श्रीनिवासन को थी सट्टेबाजी की जानकारी?
19-Nov-2014 05:52 AM 1234821

मैच फिक्सिंग में गुरुनाथ मयप्पन सहित 13 नाम

आईसीसी के चैयरमेन और क्रिकेट की दुनिया के बेताज बादशाह एन श्रीनिवासन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ राहत की सांस ली होगी लेकिन उनके दामाद सहित उन 13 लोगोंं की रात की नींद हराम है, जो सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई जांच पैनल द्वारा कथित रूप से दोषी करार दिए गए हैं। मुद्गल कमेटी की इस रिपोर्ट में कुल 13 नाम हैं। श्रीनिवासन दोषमुक्त घोषित किए जा चुके हैं तो राज कुन्द्रा, सुन्दर रमन और श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है।

श्रीनिवासन को क्लीनचिट मिली है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि केवल नाम शामिल होने मात्र से कोई दोषी नहीं ठहराया जा सकता। नाम जिस व्यक्ति का है, उसे क्लीनचिट भी मिल सकती है। किंतु इस महाघोटाले में जनता को 24 नवंबर का इंतजार है, जब बीसीसीआई द्वारा आईपीएल फिक्सिंग में सुप्रीम कोर्ट कुछ और नाम उजागर करने वाला है। मुद्गल कमेटी की 35 पन्ने की रिपोर्ट में श्रीनिवासन के बारे में कहा गया है कि वे मैच फिक्सिंग में शामिल नहीं थे, उन्हें और आईपीएल के सीईओ सुन्दर रमन को सट्टेबाजी की जानकारी थी लेेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
मीडिया के एक वर्ग ने श्रीनिवासन को मिली क्लीनचिट का प्रचार कुछ इस तरह से किया है, मानो वे मैच फिक्सिंग के दोष से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं। सच तो यह है कि फिक्सिंग की जानकारी होते हुए भी कार्रवाई न करना एक बड़ा अपराध है और इस अपराध के चलते श्रीनिवासन को बीसीसीआई अध्यक्ष पद के चुनाव से फिलहाल दूर ही रखा जाए तो उचित होगा। लेकिन जिस तरह सारा क्रिकेट जगत और क्रिकेट प्रशासक एन श्रीनिवासन को बचाने की कवायद कर रहे हैं, उससे यह साफ है कि श्रीनिवासन शीघ्र ही बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर विराज जाएं। यदि ऐसा हुआ तो क्रिकेट के लिए यह एक घातक दिन होगा। बताया जाता है कि स्पॉट फिक्सिंग में भारत, वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के 5 खिलाड़ी भी शामिल हैं। लेकिन इन 5 नामों को शायद 24 नवंबर के बाद जारी किया जा सकता है। इन्हें अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए 4 दिन का समय दिया गया है। आईपीएल फिक्सिंग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य वर्मा का कहना है कि जब तक 5 बड़े नाम सार्वजनिक नहीं हो जाते स्पॉट फिक्सिंग का मामला सुलझेगा नहीं।
आईपीएल 6 के दौरान स्पॉट फिक्सिंग करने वाले एस श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण के साथ-साथ बिंदू दारा सिंह को जब गिरफ्तार किया गया था, तो भविष्यवाणी की गई थी कि मैच फिक्सिंग में छोटी मछलियों को जाल में फंसाकर छोड़ दिया जाएगा। आज कुछ-कुछ ऐसा ही लग रहा है। बिंदू दारा सिंह और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री तथा वहां की क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने तो कहा है कि क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता दे देनी चाहिए। सवाल यह है कि श्रीनिवासन सब कुछ जानते-बूझते हुए भी क्यों निर्दोष करार दिए गए हैं? जिस व्यक्ति को स्पॉट फिक्सिंग की जानकारी थी और वह जानकारी होने के बावजूद मुंह मोड़कर बैठ गया था, उस व्यक्ति को क्लीनचिट कैसे दी जा सकती है?
अपराध में सहभागी होना या अपराध करना वैसा ही है जैसा अपराध होते देखकर प्रतिकार न करना या मुंह मोड़ लेना। श्रीनिवासन एक ऐसी पोजीशन पर थे, जहां वे अनुशासनात्मक कदम उठा सकते थे। लेकिन उन्होंने आंखें मूंदें रखीं। जस्टिस मुकुल मुद्गल समिति ने जो कि इस मामले की छानबीन कर रही है, स्पष्ट कहा है कि श्रीनिवासन को इस गोरखधंधे की जानकारी थी। इसलिए श्रीनिवासन का यह फर्ज बनता है कि वे जनता को और क्रिकेट जगत को बतलाएं कि उन्होंने सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी क्यों ओड़ ली थी? वे किस दबाव में थे? क्या वे अपने दामाद की करतूतों पर पर्दा डालना चाह रहे थे?
कमेटी ने अक्टूबर माह में भारतीय क्रिकेट टीम तथा चैन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से 4 घंटे पूछताछ की थी। इस पूछताछ का जिक्र भी 35 पन्नों की रिपोर्ट में है। क्रिकेटर सुरेश रैना भी पूछताछ के दौर से गुजर चुके हैं और धोनी के मैनेजर अरुण पांडे से भी कमेटी ने पूछताछ की है। धोनी की कंपनी रीति स्पोर्टस भी जांच के दायरे में है। जिससे सुरेश रैना, रवीन्द्र जडेजा और भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी जुड़े हुए हैं। जांच करने वाली पैनल में जस्टिस मुद्गल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एल नागेश्वर और एडव्होकेट निलय दत्ता के साथ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बीबी मिश्रा भी सहयोग कर रहे हैं। लेकिन यह जांच अभी प्रारंभिक स्तर तक पहुंची है। जो नाम सामने आए हैं, वे तो केवल मोहरें हैं। असली खिलाड़ी तो पर्दे के पीछे हो सकते हैं।
जहां तक श्रीनिवासन का प्रश्न है, उन्हें क्लीनचिट मिले या न मिले लेकिन उनके दामाद मयप्पन का शामिल होना ही श्रीनिवासन के लिए शर्मनाक और संदिग्ध है। गुरुनाथ चेन्नई सुपर किंग्स में अहम अधिकारी पद रह चुके हैं और वर्ष 2013 में आईपीएल के दौरान हुई सट्टेबाजी में गुरुनाथ का भी हाथ था। अगर ऐसा हुआ तो यह खुलासा न केवल गुरुनाथ पर भारी पड़ेगा, बल्कि सीएसके के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा देगा। इस साल की शुरुआत में आईपीएल सट्टेबाजी मामले में शुरुआती जांच के बाद मुद्गल कमेटी ने 12 खिलाडिय़ों और अधिकारियों के नाम सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को दिए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल नार्कोटिक्स ब्यूरो डिप्युटी डयारेक्टर बीबी मिश्रा को मामले में जांच करने के आदेश दिए थे। मुंबई की जिस फोरेंसिक लैब में टैप किए गए कथित फोन कॉल्स की जांच हो रही है वहां से विश्वस्नीय सूत्रों से पता चला है कि फोन पर वह आवाज मयप्पन की ही है और वे बिंदू दारा सिंह से बात कर रहे हैं।
मुंबई पुलिस ने असल में मयप्पन को अहम जानकारियां बुकीज तक पहुंचाने और बिंदू के जरिए आईपीएल मैच में सट्टा लगाने का आरोपी ठहराया है। यह भी मालूम हुआ है कि कमेटी को इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि मयप्पन केवल क्रिकेट फैन नहीं बल्कि उसका टीम में अहम किरदार है और उस समय बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे श्रीनिवासन ने इस मामले के सामने आने के दौरान कई बार मयप्पन को मिलने के लिए बुलाया था। मुंबई पुलिस भी इस मामले में 190 पेज की रिपोर्ट बना कर दे चुकी है। उधर लंदन के पूर्व बल्लेबाज ओवैश शाह ने आईपीएल फिक्सिंग में शामिल होने से इंकार किया है। हालांकि ओवैश शाह का नाम अभी तक सामने आया नहीं है।

खत्म हो जाएगा कॅरियर

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की पुष्टि करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट में टीम इंडिया के कुछ खिलाडिय़ों का कॅरियर खत्म हो सकता है। कमेटी की रिपोर्ट से तीन खिलाडिय़ों के नाम सामने आए हैं। बीसीसीआई के एक सूत्र ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा, हर कोई कोर्ट की कार्यवाही की विस्तृत जानकारी जुटाने में व्यस्त है और टीम में चिंता की लहर है।Ó जस्टिस मुकुल मुद्गल कमेटी द्वारा पूछताछ के दौरान दो खिलाड़ी गिड़गिड़ाने लगे थे। इन दोनों खिलाडिय़ों में एक खिलाड़ी टीम इंडिया की विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रह चुका है। जबकि दूसरा एक प्रतिष्ठित तेज गेंदबाज है। इन खिलाडिय़ों ने कमेटी के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि यदि समिति ने उनका नाम रिपोर्ट में डाल दिया, तो उनकी जिंदगी तबाह हो जाएगी। पूछताछ के दौरान यह ऑलराउंडर बुरी तरह से रो पड़ा। दोनों लगातार यह बात कह रहे थे कि उनका कॅरियर लगभग समाप्ति की ओर है और अब वो अपनी बाकी की जिंदगी इज्जत के साथ गुजारना चाहते हैं।

क्या है स्पॉट फिक्सिंग

स्पॉट फिक्सिंगÓ में मैच के पूरे नतीजे की बजाय मैच के अंदर के विविध पहलुओं को लेकर फिक्सिंग की जाती है जिसमें खिलाड़ी तक शामिल होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोई गेंदबाज किसी खास बॉल को नो या वाइड फेंकने के लिए फिक्स करता है तो वह स्पॉट फिक्सिंग कहलाता है. सट्टेबाज इसे फैन्सी फिक्सिंग का नाम देते हैं। यह शब्द उस समय चर्चा में आया जब कुछ साल पहले पाकिस्तानी क्रिकेटरों का नाम इसमें सामने आया था।

आईपीएल में पहले भी स्पॉट फिक्सिंग

आईपीएल के पिछले संस्करण में स्टिंग ऑपरेशन के जरिए एक निजी चैनल ने वीडियो जारी किया था जिसमें आईपीएल के खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग करते हुए नजर आए थे। इस स्टिंग ऑपरेशन में खिलाडिय़ों ने छिपे हुए कैमरे में यह स्वीकार किया था कि उन्हें अनधिकृत रूप से नीलामी में तय राशि से कहीं अधिक पैसा मिलता है। यह मामला सामने आने के बाद इसमे शामिल खिलाडिय़ों को निलंबित कर दिया गया था।

वन-डे से जन्मा सट्टा और सट्टे से फिक्सिंग

क्रिकेट को कुलीनों और सभ्य लोगों का खेल माना जाता है। लेकिन क्रिकेट के वन-डे संस्करण के अमल में आने के साथ ही इसमें सट्टेबाजी प्रारंभ हो गई थी, जिसका केंद्र दुबई हुआ करता था और अंडरवल्र्ड के कई जाने-माने डॉन सट्टे के खेल में शामिल थे। धीरे-धीरे सटोरियों ने लाभ कमाने और अपनी पकड़ बनाने के लिए खिलाडिय़ों को जाल में लेना शुरू कर दिया। उस वक्त तक खिलाडिय़ों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन सन 2000 में जब दिल्ली पुलिस ने मैच फिक्सिंग के रैकेट का भांडाफोड़ किया तो कई रहस्य सामने आए। मनोज प्रभाकर ने तो पूर्व कप्तान कपिल देव पर भी मैच फिक्सिंग का आरोप लगा दिया। इस आरोप से कपिल देव इतने निराश हुए कि कैमरे के सामने ही फूट-फूट कर रो पड़े। लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। उसी दौरान सन 2000 में दिल्ली पुलिस ने एक ब्लैकलिस्टेड सट्टेबाज और दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए के बीच हुए संवाद को पकड़ा, जिसके द्वारा उन्हें यह पता चला कि क्रोनिए ने क्रिकेट मैच को गंवाने के लिए रिश्वत ली है। दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने अपने किसी भी खिलाड़ी को भारतीय जांच इकाई के सामने पेश करने से मना कर दिया। मामले की जांच के लिए एक अदालत बैठाई गयी जिसमें क्रोनिए ने मैच गंवाने की बात स्वीकार की। उन्हें सभी प्रकार के क्रिकेट मैच खेलने से तुरंत प्रतिबंधित कर दिया गया। उन्होंने सलीम मलिक (पाकिस्तान), मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा (भारत) का भी नाम लिया। जडेजा पर 4 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। सलीम मलिक और मोहम्मद अजहरुद्दीन को भी सभी तरह के क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया गया। एक सरगना के रूप में, क्रोनिए ने बल्लेबाजी का काला पक्ष उजागर किया, हालांकि 2002 में उनकी असामयिक मौत के साथ उनके अधिकांश स्त्रोत भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के घेरे में आने से बच गए। दो दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर, हर्शल गिब्स और निकी बोए, को भी दिल्ली पुलिस ने मैच फिक्सिंग प्रकरण में उनकी भूमिका के लिए अपेक्षित व्यक्तियों के रूप में सूचीबद्ध किया था। घोटालों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के द्वारा मार्क वॉ और शेन वार्न पर सट्टेबाज जॉन को मौसम और पिच की सूचना देने के लिए जुर्माना लगाना भी शामिल है। इस मुद्दे पर रॉब ओरीगन ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला था कि क्रिकेटरों को सट्टेबाजों के साथ बातचीत करने पर होने वाले नुकसानों की जानकारी नहीं थी। हालांकि वॉर्न या वॉ को कोइ भी सजा नहीं दी गई। आईसीसी ने अपनी प्रतिक्रिया देने में समय लगाया, परन्तु अंतत: 2000 में सर पॉल कांडों, भूतपूर्व लन्दन महानगर पुलिस के मुखिया, के नेतृत्व में एक भ्रष्टाचार निरोधक और सुरक्षा इकाई की स्थापना की। इनका यह दावा है कि इन्होने क्रिकेट में भ्रष्टाचार को न्यूनतम स्तर पर ला दिया है। 2010 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के इंग्लैण्ड दौरे के दौरान हुए चौथे टैस्ट मैच के सम्बन्ध में, इंग्लैण्ड के एक अखबार न्यूज ऑफ दा वल्र्ड ने एक खबर छापते हुए यह आरोप लगाया की मजहर मजीद और कुछ अन्य पाकिस्तानी खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग में शामिल थे।

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