढ़ाने का टारगेट
मिशन 2023 के लिए भाजपा ने अभी से कमर कस ली है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 51 प्रतिशत वोट बैंक के लक्ष्य के बाद अब राज्यवार विभिन्न चरणों में अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही विभिन्न आयोजनों के माध्यम से लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए भी कहा गया है। भोपाल में हुई बैठक में संगठन और सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा जिला स्तर पर बनाई गई प्रबंधन समितियों के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था। बैठक में राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश ने सभी से बात की। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ कितनों को मिल पा रहा है, इस संबंध में जानकारी रखें और अधिक से अधिक लोगों को योजनाओं का फायदा भी दिलाया जाए। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, महामंत्री सुहास भगत ने भी संबोधित किया। सभी से कहा गया कि जिलों की कार्यकारिणी तकनीकी रूप से अपडेट हो इसका भी ध्यान रखा जाए। बैठक में सभी जिला समितियों को 11 प्रतिशत वोट बंैक बनाने का लक्ष्य दिया गया है। पहले चरण में बूथ विस्तारक योजना के माध्यम से 11 प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाया जाएगा। इसके बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। चरणबद्ध चलने वाले इन कार्यक्रमों में आजीवन सहयोग निधि अभियान और अन्य संगठनात्मक कार्यक्रमों की जानकारी भी पदाधिकारियों को दी गई।
सत्ता-संगठन की नसीहत, बूथ स्तर तक जाओ, जनता से कनेक्ट रहो
भाजपा विधायकों को सत्ता-संगठन ने नसीहतों के डोज दिए। इसमें भाजपा विधायकों को लगातार जनता के बीच रहने और चुनावी मोड में काम करने के लिए कहा गया। विधायकों को साफ कहा गया कि अब 100 घंटे या 10 दिन क्षेत्र में रहो। बूथ विस्तार योजना के तहत सभी विधायकों को क्षेत्र दिए जाएंगे, उनमें बूथ स्तर तक जाना होगा। गांव में रात बिताने से लेकर लगातार प्रवास के लिए जुटने के लिए कहा गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत ने विधायकों को आगे की कार्ययोजना बताई। मुख्यमंत्री निवास पर हुई विधायक दल की बैठक में विधायकों को साफ कहा गया कि विधानसभा सत्र स्थगित होने के बाद अब फील्ड में पार्टी का पक्ष रखें। ओबीसी आरक्षण को लेकर पूरी स्थिति जनता को बताएं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओबीसी आरक्षण पर उठाए अब तक के कदम और कानूनी पहलुओं को समझाया। यह भी बताया कि सदन में पारित संकल्प को भी जनता को समझाएं। शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप हम सभी समाज और देश को बदलने के काम में प्रभावी भूमिका निभाएं।
- लोकेंद्र शर्मा