20-Nov-2014 04:57 AM
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मोदी सरकार के सत्तासीन होते ही पैट्रोल और डीजल की कीमतें तो गिर गईं हैं लेकिन महंगाई वहीं की वहीं है। जहां तक सब्जियों के दाम हैं वे तो सर्दी के सीजन में वैसे भी घट जाते हैं, पर इस बार आलू-प्याज ने जो तेजी पकड़ी थी वह अभी तक बरकरार है और आने वाले दिनों मेें

इससे कोई निजात मिलती दिखाई नहीं दे रही।
सरकार ने गैस महंगे दाम पर खरीदना शुरू कर दी है इसलिए अब यह आशंका भी लग रही है कि आने वाले दिनों में घरेलू गैस महंगी होते-होते कैश सब्सिडी भी सीधे ट्रांसफर होने लगेगी, जिससे उपभोक्ताओं को नई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जहां तक डीजल और पैट्रोल की कीमतों का प्रश्न है, यह बाजार के हवाले हैं और किसी भी वक्त बढ़ सकती हैं। इनकी बढ़ोत्तरी से बाजार में उथल-पुथल मचना तय है। ऐसी स्थिति में बाजार को संभालने के लिए सरकार क्या रणनीति अपनाएगी कहा नहीं जा सकता। लेकिन सरकार ने महंगाई पर काबू करने का
जो वादा चुनाव के वक्त किया था, वह पूरा होता दिखाई नहीं देता।
डीजल की कीमतें पिछले 20 दिनों में करीब 6 रुपए प्रति लीटर तक सस्ती हुई हैं। लेकिन उम्मीद के मुताबिक अब तक रिटेल महंगाई में कोई कमी नहीं आई है। इसकी मुख्य वजह ट्रांसपोर्टर्स की ओर से डीजल के दाम घटने के बावजूद किराए के ट्रैरिफ में कोई बदलाव नहीं करना है। एक अनुमान के मुताबिक एग्री कमोडिटी में करीब 5 फीसदी हिस्सा ट्रांस्पोर्टेशन कॉस्ट का होता है। जिसकी वजह से डीजल के दाम गिरने के बाद महंगाई में कमी की उम्मीद थी। हर महीने 50 पैसे की बढ़ोतरी का पिछली सरकार का फैसला डीजल की कीमतों को 10 रुपए से ज्यादा तक बढ़ाया गया। जिसके चलते ऑपरेटिंग कॉस्ट में जबरदस्त इजाफा हुआ था। इसके साथ-साथ टायर और एंसलरी की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी आई है जिसकी वजह से लागत काफी बढ़ गई है। रिटेल महंगाई पर डीजल की कीमतों का ज्यादा असर भले न दिखे, लेकिन थोक महंगाई पर इसका असर दिखना तय है। थोक विक्रेता बड़े स्तर पर डीजल की कीमतों में गिरावट के बाद ट्रांस्पोर्टर्स से मोलभाव कर सकते हैं। जिसकी वजह से थोक महंगाई में गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन रिटेल स्तर पर इसका असर काफी कम होगा।
यह कहते हैं अर्थशास्त्री
डीजल कीमतों में आई कमी से आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आने की उम्मीद है। लेकिन इसका फायदा आम जनता को तभी मिलेगा जब ढुलाई भाड़े और रेलवे के किरायों में कमी हो। इसके अलावा डीजल कीमत कम होने से कंपनियों की कॉस्ट भी कम होगी। सरकार को भी किराया घटाने के लिए दबाव बनाना चाहिए।
- यशवीर त्यागी, अर्थशास्त्री
सरकार ने बढ़ाए गैस के दाम
कभी मनमोहन सरकार के समय गैस के दाम बढऩे पर भारी हंगामा हुआ था, केजरीवाल ने तो दिल्ली में पत्रकार वार्ता करके सरकार को एक्पोज किया था। लेकिन अब केजी बेसिन में रिलायंस से गैस खरीदने की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी है। इस मामले में केजी-डी-1, डी-3 और केजी-डीडब्लू 98-3 में रिलायंस द्वारा निकाली जा रही गैस की निर्धारित कीमतें इस वक्त 4.2 डॉलर प्रति मिलियन बीटीयू है। अब केन्द्र सरकार ने गैस की नयी कीमतें निर्धारित करते हुए इसे बढ़ाकर 5.61 डॉलर प्रति मिलियन बीटीयू कर दिया है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ किया है कि ये बढ़ी कीमतें ठेकेदार (रिलायंस) को तब तक नहीं दी जाएंगी जब तक कि वह उत्पादन नहीं बढ़ाता है और घाटे को पूरा नहीं करता है। यूपीए सरकार के दौरान बनी रंगराजन कमेटी ने गैस की कीमतों को बढ़ाकर 8.4 डॉलर करने का सुझाव दिया था जिसपर जमकर हंगामा हुआ था। सरकार इन कीमतों की अब आगामी 1 अप्रैल 2015 को समीक्षा करेगी। गैस के ही मामले में सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कैबिनेट ने निर्णय किया कि नार्थ ईस्ट रीजन में गैस उत्पादन में लगी कंपनियों को 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती रहेगी।