13-Jan-2021 12:00 AM
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उपरोक्त पंक्तियां पढ़कर आपको आश्चर्य होगा कि राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में चक्कर लगाने वाला यह व्यक्ति आज रहीम को क्यों याद कर रहा है। तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये पंक्तियां प्रशासनिक वीथिका की भर्राशाही पर कटाक्ष के लिए उपयोग में लाई गई हैं। आप लोगों ने कविवर रहीम का यह दोहा तो पढ़ा ही है-
'रहिमन' राज सराहिए, ससि सम सुखद जो होय।
कहा बापुरो भानु है, तप्यो तरैयन खोय ॥
यानी ऐसे ही राज्य (या राजा) की सराहना करनी चाहिए, जो चन्द्रमा के समान सभी को सुख देने वाला हो। वह राज्य (या राजा) किस काम का, जो सूर्य के समान होता है, जिसमें एक भी तारा देखने में नहीं आता। वह अकेला ही अपने-आप तपता रहता है। रहीम के दोहे में वर्णित राजा की ही तरह मप्र के प्रशासन में एक युवा आईएएस अधिकारी सूर्य के समान तेजमान हैं। 2013 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी का तेज (कड़क मिजाज) इतना है कि उनको राजनीति और जनता के बीच पसंद नहीं किया जा रहा है। उधर, उक्त तेजमान आईएएस अफसर के कारण उनके बैच के 15 अन्य अफसरों का कलेक्टर बनने का सपना चकनाचूर हो रहा है। गौरतलब है कि आईएएस बनने के बाद हर अफसर का सपना होता है कि कब कलेक्टर बनने का मौका मिलेगा। वर्तमान समय में 2013 बैच के आईएएस अधिकारियों का कलेक्टर बनने का समय है। इस बैच के सभी 16 युवा आईएएस कलेक्टर बनने का सपना बुन रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं वह अधिकारी, जो अपनी प्रारंभिक पदस्थापना के दौरान ही अपनी कड़क छवि के कारण स्थानीय राजनेताओं और जनता के बीच अलोकप्रिय हो गए हैं। प्रशासनिक वीथिका के सबसे चहेते इस युवा आईएएस को बालाघाट का कलेक्टर बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन वहां के स्थानीय विधायक और नेताओं ने भनक लगते ही उनका विरोध शुरू कर दिया है और साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि हम इस अधिकारी को नहीं झेलेंगे। प्रशासनिक वीथिका के इस दुलारे अधिकारी को मनचाही जगह पर कलेक्टरी में बाधा खड़ी होने के कारण उनके बैच के अन्य 15 आईएएस अफसरों का कलेक्टर बनने का रास्ता बाधित हो गया है। सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक वीथिका में इस बात पर मंथन चल रहा है कि उक्त युवा आईएएस को किस जिले में कलेक्टर बनाया जाए, जहां उनका विरोध न हो। उधर, प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इस बात को लेकर मजाक उड़ाया जा रहा है कि एक चहेते के कारण पूरे बैच को कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है। उक्त युवा आईएएस के कारण प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में जो स्थिति निर्मित हुई है उस पर संत कबीरदास की ये पंक्तियां याद आती हैं-
नगर चैन तब जानिये, एक ही राजा होय।
यह दुराजी राज में, सुखी न देखा कोय ॥
यानी संत कबीर दास जी कहते हैं कि किसी राज्य में सुकून और चैन तभी हो सकता है अगर वहां का राजा कोई एक हो और उसके विचार से ही राज्य का कार्य भार चलता हो। ऐसा राज्य जहां राजा के सभी दरबारी अपने मन मुताबिक राज्य चलाने की कोशिश करते हों वहां कोई भी सुख और चैन से जीवन यापन नहीं कर सकता है।