मप्र सरकार ने रबी सीजन में रिकार्ड गेहूं खरीदी करके किसानों को मालामाल कर दिया। इससे उत्साहित होकर किसानों ने खरीफ की बुवाई भी खूब की है। लेकिन मौसम की मार ने उनपर कुठाराघात कर दिया है। प्रारंभिक आंकलन में प्रदेश के 24 जिलों में अतिवृष्टि और बाढ़ से साढ़े 9 हजार करोड़ रुपए की फसल और अधोसंरचनाओं को नुकसान पहुंचा है। 11.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 11 लाख 34 हजार किसानों की फसलें प्रभावित हुईं हैं। 60 हजार मकान बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 8 हजार 442 गांवों में नुकसान हुआ है। सड़क, बिजली के खंभे, पुल-पुलिया सहित अन्य संपत्तियां क्षतिग्रस्त हुई हैं। प्रारंभिक आंकलन के बाद प्रतिवेदन केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
उधर, केंद्रीय अध्ययन दल ने मप्र के प्रभावित जिलों का दौरा कर क्षति का आंकलन किया है। केंद्रीय संयुक्त सचिव आशुतोष अग्निहोत्री की अगुवाई में आए दल ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाकर खेतों का मुआयना किया और किसानों तथा अधिकारियों से बात कर नुकसान का आंकलन किया। जिसमें यह बात सामने आई कि प्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण 24 जिलों में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। 13 हजार 344 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। उज्जैन, खरगोन, खंडवा, विदिशा, निवाड़ी, नरसिंहपुर, सिवनी जिलों में 22 हजार 546 लोगों को उनके निवास स्थान से हटाकर सुरक्षित किया गया। 231 राहत शिविरों में लोगों को ठहराया गया। सड़क, पुल-पुलिया और पशुओं को भी नुकसान पहुंचा है। जनहानि न हो इसके प्रयास किए गए थे, जिसमें सफलता भी मिली।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय दल से आग्रह किया है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत निरीक्षण करने और प्रभावित व्यक्तियों से चर्चा करने के बाद क्षति की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उधर, अधिकारियों द्वारा अध्ययन दल के समक्ष अतिवृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर राजस्व विभाग ने प्रस्तुतीकरण दिया, जिसमें सभी तथ्य रखे गए। गौरतलब है कि प्रदेश में बाढ़ और अतिवृष्टि से पहले सोयाबीन की फसल को बड़े पैमाने पर यलो मोजेक, इल्ली सहित अन्य रोग लगने से नुकसान पहुंचा। 17 लाख से ज्यादा किसानों की 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक की फसल प्रभावित हुई है। सरकार अपने स्तर पर फसल बीमा और राहत राशि से नुकसान की भरपाई दिलाने का काम कर रही है। कृषि और राजस्व विभाग नुकसान का आंकलन कर रहा है। इसके लिए अलग से केंद्रीय अध्ययन दल भेजा जाए।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय अध्ययन दल को बताया कि 28-29 अगस्त को अतिवृष्टि से पानी खेतों और ग्रामीण आवासीय क्षेत्रों तक पहुंच गया था। सेना और अन्य राहत दलों ने दिन-रात काम किया। 12 जिले गंभीर और 23 जिले आंशिक रूप से प्रभावित हुए। मैं स्वयं 48 घंटे नहीं सोया। प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर भोजन, पेयजल, दवा और रहने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। अतिवृष्टि एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने आए केंद्रीय दल ने हरदा के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर क्षति का अवलोकन किया। उन्होंने माना कि क्षेत्रों में व्यापक रूप से नुकसान हुआ है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने अतिवृष्टि और बाढ़ के दौरान राज्य सरकार द्वारा चलाए गए राहत कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने केंद्रीय दल से प्रदेश को विशेष राहत पैकेज दिए जाने की मांग की।
केंद्रीय दल ने हरदा जिले के हंडिया के मालपौन में हुई क्षति का नजरी मुआयना किया। गांव में अधिकांश मकान और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। मंत्री पटेल ने केंद्रीय दल को अवगत कराया कि अतिवृष्टि से नर्मदा नदी में पिछले 50 वर्षों में सबसे अधिक बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई है। परिणामस्वरूप हरदा जिले के कई गावों में पानी भर गया और फसलें जलमग्न होकर क्षतिग्रस्त हो गई। कृषि मंत्री ने बताया कि बाढ़ से क्षति का प्रारंभिक अनुमान लगभग 10 हजार करोड़ रुपए है। उन्होंने केंद्रीय दल से कहा कि कोरोना संकट में बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के सभी आवश्यक प्रबंध किए हैं। यदि केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज प्रदेश को मिल जाएगा तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के विकास और बाढ़ पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए बेहतर इंतजाम करने में प्रदेश सरकार को मदद मिल सकेगी। किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही उनके नुकसान की भरपाई हो जाएगी।
कर्ज लेकर बोई थी फसल... बाढ़ व अतिवृष्टि ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा
अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान केंद्रीय दल ने विभिन्न जिलों का दौरा किया। केंद्रीय दल रायसेन, गैरतगंज और गौहरगंज तहसील में बाढ़ और अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का जायजा लेने पहुंचा तो किसानों ने उन्हें अपनी व्यथा सुनाई। दल में शामिल अधिकारियों ने किसानों से चर्चा कर उनकी बात को सुना और उन्हें सहायता दिलाने का भरोसा भी दिलाया। केंद्रीय दल में शामिल सौरभ चन्द्र दुबे डायरेक्टर एनआरएलएम, हरिशंकर मिश्रा अपर आयुक्त (आईएएस) व सुमित कुमार सीनियर इंजीनियर आरआरडीए शामिल थे। मेढ़की गांव के भगवान सिंह लोधी और कैलाश लोधी ने बताया कि कर्ज लेकर सोयाबीन की फसल बोई थी। बेतवा में आई बाढ़ ने उनके खेत में खड़ी सोयाबीन की फसल को नष्ट कर दिया है। इतना ही नहीं खेत में बने मकान में रखा खाने-पीने और गृहस्थी का सामान भी बाढ़ के पानी में बह गया। गांव के विनोद कुमार ने बताया कि उसने तीन प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपए कर्ज लेकर तीन एकड़ में धान लगाई थी, जो बाढ़ के पानी में बह गई है। फसल बर्बाद होने से अब उसका कर्ज कैसे चुकता होगा, इसको लेकर परेशान हैं।
- प्रवीण कुमार