कोरोनाकाल में देश आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में सरकार के सामने कमाई का सबसे बड़ा जरिया जीएसटी है। लेकिन मप्र सहित देशभर में जीएसटी की चोरी के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों मप्र में कई जगह छापामार कार्यवाही कर जीएसटी चोरी पकड़ी गई।
जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक प्रकार से सरकार की आमदनी का प्रमुख जरिया है। देशभर में लागू हुए जीएसटी कानून के बाद यह उम्मीद जताई गई थी कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और टैक्स चोरी रोकने में यह फॉर्मूला कारगर साबित होगा। लेकिन हाल ही में स्टेट जीएसटी की रिपोर्ट इन तमाम दावों के उलट ही आई है। जबलपुर स्थित स्टेट जीएसटी दफ्तर से पेश की गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है कि महाकौशल के 8 जिलों में पिछले 17 महीनों में जीएसटी चोरी के 190 मामले दर्ज किए गए। इसमें एक अरब से ज्यादा का टैक्स चुराने की कोशिश की गई। उससे भी बड़ी बात यह है कि इस कार्रवाई में 153 बोगस जिन्हें हम जाली या फिर शेल कंपनियां भी कह सकते हैं, उनका पता चला है। शेल कंपनियों के माध्यम से करोड़ों के वारे-न्यारे भी किए गए। ना केवल मध्यप्रदेश बल्कि देशभर के विभिन्न राज्यों में इन शेल कंपनियों से व्यापार कर आदान-प्रदान भी किया गया।
बेशक कार्रवाई इनमें से सिर्फ 153 फर्म पर ही की गई लेकिन इनका बड़ा जाल देशभर में फैला हुआ है। स्टेट जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर सुनील मिश्रा ने बताया कि विभाग की इन 8 जिलों में टैक्स चोरी करने वालों पर पैनी नजर है। अब जब अनलॉक के बाद फिर व्यापार पटरी पर दौड़ पड़ा है तो उसके बाद भी छिंदवाड़ा और जबलपुर में 8 बड़ी कर चोरी के मामले सामने आए हैं। स्पष्ट है कि जीएसटी को लेकर व्यापारियों का एक बड़ा गिरोह टैक्स चुराने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है।
टैक्स चोरी और बोगस कंपनियों के जरिए व्यापार चलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके पीछे व्यापारी ये वजह बताते हैं कि टैक्स की जटिलता के कारण ये समस्या खड़ी हो रही है। व्यापारियों का कहना है सिंगल टाइम टैक्स योजना अगर लागू होती है तो इससे टैक्स चोरी पर पूरी तरह रोक लग सकती है। सिंगल पॉइंट एंड सिंगल टाइम टैक्स की ओर अगर सरकार ध्यान देगी तो ना केवल इससे व्यापार प्रगति करेगा बल्कि चोरी जैसे संगीन मामलों में भी अप्रत्याशित कमी आ सकती है। जीएसटी लागू होने से पहले टैक्स चोरी और आमदनी छुपाने के लिए पूरे महाकौशल अंचल में हवाला कारोबार जमकर फला-फूला था। कटनी से लेकर जबलपुर और दिल्ली के बीच उजागर हुआ हवाला कांड पार्ट-2 किसी से छुपा नहीं है। बहरहाल जीएसटी लागू करने के पीछे सरकार की मंशा को पलीता लगा रहे टैक्स चोरों पर लगाम बेहद जरूरी है।
मप्र सहित पूरे देश में एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ था और तब से अभी तक मप्र जीएसटी विभाग द्वारा 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के फर्जी बिलिंग के मामले पकड़े जा चुके हैं। इसमें 700 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी और इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले का अनुमान है। दिसंबर 2018 में वाणिज्यिक कर विभाग ने फर्जी कंपनियों के रैकेट पर छापे मारे थे। इसमें 1200 करोड़ से अधिक की फर्जी बिलिंग पाई थी। सभी कंपनियां बोगस थीं। इसमें 100 करोड़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाला मिला था। जुलाई 2019 में विभाग ने पूरे प्रदेश में लोहा कारोबार करने वाली 650 से ज्यादा कंपनियों पर छापे मारे। इसमें 285 बोगस निकली थीं। इसमें 1150 करोड़ की फर्जी बिलिंग थी। साल 2019 में ही छोटी ग्वालटोली सहित अन्य जगहों पर कार्रवाई में 100 करोड़ से ज्यादा की फर्जी बिलिंग सामने आई थी। एक कर सलाहकार ने आत्महत्या भी की थी। मार्च 2020 के पहले सप्ताह में हुई कार्रवाई में अभी तक 1800 करोड़ की फर्जी बिलिंग का मामला सामने आ चुका है, जो ढाई हजार करोड़ से अधिक का हो सकता है। कंपनी ने 23 दिन में 20 फरवरी तक बंद होने से पहले ही करीब 600 करोड़ के बिल काट दिए। कंपनी ने ई-वे बिल के माध्यम से जिन वाहनों से माल का परिवहन बताया, इसमें अधिकांश फर्जी हैं। ये नंबर कैब, ऑटो, टैम्पो आदि के पाए गए हैं।
जानकारों का कहना है कि वैट एक्ट की तरह ही जीएसटी में भी व्यापारी के रजिस्ट्रेशन पर नियंत्रण होना जरूरी है और इसके लिए फिर से भौतिक सत्यापन की शर्त लानी चाहिए। साथ ही ई-वे बिल की पात्रता भी धीरे-धीरे बढ़ाई जाए, जिससे बड़े घोटाले रोके जा सकेंगे। साथ ही किसी भी संदिग्ध कंपनी, कारोबारी के जीएसटी नंबर को तत्काल निलंबित करने के अधिकार विभाग को होने चाहिए।
1800 करोड़ रुपए का जीएसटी घोटाला, शासन ने मांगी रिपोर्ट
वाणिज्यिक कर विभाग की टैक्स रिसर्च विंग की जांच में पकड़े गए 1800 करोड़ के जीएसटी घोटाले से मप्र समेत 7 राज्यों की सरकार सकते में है। मप्र सरकार ने घोटाले की पूरी जांच रिपोर्ट वाणिज्यिक कर मुख्यालय इंंदौर से मांग ली है। घोटाले की सभी सातों राज्यों में जांच तेज हो गई है। इनमें मप्र के अलावा उप्र, दिल्ली, बिहार, असम, हिमाचल, हरियाणा आदि राज्य हैं। भोपाल की फर्म मेसर्स एमपीके ट्रेडर्स द्वारा जिन-जिन कंपनियों ने ट्रांजेक्शन बताए हैं, उन सभी को जांच के दायरे में लिया जा रहा है। इस कंपनी की जांच में मौके पर कुछ नहीं पाया गया है। ट्रांजेक्शन से पता चला है कि कंपनी ने 29 जनवरी को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लिया था।
- राकेश ग्रोवर