मप्र में नया साल नई उम्मीदों के साथ शुरू होगा। इसी कड़ी में सरकार ने निर्णय लिया है कि लोक निर्माण विभाग की परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) से अब बड़े काम कराए जाएंगे। अभी तक पीआईयू मेंटेनेंस का काम करता था, लेकिन अब यह कॉलेज, स्कूल, अस्पताल, कोर्ट आदि का निर्माण करेगा। अभी तक पीआईयू के तहत दो-ढाई हजार करोड़ का काम होता था, जो अब 10 हजार करोड़ का निर्धारित किया गया है। इससे प्रदेश में विकास की नई लहर आएगी।
मप्र में सरकार की मंशानुसार तेजी से विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इसको देखते हुए लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने विभाग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की कवायद शुरू की है। इसके तहत अब मप्र बीडीसी भी बिल्डिंग निर्माण कार्य देखेगा। इसके लिए उसे क्रियान्वयन एजेंसी बनाया है। सड़कों के निर्माण कार्य व मेंटेनेंस के साथ ही उसे बिल्डिंग निर्माण दिए गए हैं। बिल्डिंग निर्माण कार्य देखने वाले पीआईयू भी बिल्डिंग निर्माण करते रहेंगे। पीआईयू और एमपी बीडीसी दोनों के क्षेत्र तय होंगे। इसमें यह तय होगा कि कितनी राशि तक के निर्माण कार्य पीआईयू कर सकेगा और कितनी राशि तक के निर्माण कार्य एमपी बीडीसी देखेगा। सरकारी बिल्डिंग के निर्माण के लिए गत दिनों एमपी बीडीसी यानी एमपी बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का गठन किया गया है।
नई सरकारी कंपनी के क्रियाशील होने तक एमपीआरडीसी को अपने वर्तमान दायित्वों के साथ स्वीकृत पदों पर नियुक्ति व प्रतिनियुक्ति तथा संविदा एवं सेवा प्रदाता के रूप में चयन किया जाएगा। पीआईयू भी सरकारी बिल्डिंग निर्माण देखता रहेगा। उसे कार्य का कुछ प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा। एमपीआरडीसी के संभागीय महाप्रबंधक एसके मनवानी का कहना है सरकारी बिल्डिंग के लिए एमपी बीडीसी के गठन की स्वीकृति शासन स्तर पर हुई है। कुछ दिनों में पूरा आदेश आने पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि कितनी राशि तक के निर्माण एमपी बीडीसी देखेगा और कितनी राशि के पीआईयू।
लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि मुख्यमंत्री ने विद्यालय भवनों के निर्माण का कार्य तेज करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। उन्होंने परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) का गठन वर्ष 2010 में किया था। इससे शासकीय भवनों के निर्माण का कार्य मितव्ययी तरीके से और समय सीमा में होने लगा है। यह पिछले डेढ़ दशक का क्रांतिकारी परिवर्तन है। भार्गव ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री इसकी कल्पना नहीं करते तो आज शिक्षा जगत में भवनों की उपलब्धता की यह आदर्श स्थिति निर्मित हो ही नहीं सकती थी।
जानकारी के अनुसार बीडीसी में अधिकारी-कर्मचारी संविदा पर रखे जाएंगे और यह कंपनी केवल हजार से दो हजार करोड़ के प्रोजेक्ट के ही काम करेगी। यही नहीं प्रदेश में विकास कार्यों को गति देने के लिए प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के लिए टेंडर निकाले हैं, जो आगामी दिनों में मप्र में काम करेंगे। इनमें देश की बड़ी कंपनियां शामिल हो रही हैं। बताया जाता है कि सरकार की मंशा है कि ऐसा करने से अनावश्यक रूप से होने वाले खर्च रुकेंगे। ये कंपनियां सिवनी, छतरपुर, मंदसौर, राजगढ़, नीमच सहित प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज का निर्माण करेंगी। वर्तमान समय में इन निर्माणों पर जो लागत लगती है, उससे 20 प्रतिशत कम दर पर बड़ी कंपनियां मप्र में भवनों का निर्माण करेंगी।
दरअसल, अभी तक प्रदेश में जो निर्माण कार्य हो रहे थे, उनकी गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं। इसको देखते हुए मप्र सरकार ने जहां एक तरफ बीडीसी जैसी कंपनी का निर्माण किया है, वहीं कई अन्य बड़े निर्माण के लिए सार्वजनिक उपक्रमों से निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। लोक निर्माण विभाग के सूत्रों का कहना है कि इससे निर्माण कार्यों में गुणवत्ता तो आएगी ही, साथ ही कम दर पर कम समय में बड़े-बड़े भवन निर्मित हो जाएंगे। इससे प्रदेश के विकास को गति मिलेगी और आत्मनिर्भर मप्र का सपना साकार होगा।
कर्मचारियों को अब बड़े मकानों की मिलेगी सौगात
प्रदेश के कर्मचारियों के लिए यह अच्छी खबर है। अब उन्हें बड़े मकानों की सौगात मिलेगी। कर्मचारियों के मकान का एरिया 40 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा, जबकि अधिकारियों के मकानों में 14 से 20 फीसदी एरिया में वृद्धि होगी। लोक निर्माण विभाग ने अनुमति के लिए प्रस्ताव गृह विभाग को भेज दिया है। प्रदेश के कर्मचारियों में सबसे निचला तबका चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का होता है। इस तबके के कर्मचारियों को अभी तक बनने वाले मकान का एरिया करीब 350 वर्ग फीट होता है। ऐसे मकानों में छोटे-छोटे एक-एक कमरे, छोटा सा किचन व कामन लेटबाथ होते हैं। अब प्रदेश सरकार इन कर्मचारियों के बनने वाले मकानों के एरिया में चालीस फीसदी की वृद्धि कर रही है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मकान का एरिया अब करीब 500 वर्ग फीट रहेगा, जबकि अधिकारियों के मकान का वर्तमान में क्षेत्रफल 2120 वर्ग फीट है। अधिकारियों के मकान का क्षेत्रफल 19 फीसदी बढ़ाते हुए 2530 वर्ग फीट किया गया है। प्रस्तावित क्षेत्रफल में सर्वेंट क्वाटर्स, गैरेज एवं बरांदा का क्षेत्रफल शामिल नहीं है। वर्ष 2016 में स्वीकृत प्लान के अनुसार बी एवं सी टाईप क्वाटर्स में आफिस रूम दिए जाने की अनुशंसा की गई है। सी टाईप से ई टाइप तक के बंगले में दो सर्वेट क्वार्टर दिए जाने की अनुशंसा की गई है।
- विकास दुबे