मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्मार्ट सिटी भोपाल में बंद पड़े कैमरों और सागर के निर्माणाधीन लाखा बंजारा तालाब की धीमी प्रगति पर अफसरों से नाराजगी जताई। चौहान ने कहा कि वर्ष 2019 में स्मार्ट सिटी मिशन में हुए कार्यों, उनके औचित्य, टेंडर प्रक्रिया, व्यय राशि तथा अनियमितताओं की जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री ने जिन निर्माण कार्यों के टेंडरों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। वह कमलनाथ सरकार के दौरान जारी हुए थे। इसे लेकर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव सवाल उठा चुके हैं। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने यह मामला उठाया था। जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी निर्माण में सौंदर्यीकरण के स्थान पर उपयोगिता और जनता की सुविधा को प्राथमिकता बनाया जाएगा। कोई भी नया टेंडर नहीं होगा। जो कार्य आरंभ नहीं हुए हैं, उनकी समीक्षा की जाएगी। राशि का मितव्ययी और सही उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं सातों स्मार्ट सिटी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, सागर और सतना के जन-प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे। सभी सात शहरों में संचालित योजनाओं की वे स्वयं बिंदुवार समीक्षा करेंगे। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 6600 करोड़ से 587 योजनाएं संचालित हैं। इसमें से महज 1577 करोड़ के काम पूरे हो पाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन, नगर निगम एवं पुलिस सहित नगरीय प्रबंधन से संबंधित विभिन्न एजेंसियों से बेहतर समन्वय सुनिश्चित करें। मिशन में जनता की आवश्यकता और शहर की प्राथमिकता के अनुसार जन-प्रतिनिधियों और नगरवासियों की सलाह से कार्यों की प्राथमिकता तय होगी तथा उसके अनुरूप ही निर्माण कार्य संचालित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े शहरों के साथ मझौले और छोटे शहरों का नियोजन भी भविष्य की व्यवहारिक आवश्यकताओं के अनुसार किया जाए। स्मार्ट सिटी मिशन के वित्तीय संसाधनों का उपयोग केवल स्मार्ट सिटी तक ही सीमित नहीं रहे। इसके वित्तीय संसाधनों का उपयोग संपूर्ण शहर के विकास में सुनिश्चित किया जाए। मूलभूत कार्यों के लिए स्मार्ट सिटी से नगर निगम या अन्य एजेंसियों को राशि हस्तांतरित करने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। कोरोना के लंबे ब्रेक के बाद अब मप्र में स्मार्ट सिटी और मेट्रो रेल के काम में तेजी लाई जाएगी। इसका काम तेज गति से करने के लिए जिम्मेदार अफसरों को फ्री हैंड दे दिया गया है। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विगत दिनों स्मार्ट सिटी और मेट्रो रेल के अभी तक के काम की समीक्षा के लिए गत दिनों भोपाल में बैठक ली थी। जिसमें काम में तेजी लाने के लिए उन्होंने अफसरों को फ्री हैंड दिया था। उन्होंने कहा था कि भोपाल और इंदौर की तरह अन्य स्मार्ट सिटी भी पीपीपी और कन्वर्जेंस के प्रोजेक्ट बनाएं। स्मार्ट सिटी में पूरे अधिकार आपके पास ही हैं। सभी प्रोजेक्ट समय-सीमा में पूरा करवाने की जिम्मेदारी भी आपकी है। प्रोजेक्ट पर अमल के लिए किसी भी स्तर पर कोताही नहीं होनी चाहिए।
भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जमीन नीलामी में भारी गड़बड़ी और घोटाला सामने आ चुका है। इस मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू में की गई है। ईओडब्ल्यू अब इस मामले की जांच कर रहा है। हाल ही में भोपाल में स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने करोड़ों रुपए की जमीन नीलाम की है। ईओडब्ल्यू को मिली शिकायत में नीलामी की शर्तों में हेराफेरी कर कई नामी बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है। यह शिकायत उन बिल्डर्स की ओर से की गई है, जिन्हें शर्तें पूरी करने के बाद भी स्मार्ट सिटी में जमीन नहीं मिली। सूत्रों के मुताबिक टीटी नगर इलाके में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत काम चल रहा है। इस इलाके में करीब 100 एकड़ जमीन को बेचा जाना है। इसकी अनुमानित कीमत करीब 1500 करोड़ रुपए है। इसमें से कुछ जमीन की नीलामी भोपाल स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने पिछले दिनों कर दी है। इस राशि का उपयोग अलग-अलग क्षेत्र के 23 प्रोजेक्ट पूरा करने में किया जाना है। आरोप है कि नीलामी के पहले जमीन पर निर्माण की शर्तें कुछ और थीं, लेकिन नीलामी के बाद जमीन आवंटित होते ही शर्तों को बदल दिया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में स्मार्ट सिटी विकसित करने के लिए सभी सातों शहरों में किए जाने वाले कामों में तेजी लाएं। इस दौरान यह ध्यान रखा जाए कि काम की गुणवत्ता बनी रहे। स्मार्ट सिटीज में जो 216 परियोजनाओं के 3442 करोड़ के काम चल रहे हैं, उसकी मॉनीटरिंग का काम भी होता रहे। इसके अलावा करीब 1350 करोड़ रुपए के जो काम टेंडर में हैं और जिनकी डीपीआर तैयार की गई है, उसके काम में भी तेजी लाई जाए।
कागजों में प्रोजेक्ट, शहर कैसे होगा स्मार्ट?
भोपाल सहित प्रदेश के सात स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिनों बैठक की। बैठक में अफसर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की उपलब्धियां गिनाने लगे। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्होंने रोकते हुए जमकर फटकार लगाई और बोले कि प्रोजेक्ट कागजों से बाहर नहीं निकल पाए हैं, ऐसे में शहर कैसे स्मार्ट बनेंगे। मुख्यमंत्री ने कई प्रोजेक्ट में गड़बड़ी और लापरवाही को लेकर भी नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री बोले- भोपाल में स्मार्ट सिटी के कैमरे बंद पड़े हैं। पहले बहुत गड़बड़ हुई है। फाइलें निकालकर देखिए। उन्होंने सीसीटीवी का काम पुलिस को देने की बात कहीं। मीटिंग की शुरुआत में अफसर अपनी उपलब्धियां गिनाने लगे, लेकिन मुख्यमंत्री ने प्रोजेक्ट में कमियों को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने अफसरों से कहा कि प्रोजेक्ट के बारे में बताने में 20 घंटे लगे तो भी मैं बैठूंगा। आप इसे पूरी तरह से बताइए। उन्होंने टेंडर को लेकर भी सवाल किए। उन्होंने कहा- हमें प्राथमिकता तय करनी चाहिए कि पहले क्या करना है। सबसे पहले खराब सड़कें सुधारें। कुछ प्रोजेक्ट को लेकर वे बोले- मुझे डीटेल में समझना है। जब तक मैं इसे डीटेल से नहीं देख लूंगा, चैन नहीं पड़ेगा। हम पीपीपी मॉडल पर जाएं।
- राजेश बोरकर