गहलोत, पायलट, चिदंबरम फंसे
10-Nov-2014 01:57 PM 1234963

राजस्थान में एम्बुलेंस घोटाला

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान एम्बुलेंस के टेंडर और बिल भुगतान में 2.56 करोड़ के फर्जीवाड़े की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कीर्ति चिदंबरम सहित 7 बड़े नाम आने के बाद अब सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रदेश सरकार के इस कदम के बाद इन तीनों के अतिरिक्त कुछ और बड़े लोगोंं की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री वायलर रवि के पुत्र रविकृष्णा, प्रदेश के पूर्व चिकित्सा मंत्री ए.ए. खान उर्फ दुर्रूमियां, तत्कालीन स्वास्थ्य निदेशक, एम्बुलेंस सेवा का संचालन करने वाली जिगित्सा हेल्थ केयर की प्रमुख श्वेता मंगल शामिल हैं।
यह नया घटनाक्रम कांगे्रस के इन नेताओं को परेशान इसलिए कर सकता है क्योंकि केंद्र में भी भाजपा ही सत्तासीन है। इसलिए सीबीआई से किसी प्रकार की दया या नरमी की अपेक्षा बेमानी ही साबित होगी। इस बहाने प्रदेश में कई और घोटाले भी खुल सकते हैं जिनसे परेशानी बढ़ेगी। कांग्रेस ने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया है लेकिन सच तो यह है कि यह घोटाला गहलोत सरकार के समय ही उजागर हो चुका था और इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व चिकित्सा मंत्री दुरू मियां सहित सात लोगों के खिलाफ जयपुर के पूर्व मेयर पंकज जोशी ने अशोक नगर पुलिस थाने मे मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने मामले की फाइल सीबी सीआईडी को भी सौंपी थी। 31 जुलाई 13 को दर्ज एफआईआई में आरोप लगाया गया था कि प्रदेश में 108 एम्बुलेंस सेवा के संचालन का ठेका जिगित्सा कंपनी को वर्ष 2011 में दे दिया था। राज्य में 691 एम्बुलेंस में से मात्र 134 एम्बुलेंस ही मरीजों की सेवा में हंै, जबकि 227 एम्बुलेंस बेकार खड़ी हैं। पूरे प्रदेश में जिगित्सा कंपनी को एम्बुलेंस का रखरखाव दे दिया था। जबकि इन एम्बुलेंस का उपयोग नहीं किया गया और फर्जी तौर पर भुगतान किया गया। 55 हजार चक्कर बताए गए जबकि वास्तव में 37 हजार चक्कर हुए। फर्जी चक्करों के दो करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान दिखाया गया। इसके अलावा फर्जी ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के बिल, ब्यूलेंस, इमरजेंसी बार सिस्टम मॉडल, छह बोल्ट बैट्ररी आदि का एक करोड़ 19 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया।
मामले की जांच तत्कालीन मुख्य सचिव सीके मैथ्यू ने बंद कर दी थी। यही नहीं तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाब नवी आजाद ने भी एक पत्र लिखकर स्वीकार किया था कि 108 एम्बुलेंस के ठेके में कंपनी ने गड़बड़ी है और इसकी जांच की जानी चाहिए. यह मामला विधानसभा में भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने उठाया था उस समय भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वीकार किया था कि एम्बुलेंस के रखरखाव में गड़बड़ी करने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन बाद में इस मामले को दबा दिया गया था।
वसुंधरा राजे ने इस मामले को अब सीबीआई को सौंपा है। उपचुनाव की पराजय के बाद वसुंधरा थोड़ी चिंतित भी हैं और राजनीतिक रूप से भी उन्हें अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। इन सब से ध्यान हटाने के लिए यह जांच चालू की गई है लेकिन कांग्रेस ने कहा है कि वसुंधरा के पूर्व कार्यकाल में हुए घोटालों की भी जांच होनी ही चाहिए। सवाल यह है कि 5 साल तक कांग्रेस क्या कर रही थी? इसी कारण अब यह कहा जा रहा है कि इन मामलों मेें ज्यादा कुछ सामने आने वाला नहीं है बल्कि  ये मामले लम्बे समय तक चलते रहेंगे। जहां तक एम्बुलेंस के फर्जी बिलों की बात है यह गोरखधंधा तो अभी भी जारी है।

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