02-Mar-2013 08:27 AM
1234771
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समाज के सभी वर्गों के बीच अपनी पहचान स्थापित की है और अब वे युवा हृदय सम्राट भी बनते जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री ने स्वयं पहल करते हुए युवाओं के विषय में न केवल गंभीरता से चिंतन किया है बल्कि प्रदेश की तरुणाई को सही दिशा देने के लिए कई प्रभावी कदम भी उठाए हैं। हाल ही में भोपाल में आयोजित युवा पंचायत के दौरान इन कदमों की झलक देखने को मिली और युवा वर्ग ने आगे बढ़कर मुख्यमंत्री की पहल को तहेदिल से स्वीकार किया।
युवाओं के लिए प्रदेश सरकार पिछले एक दशक से ही काफी प्रयत्नशील है, किंतु वर्ष 2008 के बाद युवाओं के विषय में प्रदेश सरकार ने कुछ ठोस कदम उठाए जब रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति 2007 बनाई गई और उसके साथ ही साथ स्वरोजगार समूह संवर्धन नीति 2007 भी अमल में लाई गई। इससे प्रदेश के युवाओं की रोजगार से जुड़ी समस्याओं को गहराई से जानने और उनके समाधान का अवसर मिला। यही नहीं राज्य सरकार ने आगे बढ़कर राज्य आजीविका फोरम की स्थापना करते हुए व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद का गठन भी किया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि सरकार प्रदेश की औद्योगिक नीति को युवाओं से जोडऩा चाहती है। इसी कारण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि प्रदेश के युवाओं को रोजगार के लिए भटकना न पड़े। हाल ही में जब इंदौर में ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट आयोजित की गई तो उसमें भी मुख्यमंत्री द्वारा युवाओं के रोजगार के लिए उठाए गए कदमों की झलक देखने को मिली। जो निवेश प्रदेश में होने वाला है उसके चलते विभिन्न परियोजनाओं से करीब 18 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। टीसीएस, इंफोसिस जैसी बड़ी आईटी कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल कर रही हैं। इसीलिए सरकार ने भी शर्त रखी है कि जो भी कंपनी मध्यप्रदेश में निवेश करेगी उसे 50 प्रतिशत रोजगार स्थानीय युवाओं को देना पड़ेगा और यदि कोई कंपनी 90 प्रतिशत रोजगार स्थानीय युवाओं को देती है तो उसे विशेष पैकेज के तहत छूट दी जाएगी। यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके चलते प्रदेश में युवाओं के बीच रोजगार की संभावनाओं का बढऩा अवश्यंभावी है। किंतु केवल रोजगार के अवसर से ही काम नहीं चलता। उन अवसरों के अनुरूप युवाओं को ढालना भी पड़ता है, उन्हें प्रशिक्षित भी करना पड़ता है, इस दिशा में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सदैव प्रयत्नशील रहे हैं। मध्यप्रदेश में गुणवत्ता विकास मिशन (स्किल डवलपमेंट मिशन) उनकी इसी सोच का परिणाम है। स्किल डवलपमेंट के साथ-साथ उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को आसानी से ऋण भी दिए जा रहे हैं। उधर सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारते हुए महाविद्यालयों के भवन बनाने का अभियान चालू किया गया है। शिक्षा के ही प्रसार के लिए मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय स्थापना एवं संचालन अधिनियम 2007 का सूत्रपात किया गया जिसके चलते 25 से अधिक प्रस्ताव निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए प्राप्त हुए। इसका फायदा युवाओं को मिलना तय है। इसके अलावा झाबुआ, शहडोल, नौगांव जैसे पिछड़े क्षेत्रों में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की व्यवस्था की जा रही है और तकनीकी शिक्षा में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश के 38 पोलीटेक्निक महाविद्यालयों में महिला छात्रावास निर्मित किए गए हैं। आर्थिक अभाव के कारण बहुत से युवा और बच्चे अपना कौशल विकास नहीं कर पाते। क्योंकि उन्हें इसके लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 113 विकासखण्डों में कौशल विकास केंद्र प्रारंभ किए गए हैं।
कॉलेज से निकलने के बाद, इंजीनियरिंग करने के बाद, प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद क्या किया जाए यह एक बड़ी समस्या सदैव बनी रहती है। युवा समझ वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान युवाओं की इस कश्मकश को बखूबी पहचाना है और इसीलिए स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन योजना प्रारंभ की गई है ताकि शिक्षित और समर्थ युवा अपने भविष्य को लेकर सही योजना बना सके। इसी के साथ प्रदेश के मल्हारगढ़, खाचरौद, खकनार, चिचौली, छपरा, पृथ्वीपुर, मानपुर, केवलारी, बरघाट, पदरवास, मउगंज, भांडेर, गुना, मोहेंद्रा, मंडीदीप और सीधी में नई तकनीकी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाएं प्रारंभ की गई है। खासियत यह है कि इनमें से अधिकांश संस्थाएं ग्रामीण और जनजातीय बहुल क्षेत्रों में है और इसी कदम को मेडिकल एवं इलेक्ट्रिानिक्स के प्रशिक्षिण की सुविधा द्वारा बढ़ाया जा रहा है। इंदौर, जबलपुर, सागर और भोपाल में सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक सिस्टम के रखरखाव से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है तो इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और भोपाल में मुद्रण तकनीक प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही निवानी बावनिया सिवनी, बरगी, ओरछा और जैतहरी में इलेक्ट्रिशियन का प्रािक्षण दिया जाता है। धार, ओरछा और नेपा नगर में डाटा ऑपरेटर, देवास में कंप्यूटर हार्डवेयर, जोबट और नेपानगर में प्लंबर, बड़ामलहरा, कोतमा और रायसेन में वेल्डर एवं फेब्रिकेशन का प्रशिक्षण दिया जाता है। कई अन्य स्थान पर भी इसी तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं जिससे युवाओं के कौशल उन्नयन में गुणात्मक सुधार देखने को मिला है। सरकार ने हर गांव से एक शिक्षित युवा को इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। इसके तहत पिछले चार वर्षों में 46 हजार से ज्यादा युवक लाभांन्वित हुए हैं। आरक्षित वर्ग के युवक-युवतियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पढ़ाई के लिए विदेश भेजने का इंतजाम भी मध्यप्रदेश सरकार ने स्वयं पहल करते हुए किया है। यही नहीं युवाओं के लिए कई रोजगारोन्मुखी व्यावसायिक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। जिनमें ड्राइविंग, पंप मैकेनिक, फ्रंट ऑफिस असिस्टेंट, फैशन टेक्नोलॉजी, डेयर एवं स्किन केयर, डीटीपी आपरेटर तथा आर्किटेक्ट असिस्टेंट जैसे नए व्यावसायिक प्रशिक्षण शामिल हैं। सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं का सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के रूप में विकास किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए गांव के करीब परिवारों के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना (डीपीआईपी) के रोजगार मेलों की विशेष पहल की जा रही है। विभिन्न जिलों में आयोजित स्वरोजगार मेलों के जरिए तीन लाख से भी अधिक युवाओं को नौकरी मिली है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग के लोगों के लिए भर्तियां बंद कर दी गईं थी। व्यवस्था यह कर दी गई थी कि हर विभाग के 30 प्रतिशत पद समाप्त ही हो जाएं। सरकार ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से प्राध्यापकों के पद भरने की प्रक्रिया प्रारंभ की। साथ ही भर्ती प्रक्रिया को भी बदला। इसमें राजनीतिक दखलंदाजी न हो इसीलिए व्यापमं जैसे संस्थानों के जरिए नियुक्तियां करवाई तथा पटवारी परीक्षाएं भी ऑनलाइन आयोजित कीं। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कौशल विकास उन्नयन प्रारंभ किया गया है। जिसमें युवाओं को जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में हिंदी विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय, संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, पशुपालन विश्वविद्यालय, बौद्ध भारतीय विश्वविद्यालय, छत्रसाल-बुंदेलखंड विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर के कई महत्वपूर्ण संस्थानों जैसे आईआईएम इंदौर, आईआईटी इंदौर, इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एज्यूकेशन एंड रिसर्च भोपाल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फारेस्ट मैनेजमेंट भोपाल, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर भोपाल जैसे कई संस्थान प्रदेश में स्थापित किए गए हैं और उन्हें विकसित करने में सरकार ने पूरा सहयोग दिया है। सरकार के ही प्रयास के फलस्वरूप डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ है। युवाओं की दृष्टि से पीपीपी के अंतर्गत कौशल विकास में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास नीति 2012 सरकार ने बनाई जिसमें औद्योगिक ग्रोथ सेंटर में उत्कृष्ट आरटीआई, 150 अनसर्विस्ड विकासखंडों में सामान्य आरटीआई तथा 200 विकासखंडों में कौशल विकास केंद्र खोलने के लिए भूमि पूंजीगत निवेश में अधिकतम 25 प्रतिशत अनुदान आदि का प्रावधान किया गया है। यह सारे कदम मध्यप्रदेश में युवाओं के कौशल विकास की दृष्टि से उठाए जा रहे हैं। इससे युवाओं में उत्साह होने के साथ-साथ रोजगार की संभावना भी बढ़ी है और वे स्वरोजगार के साथ-साथ खेलकूद जैसी गतिविधियों में भी सक्रिय होकर प्रदेश का नाम रौशन कर रहे हैं।
फीचर