जयललिता पर केंद्र की कृपा
05-Dec-2014 03:05 PM 1234789

राजनीति की त्रिवेणी में से ममता बनर्जी तो केंद्र सरकार से वैसे ही खफा हैं, मायावती फिलहाल शून्य हैं, इसलिए जयललिता को साधने में ही भलाई है। शायद इसीलिए हाल ही में भ्रष्टाचार प्रकरण में जेल से बाहर निकलीं जयललिता को लुभाने के लिए मोदी सरकार ने अब उन्हें थोड़ी राहत देने का मन बनाया है। ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार जयललिता और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के बीच कोर्ट से बाहर समझौते कराने पर राजी हो गई है। जयललिता दो दशक पहले लगातार दो सालों तक (1991-92 और 1991-93) इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में नाकाम रही थीं। जयललिता के साथ इस मामले में उनकी सबसे विश्वसनीय पूर्व सहयोगी शशिकला नटराजन भी हैं।
अगस्त महीने में केंद्र सरकार ने जयललिता के आवेदन पर इस मामले में कमिटी गठित की थी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार का टैक्स डिपार्टमेंट और जयललिता के बीच बिना कोर्ट की अनुमति और हस्तक्षेप के समझौता हो सकता है। इस मामले में कमेटी ने जयललिता के पक्ष में फैसला दिया है। जयललिता और नरेंद्र मोदी अच्छी दोस्ती के लिए लंबे वक्त से जाने जाते हैं। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने 66 साल की नेता पर टैक्स अपराध मामले में चेन्नई हाई कोर्ट को मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था। जयललिता को अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिया है। जया 10 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट उन्हें दोषमुक्त करता है तभी वह चुनाव लड़ पाएंगी। वह इस बार तीन हफ्तों तक जेल में रहीं। फिलहाल बेल पर रिहा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जया से 10 दिसंबर तक अपील से जुड़े सभी दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह जमा करने में नाकाम रहती हैं तो फिर से उन्हें अरेस्ट किया जा सकता है।
गिरफ्तारी के बाद जया ने अपने सबसे भरोसेमंद पन्नीरसेल्वम को तमिलनाडु का सीएम बनाया।  दरअसल मोदी केंद्र में अपने विकल्प खुले रखना चाहते हैं। राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है, इसलिए जयललिता जैसे सहयोगियों का साथ होना जरूरी है। उधर शिवसेना जब-तब ऑखें तरेरती रहती है। जयललिता साथ आएंगी तो शिवसेना को नसीहत दी जा सकती है। सुनने में तो यह भी आया है कि बीजू जनता दल से भी तालमेल की कोशिश की जा रही है। जहां तक जयललिता का प्रश्न है, वे तमिलनाडु की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल लाभ की स्थिति में हैं। भाजपा को दक्षिण में अपना जनाधार बढ़ाना है, लेकिन तमिलनाडु में पैर जमाने में भाजपा को समय लगेगा। तमिलनाडु की राजनीति जयललिता और करुणानिधि के इर्द-गिर्द केंद्रित है, इसलिए राज्य में जयललिता को साथ लेना ज्यादा लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

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