महारानी को मिली मजबूती
05-Dec-2014 07:35 AM 1234800

स्थानीय निकाय के चुनाव में अभूतपूर्व जीत के कारण राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा फिलहाल टल गया। प्रदेश के 6 में 5 नगर-निगमों में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है।

भरतपुर में भी भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें पाईं लेकिन बहुमत नहीं मिला। यदि भरतपुर में भाजपा ने निर्दलीय पार्षदों के सहयोग से बोर्ड बना लिया, तो यहां भी कांग्रेस का सफाया हो जाएगा। 46 निकायों में 22 नवंबर को हुए चुनाव में भाजपा ने लगभग वैसी ही जीत हासिल की जिस तरह विधानसभा चुनाव जीता था।
गुलाब कटारिया के मार्फत भाजपा नीत राजस्थान सरकार में जिस परिवर्तन को हवा दी जा रही थी, वह परिवर्तन संभव नहीं हो पाया। पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि वसुंधरा को कमजोर करने के लिए भाजपा के कुछ भीतरघाती स्थानीय निकाय के चुनाव में असहयोग कर सकते हैं, जिसके चलते अनपेक्षित परिणाम सामने आ सकते हैं। लेकिन यह आशंका निर्मूल साबित हुई और भाजपा पहले की तरह संगठित होकर इन चुनाव में उतरी तथा उसे जीत भी मिली। जयपुर में भाजपा को हार की आशंका थी, लेकिन परिणामों ने कांग्रेस की जीत स्पष्ट कर दी। यही हाल उदयपुर में हुआ, यहां पर तो कटारिया ने अपने भाषण में यह तक कह दिया था कि जो अच्छा प्रत्याशी हो उसे वोट दें, चाहे वह कांगे्रस का ही क्यों न हो। लेकिन कटारिया की रणनीति वोटरों ने धराशाई कर दी और भाजपा को अधिक सीटें मिलीं। उदयपुर में भाजपा की पराजय से कटारिया लाभांवित हो सकते थे। उनकी स्थिति थोड़ी और सुदृढ़ हो जाती लेकिन भाजपा की जीत का श्रेय वसुंधरा को मिल गया, जिससे पार्टी के भीतर उनके विरोधी फिलहाल शांत हो गए हैं।
जोधपुर में कांग्रेस लगातार 3 बार से जीत रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा यहां दांव पर थी और उन्होंने जमकर प्रचार भी किया लेकिन यहां भी केसरिया लहर चल निकली। भरतपुर में 50 वार्डों में से 21 में निर्दलीय जीते हैं। भाजपा को 18 और कांग्रेस को 11 सीटें मिली हैं, यहां भी भाजपा का पलड़ा भारी है। कोटा में भाजपा ने एक तरह से क्लीनस्वीप करते हुए 65 में से 63 सीटें जीत लीं। बीकानेर में कांग्रेस को 60 में से कुल 16 सीटेंं ही मिलीं जबकि भाजपा ने 35 सीटें जीतकर बोर्ड बना लिया।
नगर पालिकाओं और नगर परिषद पर भी भाजपा छाई रही। ब्यावर, अलवर, भिवाड़ी, बांसवाड़ा, बाड़मेर, चित्तौडग़ढ़, चुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, पाली, सिरोही जैसी नगर परिषदों में से अधिकांश मेें भाजपा को बहुमत मिला या वह सबसे बड़ी पार्टी रही। टोंक, सीकर, मकराना, झुनझुनु, बाड़मेर, बालोतरा जैसी नगर परिषदों में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक रहा लेकिन नगर पालिकाओं में उसकी स्थिति दयनीय है।
भाजपा ने पुष्कर, छाबड़ा, मंगरौल, निंबोहेड़ा, रावतभाटा, राजगढ़, सूरतगढ़, भीनमाल, बिसाऊ, फलौदी, संगोद, सुमेरपुर, माउंटआबू, पिंडवाड़ा, शिवगंज, अमेठ, नाथद्वारा, कनौड़ जैसी नगर पालिकाओं में कांग्रेस का लगभग सफाया कर दिया है। पिलानी नगर पालिका में निर्दलियों का बहुमत है और कैथून एक मात्र ऐसी नगर पालिका है जहां कांग्रेस को बहुमत मिला है। इससे साफ जाहिर है कि 1 साल के शासन के दौरान भाजपा और महारानी का जादू चुका नहीं है, वह सर चढ़कर बोल रहा है और कांग्रेस के लिए यह चिंता का समय है।

  • आरके बिन्नानी

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