18-Feb-2015 12:53 PM
1234864
जस्थान में पंचायत चुनाव के परिणामों ने वसुंधरा राजे को राहत की सांस लेने का मौका दिया है। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा उपचुनाव में

भाजपा की पराजय ने वसुंधरा को परेशान किया था। मोदी-शाह की जोड़ी और उधर आरएसएस की नाराजगी भी वसुंधरा के लिए परेशानी का विषय बन चुकी थी, लेकिन पंचायत चुनाव के परिणाम भी लगभग नगरीय निकाय के चुनाव जैसे ही रहे हैं। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस बहुत मजबूत है, इसीलिए यह आशंका जताई जा रही थी कि भाजपा पंचायत चुनाव में पिछड़ सकती है। लेकिन भाजपा ने पंचायत चुनाव में भी बढ़त बनाई और ग्रामीण क्षेत्रों में वह कांग्रेस से आगे रही। इस जीत के बाद दिल्ली के नेताओं के तेवर भी नरम पड़ेंगे और उधर भाजपा के स्थानीय नेताओं पर वसुंधरा की पकड़ मजबूत बनेगी।
वसुंधरा के लिए यह अच्छी बात है कि राजस्थान के पंचायत चुनावों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपना परचम लहराया है। जिला परिषद की कुल 1014 सीटों में से घोषित 880 नतीजों में से भाजपा ने 511 सीटें हासिल की हैं, जबकि कांग्रेस के हिस्से 349 सीटें आई हैं। पंचायत समिति की कुल 6236 सीटों में से अब तक घोषित 6069 सीटों में से भाजपा 2962 पर काबिज रही, वहीं 2494 सीटें जीतकर कांग्रेस ने भी बराबर की टक्कर दी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अब तक 38, बसपा ने 26 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 548 सीटों पर जीत दर्ज की है। ये चुनाव काफी दिलचस्प रहे। राज्य सरकार के एक अध्यादेश ने सरपंच का चुनाव लडऩे के लिए आठवीं और जिला परिषद का सदस्य बनने के लिए दसवीं पास होना जरूरी कर दिया था। इस कारण बहुत से वरिष्ठ नेता चुनावी दौड़ से बाहर हो गए।
कई पूर्व सरपंचों को चुनाव न लड़ पाने की कसक रही। नई शर्त ने उनकी राह रोक दी। तीन चरणों में हुए मतदान में प्रदेश के एक लाख 7 हजार 707 वार्ड पंचों के लिए हुए 46 हजार 867 पंच और करीब 260 सरपंच निर्विरोध चुने गए. दिलचस्प पहलू यह है कि राज्य में 13 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहाँ निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं होने के कारण सरपंच की कुर्सी खाली ही रह गयी। वार्ड पंचों की भी 542 सीटें खाली रहीं। कुछ स्थानों पर सरपंच पद पर हारे हुए प्रत्याशी की भी हौसला अफजाई की गई। जोधपुर में अपने प्रत्याशी की हार से आहत समर्थकों ने चंदा कर उन्हें 11 लाख रुपए की माला भेंट की। संगरिया में भी पराजित उम्मीदवार को पांच लाख रुपए भेंट किए गए। शिक्षा की अनिवार्यता के कारण कई जगहों पर बुजुर्गों ने शिक्षित बहुओं को भी आगे किया। जालौर के बूगाँव पंचायत में शिक्षित प्रत्याशी नहीं मिलने के कारण 11वीं कक्षा के छात्र 21 वर्षीय विजय सरपंच चुने गए। मुख्यमंत्री राजे के पूर्व संसदीय क्षेत्र झालावाड में उनका दमखम बरकरार रहा। जिला परिषद की 27 में से 23 सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा किया।
राजस्थान में भी सूर्य नमस्कार
मध्यप्रदेश में सूर्यनमस्कार तो विवादित था ही लेकिन राजस्थान में भी यह विवादित हो गया है, कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। वसुंधरा राजे इसे सेहत से जोड़ रही हैं, लेकिन इससे माहौल गर्मा गया है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने माहौल बदलने की कोशिश की है। सवाल यह है कि केवल भाजपा शासित राज्यों में ही इस तरह की पहल क्यों की जा रही है, बाकी राज्यों में क्यों नहीं? इस पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि इसे आरएसएस या हिंदूवादी विचारधारा से जोड़कर ना देखा जाए। राज्य सरकार का मकसद स्कूली बच्चों को स्वस्थ और सेहतमंद बनाना है। राजे ने कहा कि हमारा मकसद राजस्थान के बच्चों को सूर्यनमस्कार के जरिए एक अच्छी आदत से जोड़कर स्वास्थ बनाना था। लोग इस मसले पर राजनीति कर रहे हैं। यह मसला राज्य सरकार के लिए राजनीति से पूरी तरह अलग है। सभी को बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से एक साथ आना चाहिए।
राज्य सरकार शिक्षा संबंधी सभी कार्यक्रमों को किसी भी तरह के एजेंडे की शक्ल नहीं देना चाहती। इसीलिए वसुंधरा के ही इशारे पर यूपी की तरह राजस्थान में भी लेपटॉप बांटे जा रहे हैं। किंतु उन लेपटॉप में वसुंधरा राजे की तस्वीर नहीं है। इसका कारण शायद यह है कि राज्य सरकार पहले से ही बन गए माहौल को और ज्यादा बिगाडऩा नहीं चाहती। उत्तरप्रदेश में लेपटॉप ने अखिलेश यादव को युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया था, अब राजस्थान में 27 हजार 900 छात्र-छात्रांओं को लेपटॉप दिया जा रहा है। इसके लिए जिला स्तर पर मैरिट सूची भी तैयार की जाएगी। स्वाइन फ्लू की समस्या से जूझ रहे राजस्थान में वसुंधरा ने कुछ अलग पहल करके जनता को राहत देने की कोशिश की है। लेकिन स्वाइन फ्लू पर जो रणनीति सरकार ने अपनाई थी वह पूरी तरह फैल रही है। पहले से इंतजामात नहीं किए गए और स्वाइन फ्लू ने खतरनाक रूप धारण कर लिया। विश्लेषकों का मानना है कि स्वाइन फ्लू पर प्रभावी उपाय किए जाते तो वसुंधरा पंचायत चुनाव में और भी बेहतर प्रदर्शन करतीं।
-जयपुर से आरके बिन्नानी