उपचुनाव का घमासान शुरू हो गया है। भाजपा को मात देने के लिए कांग्रेस ने मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। खुद कमलनाथ ने आगर और सांवेर से चुनावी प्रचार का शंखनाद कर दिया है। लेकिन कांग्रेस के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा होता जा रहा है। दरअसल, उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने बिकाऊ बनाम टिकाऊ का नारा दिया है, लेकिन पार्टी ने विधानसभा के उपचुनाव की घोषणा से पहले जिन 15 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, उसे देखकर तो यही लगता है कि कांग्रेस को अपनों से अधिक बाहरियों पर भरोसा है। सूची में 11 सुरक्षित सीटों के उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। भाजपा अथवा अन्य दलों को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को भी पार्टी ने टिकट दिया है। इससे कांग्रेस का बिकाऊ बनाम टिकाऊ का नारा कमजोर पड़ सकता है। मार्च में मध्य प्रदेश में नाटकीय घटनाक्रम हुआ। इस घटनाक्रम में कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी।
शिवराज सिंह चौहान चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। कहा जाता है कि इस घटनाक्रम के पीछे राज्यसभा चुनाव की उम्मीदवारी बड़ी वजह बनी। ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं बनाया था। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और अनुसूचित जाति वर्ग के फूल सिंह बरैया उम्मीदवार बनाए गए। राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस को राज्यसभा की एक ही सीट मिल सकी। भाजपा ने दो सीटें जीतीं। पहली सीट पर उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेस के तीन और विधायकों ने इस्तीफे दिए। दो विधानसभा सीटे विधायकों के निधन के कारण खाली हुईं हैं। कुल 27 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा सितंबर के अंत तक होने की संभावना है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कहते हैं कि पार्टी ने जो उम्मीदवार घोषित किए हैं, वे सभी जीत रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी की पहली सूची में पंद्रह में से 11 नाम आरक्षित सीटों के हैं। कई चेहरे ऐसे हैं, जो कांग्रेस की खांटी नेता या कार्यकर्ता नहीं माने जाते। उम्मीदवार बनाए गए सत्यप्रकाश सखवार बसपा से विधायक रह चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के खिलाफ उम्मीदवार बनाए गए प्रेमचंद्र गुड्डू पुराने कांग्रेसी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा में चले गए थे। सिंधिया के दूसरे करीबी मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया के खिलाफ भी दलबदल कर आए कन्हैया लाल अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया गया। सिंधिया की करीबी महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के खिलाफ उम्मीदवार बनाए गए सुरेश राजे 2013 का विधानसभा चुनाव डबरा सीट से भाजपा के टिकट पर लड़े थे। भाजपा प्रवक्ता अशीष अग्रवाल कहते हैं कि कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है। बसपा ग्वालियर-चंबल के इलाके में निर्णायक भूमिका में होती हैं। लेकिन, बसपा छोड़कर दूसरे दलों में जाने वाले नेता परंपरागत वोट बैंक अपने साथ नहीं ला पाए। फूल सिंह बरैया इसका उदाहरण हैं। बरैया, बसपा छोड़ने के बाद भाजपा में भी शामिल हुए, अपना दल भी बनाया। लेकिन, सफलता नहीं मिली है। कांग्रेस ने उन्हें भांडेर से टिकट दिया है। बसपा से आए प्रागीलाल जाटव को भी परंपरागत वोट के भरोसे कांग्रेस ने करैरा से टिकट दिया है। बिसाहूलाल सिंह के भाजपा में जाने से अनूपपुर में विश्वनाथ कुंजाम को मौका दिया। जिला पंचायत के सदस्य हैं। अनूपपुर आदिवासियों के लिए सुरक्षित सीट है। ग्वालियर की दो शहरी सीटों में से केवल ग्वालियर में उम्मीदवार कांग्रेस ने घोषित किया है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर के खिलाफ सुनील शर्मा को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यहां ब्राह्मण चेहरा देकर चौंकाया। ग्वालियर पूर्व की सीट पर कांगे्रस ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया। पहली सूची में कांगे्रस ने सिंधिया समर्थक पहली पंक्ति के नेताओं को घेरने की कोशिश की है।
12 सीटों पर कड़ी मशक्कत
प्रदेश के 27 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पहली बार बिना शोर-शराबे के 15 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी और अब शेष 12 क्षेत्रों के लिए कश्मकश चल रही है। दूसरी पार्टी से आए कुछ और नेताओं को ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में मौका मिलने की संभावना है तो कुछ सीटों पर पार्टी अपने पुराने नेता या उनके पारिवारिक सदस्यों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। प्रत्याशियों की दूसरी सूची प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के 18-19 सितंबर को ग्वालियर दौरे की संभावना है। मप्र कांग्रेस में पहला अवसर है, जब बिना शोर-शराबे के किसी चुनाव में प्रत्याशियों की सूची जारी हो गई। न प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर विरोध-प्रदर्शन के नारे सुनाई दिए, न ही जिलों में बड़ा विरोध दिखाई दिया है। अब पार्टी के सामने 12 बची हुई सीटों जौरा, सुमावली, मुरैना, मेहगांव, ग्वालियर पूर्व, पोहरी, मुंगावली, सुरखी, बदनावर, मांधाता, सुवासरा और बड़ामलहरा पर प्रत्याशियों के नाम तय करने की चुनौती है। मांधाता विधानसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और उनके धुर विरोधी राजनारायण पुरनी के नाम चर्चा में हैं। कांग्रेस के सामने सबसे ज्यादा कश्मकश ग्वालियर पूर्व सीट को लेकर है। यहां मुख्य रूप से सतीश सिकरवार, राकेश चौहान, संत कृपाल सिंह, देवेंद्र शर्मा की दावेदारी बताई जा रही है। सतीश सिकरवार को कांग्रेस ने हाल ही में पार्टी की सदस्यता दिलाई है। उनके चचेरे भाई की दावेदारी भी दूसरी विधानसभा सीट से है तो एक ही परिवार से दो लोगों को उपचुनाव में टिकट मिलने की संभावना कम है।
- अरविंद नारद