स्वच्छता अभियान से जुड़े नवरत्न
21-Nov-2014 03:14 PM 1234768

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में अपने स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत नौ रत्नों को चुना है। अपने काशी दौरे के दूसरे दिन मोदी ने अखिलेश के साथ ही भाजपा सांसद व भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी समेत कला, साहित्य, संस्कृति और खेल से जुड़े लोगों को अभियान से जोड़कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। नवरत्नों की सूची तैयार करते समय सामाजिक और जातिगत समीकरण का भी मोदी ने पूरा ख्याल रखा।
क्रिकेटर सुरेश रैना और गायक कैलाश खेर ने इस जिम्मेदारी को अपना सम्मान बताते हुए स्वीकार कर लिया लेकिन अखिलेश इससे जुड़े सवालों को मुस्कुरा कर टाल गए। मोदी ने अस्सी गंगा पूजन के बाद घाट पर सफाई की। इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने यूपी में सफाई अभियान के लिए अपने नवरत्नों के नाम का ऐलान किया। 2017 में यूपी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा अभी से ही यूपी चुनाव की तैयारी में जुट गई है। मनोज तिवारी को अभियान से जोडऩा इसी का हिस्सा है। पूर्वांचल सहित बिहार और झारखंड के बड़े हिस्से में मनोज की गायकी और उनकी अदाकारी को पसंद करने वालों की भारी जमात है। भोजपुरी भाषियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए मोदी ने रणनीति के तहत मनोज को यूपी में मिशन क्लीन के लिए चुना है। सफाई अभियान का हिस्सा बनते ही यूपी में पार्टी के कार्यक्रमों में मनोज की सहभागिता बढ़ेगी। पार्टी उनके स्टारडम को झारखंड विधानसभा के चुनाव में भी भुनाने की पूरी कोशिश करेगी।
युवाओं को स्वच्छता अभियान से जोडऩे के लिए मोदी ने युवाओं के रोल मॉडल क्रिकेटर सुरेश रैना, मोहम्मद कैफ, सूफी गायक कैलाश खेर, हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव को नवरत्नों में शामिल किया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सामाजिक संगठनों ने विश्वास दिलाया है कि आगामी एक माह में काशी के घाट पूरी तरह से चमकने-दमकने लगेंगे। कहीं गंदगी नहीं होगी। क्रिकेटर सुरेश रैना ने स्वच्छ भारत अभियान से जुडऩे पर खुशी जताते हुए कहा कि स्वच्छता अभियान को एक बड़े सपने के तौर पर शुरू किया गया है लेकिन यह हमारा मिशन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीलंका के साथ एक दिवसीय मैचों की शृंखला खत्म होते ही वह साथियों समेत इसमें जुड़ जाएंगे।
मुलायम के नेतृत्व में जनता परिवार?

भानुमति का कुनबा एक बार फिर जुडऩे को बेताब है, लेकिन इस बार लक्ष्य कांगे्रस नहीं भाजपा है। किसी प्रेमी के दिल की तरह जिस जनता परिवार के सैंकड़ों टुकड़े हो गए थे। वे अब पुन: साथ आने की मंशा रखते हैं। यद्यपि इस मंशा को लेकर भी संशय है, लेकिन झारंखड में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रयोग के तौर पर लालू, नीतिश, मुलायम, कांगे्रस को साथ लेते हुए भाजपा के खिलाफ एकमुश्त चुनावी प्रचार करें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह सभी दल लंबे समय से विकल्प बनने के लिए बेताब हैं, इनकी खासियत यह है कि भारतीय लोकतंत्र की त्रिवेणी माया, ममता व जयललिता का इनमें समावेश नहीं है। इसलिए जनता परिवार की अवधारणा सत्य होते हुए भी परवान नहीं चढ़ पा रही है।
दिल्ली में मुलायम के घर पर लंच के दौरान जदयू नेता नीतीश कुमार, शरद यादव और राजद प्रमुख लालू यादव, जनता दल (एस) के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला के अलावा समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) के कमल मोरारका भी मौजूद थे, यह मौजूदगी औपचारिक बातचीत से आगे नहीं बढ़ी पर नीतीश ने संकेत दिया कि यह सब दल एक पार्टी के तौर पर जनता के सामने आ सकते है। लंच के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया को बताया, अभी हमने मिलजुलकर काम करने का फैसला किया है। जहां तक विलय का सवाल है, हम एक पार्टी की तरफ बढ़ सकते हैंÓ वहीं, लालू ने कहा, मुलायम, शरद यादव, चौटाला की पार्टियां समान ही हैं। लेकिन हमारा वोट बंटने से भाजपा को फायदा मिला।Ó
मुलायम सिंह यादव ने गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस दलों के नाम पर जितने भी आयोजन किए हैं, उनमें लेफ्ट पार्टियां साथ रहीं। साथ ही तृणमूल कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीजेडी भी मौजूद रहे हैं। लेकिन इस बार इनका कोई प्रतिनिधि मुलायम के घर पर आयोजित लंच में मौजूद नहीं था। नीतीश ने कहा, नए समूह में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की भूमिका पर चर्चा हुई। लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। लेफ्ट पार्टियों से जुड़े प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, समान सोच रखने वाली सभी पार्टियों से समय आने पर संपर्क किया जाएगा।Ó गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के पहले भी गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस दलों ने तीसरा मोर्चा बनाने साथ आने की कोशिश की थी।
राज्यसभा में ताकतवर
जिन छ: पार्टियों ने साथ आने की पहल की है, उनके लोकसभा में 15 सदस्य हैं। सपा के पांच, राजद के चार और आईएनएलडी, जेडीयू जेडीएस के दो-दो। यहां तो सरकार पर हावी होना मुश्किल है, लेकिन राज्यसभा में ताकत ज्यादा है। वहां इनके 25 सदस्य हैं। जेडीयू के 12, सपा के 10 और जेडीएस, राजद आईएनएलडी का एक-एक। कांग्रेस या इस नए समूह की सहमति के बिना सरकार कोई भी बिल राज्यसभा से पारित नहीं करा पाएगी।

लोकसभा चुनावों में इन सभी क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। सभी के सामने अस्तित्व का
संकट है।
एकजुट रहकर ही ये दल राष्ट्रीय राजनीति में उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। अपनी राज्य सरकारों को मजबूती दे सकते हैं।
लालू-नीतीश ने साथ आकर बिहार विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को रोका था। आगे भी साथ रहने की मंशा जता रहे हैं।

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