क्या फिल्म को गलत साबित करेंगी दीदी
02-Mar-2013 08:12 AM 1234771

हाल ही में बंगाल में दीदी के इशारे पर सेंसर बोर्ड ने सुमन मुखोपाध्याय की बांग्ला फिल्म को अनुमति देने से इनकार कर दिया है क्योंकि इसमें उनके  शपथ ग्रहण समारोह और सिंगूर आंदोलन का उपहास उड़ाया गया है। दीदी ने ऐसा विद्वेषवश नहीं किया है बल्कि उनके नजदीकी सूत्र बताते हैं कि दीदी अपनी विकासविरोधी छवि बदलना चाहती हैं। टाटा के बाद रिलायंस की विदाई से दीदी की खासी फजीहत हुयी है और अब निवेशक भी उनसे कतराने लगे  हैं।  इसी कारण दीदी टाटा को मनाने में भी जुटी हैं और मीडिया में भी अपना हुलिया सुधारना चाहती हैं क्योंकि मीडिया ने उन्हें तानाशाह के रूप में प्रोजेक्ट कर दिया है।
हाल ही में छवि सुधारो अभियान के तहत दीदी ने कोलकाता के युवाभारती क्रीड़ांगन में बीसीआईएम की कार रैली का उद्गाटन किया था। इस रैली का आयोजन तो राज्य सरकार और सीआईआई ने साझा तौर पर किया, पर इस आयोजन का ज्यादातर खर्च उठाया टाटामोटर्स ने। बांग्लादेश, चीन और म्यांमार के अलावा पूर्वोत्तर भारत में वाणिज्यिक दरवाजे खोलने के लिए सीआईआई की इस कार रैली में शामिल बीस कारों में से दस टाटा मोटर्स की हैं, जो दक्षिण एशिया के चार देशों से होकर गुजरेंगी। दीदी के मिजाज जानने वाले इसे टाटा मोटर्स के लिए हरी झंडी मान रहे हैं। टाटा मोटर्स के इस कार्यक्रम को हरी झंडी देने का मतलब विवादित सिंगूर कारखाने के लिए सकारात्मक भी निकल सकता है। टाटा मोटर्स ने सिंगूर की अधिग्रहित जमीन का कब्जा अभी नहीं छोड़ा है और राज्य सरकार से उसकी अदालती लड़ाई चल रही है। दूसरी ओर, नंदीग्राम लालगढ़ सिंगुर आंदोलन की नींव पर सत्ता में आनेवाली ममता बनर्जी के लिए सिंगूर के किसानों का सामना करना मुश्किल हो रहा है।
बहरहाल यह मसला सुलझ गया तो दीदी और बंगाल दोनों के लिए सुखद परिवर्तन होगा। एयर  एशिया से गठजोड़ के बाद विमानन क्षेत्र में प्रवेश की तैयारी कर रहे टाटा समूह के लिए सिंगूर प्रकरण अभी भी लाभ का सौदा हो सकता है यदि यह विवाद सुलझ जाये।  उद्योगपति और निवेशकों का समर्थन पाने में ममता सरकार नाकाम ही रही है। इसकी मुख्य वजह सिंगूर और नंदीग्राम के उदाहरण और राज्य सरकार की भूमि और उद्योग नीति है। राज्य सरकार गहरे आर्थिक संकट में फंसी हुई है और संकट से निकलने का रास्ता अमेरिका शिक्षित  अर्थशास्त्री वित्तमंत्री अमित मित्र को भी नहीं मालूम है इसीलिये उद्योगजगत बार बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आग्रह करता रहा हंै कि टाटा मोटर्स के साथ सिंगुर विवाद को अदालत से बाहर सुलझा लिया जाये। सिंगूर भूमि अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए टाटा मोटर्स को नोटिस जारी किया है। बंगाल सरकार ने अपनी याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके अंतर्गत न्यायालय ने 400 एकड़ भूमि को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए तैयार सिंगूर भूमि अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू व न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की खंडपीठ ने हालांकि कहा कि उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के तहत सिंगूर भूमि पर राज्य सरकार का कब्जा पूर्ववत बना रहेगा। इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगूर भूमि पुनर्वास व विकास अधिनियम-2011 को 22 जून को असंवैधानिक करार देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में अपील के लिए दो महीने का समय दिया था। अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा था कि बंगाल सरकार उसके इस फैसले को चुनौती दे सकती है और इस दौरान यह भूमि उसके कब्जे में ही रहेगी। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बनर्जी सरकार को झटका देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगुर कानून को अवैध घोषित कर दिया था। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति मृणाल कांति चौधरी की दो सदस्यीय उच्च न्यायालय की पीठ ने एकल पीठ के फैसले को रद्द करते हुए कानून को असंवैधानिक करार दिया। 28 सितंबर, 2011 को कानून को वैध ठहराते हुए लागू करने पर दो महीने की रोक लगा दी थी ताकी दूसरे पक्ष (टाटा मोटर्स) को किसी उच्च अदालत में अपील करने का मौका मिल सके। 3 नवंबर, 2011 को उच्च न्यायालय की पीठ ने मामले के निस्तारण तक कानून को लागू किये जाने पर रोक लगा दी।
कोलकाता से इंद्रकुमार बिन्नानी

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