पौ फटी धूप का दरिया निकलारास्ता आँख झपकता निकलाजि़स्म की क़ैद से साया निकलाउम्र भर जागने वाला निकलानींद की बस्ती में पिछली शब मेंफिर वही ख़वाब पुराना निकलाहोंठ पर इस्मे मोहम्मद बनकरख़ाना-ए-दिल से उजाला निकलावो मेरी तरह दुखी है शायदइक सितारा लबे दरिया निकला