जीतनराम का इतिहास बोध
05-Dec-2014 07:24 AM 1234793

बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सवर्णों को विदेशी बताते हुए जानकारी दी है कि सवर्ण विदेशी और आर्यों के वंशज हैं। मांझी के इस विवादित बयान ने जनता दल यूनाइटेड की परेशानी बढ़ा दी। दरअसल नीतिश कुमार भाजपा की काट तलाशने के लिए तमाम समुदायों और दलों को यूनाइटेड करने की कवायद पर जुटे हुए हंै, लेकिन उनकी चरण पादुकाएं रखकर बैठे मुख्यमंत्री इस अभियान को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। मांझी ने पिछले दिनों कई बयान दिए जिनसे भारी परेशानी उत्पन्न हुई।

जनता दल यूनाइटेड के भीतर ही घमासान मच गया। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने मुख्यमंत्री के बयान से पूरी तरह असहमति जताई। एक अन्य नेता संजय झा ने तो मांझी पर कार्रवाई करने की मांग ही कर डाली। उधर पूर्व विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने आरोप लगाया कि नीतिश कुमार समाज को तोडऩा चाहते हैं। मुख्यमंत्री बनने से वंचित रह गए वरिष्ठ नेता शरद यादव ने उन्हें सोच-समझकर संयमित बयानबाजी करने की सलाह दी। अनन्त सिंह ने कहा कि सीएम पागल है, वह सीएम बने रहने के लायक नहीं है।
नीतिश कुमार को लग रहा है कि मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने अपने गले में हड्डी डाल ली है। नीतिश कुमार की इस परेशानी की पुष्टि तब हुई, जब नीतिश की पसंद के दो अफसरों को मांझी ने चलता कर दिया। दरअसल जनता दल यूनाइटेड जिस मूल पार्टी से निकला है, उसके  स्वाभाव में साथ रहना ही नहीं है। हर नेता अपने आप को सबसे बड़ा समझता है। पार्टी अध्यक्ष शरद यादव दिखावे के अध्यक्ष हैं, उनकी ताकत नगण्य है। बिहार के भीतर की राजनीति में शरद यादव शून्य हो चुके हैं, लेकिन नीतिश ने उन्हें सौजन्यवश अध्यक्ष बनाया हुआ है। ऐसे में मांझी को जो नसीहत दी गई है वह कितनी असरकारी होगी, कहा नहीं जा सकता। मांझी अपनी मनमर्जी से सरकार चला रहे हैं और नीतिश के नियंत्रण से भी बाहर हैं। कुछ समय पूर्व मधुबनी जिले के एक मंदिर से दर्शन करके लौटने के बाद मांझी ने कहा था कि उस मंदिर को सवर्णों ने धुलवाया था क्योंकि वे (मांझी) उस मंदिर में गए थे।
मंदिरों में साफ-सफाई होती रहती है। कई मंदिर ऐसे हैं जिन्हें दिन में तीन-चार बार धोया जाता है, इसका मकसद यह है कि धर्म स्थल गंदा न हो। लेकिन मांझी ने जिस तरह जातिवादी भेद-भाव का आरोप लगाते हुए जांच के आदेश दिए हैं, उसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है लेकिन मांझी की बयानबाजी जारी है। उन्होंने 19 नवंबर को एक और विवादस्पद बयान दिया और कहा कि यदि केंद्र सरकार बिहार के हितों की उपेक्षा करती है तो मोदी कैबिनेट में शामिल बिहार के सातों मंत्रियों को घुसने नहीं दिया जाएगा। मांझी का यह बयान देश के संघीय ढांचे पर सीधा प्रहार था। मांझी ने बयान देने के बाद इसे एक मीठा मजाक बताकर माहौल हलका करने की चेष्टा की। जब उनकी बयानबाजी से तंग आकर मांझी को पार्टी ने चुप रहने की सलाह दी तो उन्होंने कहा कि मैंने बिना नकल किए 1966 में ग्रेजुएशन किया था मेरे पास उनसे ज्यादा ज्ञान है।

कौन हंै आर्य
आर्य का अर्थ होता है श्रेष्ठ। इस दृष्टि से चाहे वह दलित हो या सवर्ण या महादलित। यदि वह दूसरे लोगों के मुकाबले श्रेष्ठ है तो उसे आर्य कहा जाएगा। यह जातिसूचक शब्द नहीं है बल्कि यह संबोधन उन लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी मेधा, प्रखरता और परिश्रम के बल पर दूसरों के मुकाबले बेहतर जगह समाज में बना ली है। अनार्य का अर्थ होता है जो आर्य नहीं है। आर्य को विदेशी माना जाता है। उनके मूल स्थान पर बड़ी-बड़ी किताबें लिखी गयी हैं। तिलक कहते हैं, वे उत्तरी धु्रव से आये थे। उन्होंने अपनी पुस्तक आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज में लंबी रातें और लंबे दिनों का विवरण दिया है। कुछ ऋचाएं भी उन्होंने ढूंढी हैं जो ध्रुवीय या आस पास के प्रदेश का ही विवरण देती हैं। वहीं से किसी दैवी आफत के कारण पलायन हुआ और एक काफिला भारत में हिन्दुकुश से प्रवेश कर गया।

  • पटना से आर.एम.पी. सिंह

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