आतंकियों की धमकी बेअसर
05-Dec-2014 08:20 AM 1234801

जम्मू-कश्मीर में जब पहले चरण के चुनाव में 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ तो पाकिस्तान बौखला उठा और उसकी शह पर आतंकियों ने अरनिया नामक स्थान पर हमला बोल दिया। लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन कश्मीर के शांतिपूर्ण चुनाव से इतने घबरा गए हैं कि वे हर हाल में चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने अरनिया में हमला बोला है। उस वक्त नरेंद्र मोदी ऊधमपुर और पुंछ जिले में रैली कर रहे थे।

हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा ने यह हमला जानबूझ कर उस समय किया, जब भारत का प्रधानमंत्री कश्मीर में था। इस हमले से यह साफ हो गया कि जनता आतंकवादी संगठनों की धमकी से डर नहीं रही है, बल्कि वह भारत के लोकतंत्र की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। 70 प्रतिशत से ऊपर मतदान को लेकर पाकिस्तान में भी मायूसी है, वहां के अखबारों ने कश्मीर में पहली बार भाजपा सरकार बनने की संभावना जताई है। सार्क सम्मेलन में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के बीच जो तल्खी दिखी, उसे देखते हुए भी साफ अंदाजा लगाया जा सकता था कि कश्मीर में मोदी की रणनीति से पाकिस्तान परेशान है। चुनाव के जितने भी ऑपिनियन पोल हुए थे, उनमें भाजपा का पलड़ा भारी बताया जा रहा था। अब आतंकी हमले के बाद भाजपा को फायदा मिलने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन भाजपा के लिए कश्मीर आसान नहीं है, क्योंकि धारा-370 जैसे मुद्दों पर भाजपा के रुख को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।
कश्मीर के सुन्नी मुसलमानों का एक वर्ग किसी भी स्थिति मेें धारा-370 को खत्म करने के पक्ष में नहीं है। इसी कारण कश्मीर में ध्रुवीकरण की आशंका भी जताई जा रही है। जहां तक कश्मीर के बाकी राजनीतिक दलों का प्रश्न है, उनमें नेशनल कॉन्फे्रंस और कांग्रेस की हालत दयनीय है। जबकि पीडीपी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। अनुमान है कि पीडीपी या बीजेपी में से कोई एक मिली-जुली सरकार बना सकते हैं, किंतु बहुमत किसी को भी नहीं मिलेगा। यदि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो चुनाव बाद नेशनल कॉन्फें्रस भाजपा से हाथ मिला सकती है, यद्दपि यह भी सच है कि नेशनल कॉन्फें्रस से तालमेल भाजपा के एक धड़े को पसंद नहीं आएगा। इस धड़े का मानना है कि शिवसेना की तरह नेशनल कॉन्फें्रस भी सौदे बाजी कर सकती है।
राजनीतिक समीकरण अपनी जगह हैं फिलहाल तो सारी दुनिया की उत्सुकता तो इस बात में है कि कश्मीर में बाकी चार चरणों के चुनाव किस तरह संपन्न होते हैं। उधर आतंकी हमले के बावजूद प्रथम चरण के मतदान के सफलतापूर्वक संपन्न होने से उत्साहित सेना व सुरक्षाबलों ने दूसरे चरण के मतदान को कामयाब बनाने की तैयारियां तेज कर दी हैं। दूसरे चरण में कश्मीर की नौ सीटों के लिए होने वाले मतदान को सुरक्षित बनाने की रणनीति दक्षिण कश्मीर के खन्नाबल में सेना, सुरक्षाबलों व राज्य पुलिस के अधिकारियों की बैठक में तय हुई। दूसरे चरण में दो दिसंबर को अठारह सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें से नौ सीटें जम्मू संभाग व नौ कश्मीर संभाग की हैं। इन सीटों के लिए 175 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें से 53 निर्दलीय हैं। दूसरे चरण में जिन सीटों के लिए मतदान होना है उनमें कश्मीर संभाग की करनाह, कुपवाड़ा, लोलाब, हंदवाड़ा, लंगेट, नूराबाद, कुलगाम, होम-शालीबुग, देवसर व जम्मू संभाग की गुलाबगढ़, रियासी, गूल अरनास, उधमपुर, चनैनी, रामनगर, सुरनकोट, मेंढर, पुंछ हवेली, शामिल हैं।
मोदी ने रैलियों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 30 वर्षों से विकास एक ही स्थान पर रुका हुआ है। भ्रष्टाचार, लूट और भावनात्मक ब्लैकमेलिंग यहां के नेताओं की आदत बन चुकी है। प्रधानमंत्री ने राज्य में नई सरकार बनाने के लिए लोगों से भाजपा को स्पष्ट बहुमत देने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमने निर्णय किया है कि राज्य को जो भी जरूरत होगी उसे भेजने में वक्त जाया नहीं किया जाएगा, लेकिन मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि दिल्ली से भेजे गए हर रुपए को खर्च किया जाए।

  • धर्मेद्र कथूरिया

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