20-Nov-2014 01:36 PM
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अगस्त 2010 से लेेकर अब तक भारतीय नौसेना के 6 बड़े युद्धपोत जल समाधि ले चुके हैं। युद्ध की दशा में युद्धपोतों का डूबना दुश्मन की चाल हो सकती है लेकिन शांतिकाल में जब युद्धपोत डूबते हैं तो चिंता अवश्य होती है कि किसी आपात स्थिति में हमारी नौसेना के क्या हालात होंगे? बहरहाल हाल ही में जब नौसेना का एक छोटा पोत टारपीडो रिकवरी वेसेल ए-72 विशाखापत्तम बंदरगाह के निकट डूब गया तो जहाजों की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया। इस हादसे में एक नौसैनिक की मौत हो गई और चार अन्य लापता हो गए।

नौसेना के प्रवक्ता के मुताबिक यह पोत नियमित अभ्यास के लिए निकला था। इसी दौरान इसके एक कंपार्टमेंट में पानी भरने लगा, इसके कारण वह डूब गया। हादसे के समय पोत पर कुल 28 लोग सवार थे।
पोत पर सवार 23 कर्मियों को सुरक्षित बचा लिया गया था। लापता लोगों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर खोज अभियान चलाया जा रहा था। इस जहाज को 1983 में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में बनाया गया। यह पिछले 41 वर्षो से नौसेना को अपनी सेवाएं दे रहा था। भारत के पास ज्यादातर पुराने जहाज हैं या फिर वे जहाज हैं, जो विदेशों से पुराने होने पर खरीदे गए हैं और उन्हेें मोडिफाई कराया गया है। इतनी विशाल सेना होने के बावजूद भारत नौसेना के मामले में दुनिया की ताकतों के मुकाबले काफी पीछे है। इस मामले में चीन भारत से बहुत आगे है और उसने पाकिस्तान, श्रीलंका सहित तमाम देशों में अपनी नौसेना को तैनात कर रखा है जबकि सच्चाई तो यह है कि भारत के मुकाबले चीन की कोस्ट लाइन कुछ भी नहीं है। चीन भारत से समुद्री सीमा में कमजोर होने के बावजूद नौसेना की ताकत की दृष्टि से लगातार ताकतवर होता जा रहा है जबकि भारतीय नौसेना में हादसों का रिकार्ड लगातार बढ़ रहा है।
इससे पहले भी आईएनएस सिंद्धुरक्षक पनडुब्बी में बलास्ट होने से 10 नौसेनिकों की मौत हो गई थी। इसके अलावा फरवरी 2014 में आईएनएस सिंद्धुरत्ना में आग लगने की वजह से दो नौसेना अधिकारियों की मौत हो गई थी। वर्ष 2011 में मालवाहक जहाज से टकराने के बाद भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस विंध्यागिरी डूब गया था। मुंबई बंदरगाह के पास स्थित सन रॉक लाइटहाउस के पास आईएनएस विंध्यागिरी की साइप्रस के मर्चेंट शिप एमवी नॉर्डलेक से टक्कर हो गई थी। उस समय इस युद्धपोत पर नौसैनिकों के परिवार और कुछ नागरिक भी मौजूद थे। ये सी टूर पर गए थे। घटना के समय युद्धपोत वापस लौट रहा था और मर्चेंट शिप मुंबई बंदरगाह से बाहर निकल रहा था। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि आईएनएस विंद्यागिरी में छेद हो गया था। हादसे के बाद जहाज को नेवी के डॉकयार्ड में लाया गया।
ऐसे हादसे आमतौर पर होते रहे हैं। इस साल भी मई माह में आईएनएस गंगा के बॉयलर टैंक में धमाका होने के कारण तीन कर्मचारी बुरी तरह घायल हुए, ये धमाका भी मुंबई में ही हुआ था। ऐसी घटनाओं के बाद अक्सर जांच-पड़ताल की जाती है, जिनमें यह कहा जाता है कि मानवीय चूक के कारण यह घटनाएं घटी हैं लेकिन जिन निर्दोषों की जान जाती है उनके परिजन कभी दुख से नहीं उबर पाते। अमेरिका में जब कटरीना तूफान आया, उस वक्त समुद्र में खड़े एक बड़े युद्धपोत का बाल भी बांका नहीं हुआ लेकिन भारत में तो सामान्य दिनों में ही यह घटनाएं घट रही हैं।
पहले भी हुई टक्कर
- मार्च 2010 में कोस्ट गार्ड शिप विवेक पनापा के जहाज ग्लोबल प्यूरिटी से टकराकर डूबा
- अगस्त 2010 में मुंबई बंदरगाह पर एमएससी चित्रा और एमवी खालिजा की टक्कर हुई
- अगस्त में ही इंदिरा डॉक्स पर दो जहाज टक्कर के बाद डूब गए