लक्ष्मीजी की माया
09-Jan-2021 12:00 AM 1416


1998 में प्रदर्शित फिल्म चाइना गेट का यह डायलॉग तो आपने सुना ही होगा कि मेरे मन को भाया... मैं कुत्ता काट के खाया। कुछ इसी तर्ज पर चाल, चरित्र और चेहरा वाली पार्टी की सरकार में एक मंत्रीजी काम करना चाहते हैं। दरअसल, उक्त माननीय भाजपा में प्रवासी के तौर पर शामिल हुए और अब अपने आका के आशीर्वाद से मंत्री पद पर सुशोभित हैं। कथित तौर पर उन्होंने अपनी पूर्व पार्टी इसलिए छोड़ी थी कि वहां उन्हें जनता के हित में काम करने का मौका नहीं मिल रहा था। लेकिन नई पार्टी की सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण विभाग सौंपकर काम करने का मौका दिया गया है, लेकिन मंत्रीजी आजकल लक्ष्मीजी की माया में इस कदर डूबे हुए हैं कि उनका मन विचलित होता रहता है। दरअसल, मंत्री बनने के बाद भी उन्हें रस-मलाई (लक्ष्मीजी) का आनंद नहीं मिल पा रहा है। हद तो यह है कि खुद तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे की तर्ज पर मंत्रीजी ने अपने स्टाफ को भी लक्ष्मीजी की माया बटोरने के काम में लगा दिया है। मंत्रीजी के करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने स्टाफ से कहा है कि वे उद्योग नगरी से जुड़े उद्योगपतियों की सूची विभाग से प्राप्त कर उन्हें फोन लगाकर हड़काएं, कि भैया आकर अपने मंत्री से तो संपर्क करो। मंत्रीजी को आप लोगों की बहुत फिकर है, लेकिन आप लोग मंत्रीजी को तनिक भी भाव नहीं दे रहे हो। स्टाफ को मंत्रीजी की भावनाएं तो समझ में आ रही है, लेकिन उद्योगपतियों को फोन लगाकर क्या कहें यह उन्हें नहीं सूझ रहा है। दरअसल, प्रदेश के इतिहास में शायद ही किसी मंत्री ने अपने स्टाफ को इस तरह का टास्क दिया हो।
सूत्रों का कहना है कि अपने आका के इशारे पर मंत्रीजी ने अपनी पुरानी पार्टी इस विश्वास के साथ छोड़ी थी कि नई पार्टी में शामिल होने के बाद सरकार बनते ही उन्हें मंत्री बनाया जाएगा और फिर उन पर लक्ष्मीजी की कृपा इस कदर बरसेगी कि वे उसमें डूबे रहेंगे। लेकिन कहा जा रहा है कि मंत्रीजी को कोई भी उद्योगपति भाव नहीं दे रहा है। ऐसे में एक तरफ जहां सरकार के मुखिया शासन-प्रशासन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके महत्वपूर्ण विभाग के एक मंत्रीजी लक्ष्मी बटोरने के अभियान में जुटे हुए हैं।
यहां बता दें कि शाही अंदाज वाले मंत्रीजी के खर्चे और उनकी शौकीन मिजाजी के चर्चे प्रदेश में पहले से ही होते रहे हैं। ऐसे में अब जब वे बड़े विभाग के मंत्री बने हैं तो उनके आसपास ऐसे लोगों का जमावड़ा होने लगा है, जो मंत्रीजी की शौकीन मिजाजी की पूर्ति करवा सकते हैं। मंत्रीजी की शौकीन मिजाजी का फायदा उठाकर आजकल एक अखबार नवीस ने भी उन्हें अपने घेरे में ले लिया है। हालांकि अखबार नवीस अखबार का काम कम लाइजिनिंग का काम ज्यादा करते हैं। जेल रिटर्न उक्त अखबार नवीस मंत्रीजी को लक्ष्मी की माया दिखाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। उधर, एक तरफ विभागीय अधिकारी इस बात से चिंतित हैं कि मप्र जैसे बीमारू राज्य में उद्योग कहां से लाएं और दूसरी तरफ मंत्रीजी को पड़ी है अपनी ग्राहकी ठीक करने की। उद्योगों पर तो पहले से ही कोरोना की मार पड़ी हुई है। ऐसे में मंत्रीजी के लिए नए ग्राहक ढूंढकर कहां से लाएं।

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