11-Nov-2014 02:35 PM
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छत्तीसगढ़ में नसबंदी का टारगेट पूरा करने के लिए डॉक्टरों ने इतनी जल्दबाजी दिखाई कि 8 महिलाओं ने दम तोड़ दिया और 32 गंभीर रूप से बीमार हो गईं। 8 नवंबर का दिन छत्तीसगढ़ के परिवार नियोजन के इतिहास में काला दिन ही कहा जाएगा।
नसबंदी का टारगेट पूरा करने के लिए बिलासपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर कानन पेंडारी के नेमीचंद अस्पताल में शिविर लगाया गया था और महिलाओं को इस शिविर में भाग लेने के लिए आस-पास के गांवों से लाया गया। जिला अस्पताल के डॉक्टर आर.के. गुप्ता, डॉ. के.के. ध्रुव, डॉ. निखटा ने दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन करके सभी महिलाओं को छुट्टी दे दी। जल्दबाजी मेेंं किए गए इन ऑपरेशनों में न ता जांच-पड़ताल ठीक से हुई और न ही ऑपरेशन ठीक से किए गए।
ऑपरेशन के 12-13 घंटे बाद महिलाओं की हालत बिगडऩे लगी। उन्हें उल्टियां होने लगीं। 11 नवंबर तक 8 महिलाओं ने दम तोड़ दिया। 32 को गंभीर रूप से देखभाल में रखा गया था। कुल मिलाकर 56 महिलाएं भर्ती हुईं। सरकार ने हमेशा की तरह मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए और गंभीर रूप से बीमार महिलाओं के परिजनों को 50-50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। उधर विपक्ष मुखर हो उठा है, अजीत जोगी ने 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक सभी से इस्तीफा मांग लिया। लेकिन असली समस्या वहीं की वहीं है।
छत्तीसगढ़ में मोतियाबिंद से लेकर नसबंदी तक जो भी शिविर लगते हैं, वहां लापरवाही होना तय है क्योंकि गरीबों की जान की कीमत इस देश में शून्य ही समझी जाती है। डॉक्टरों को मालूम है कि वे लापरवाही करेंगे तो भी सरकार बचा ही लेगी, क्योंकि सरकार के पास डॉक्टरों की कमी है। जो ऑपरेशन निजी अस्पतालों में बड़ी सहूलियत और बिना किसी खतरे के सम्पन्न हो जाते हैं, उन्हीं ऑपरेशनों के लिए सरकारी अस्पतालों में जाना मौत का सबब हो सकता है। डॉक्टर से लेकर नर्स तक और चिकित्सकीय स्टॉफ तक सभी गरीबों को इंसान समझने के लिए तैयार ही नहीं हैं। वे घटिया तरीके से इलाज करते हैं। लापरवाही बरतते हैं। स्वच्छता का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते और मरीजों की जांच-पड़ताल को लेकर भी पर्याप्त लापरवाही की जाती है। विडम्बना यह है कि सरकारी अस्पतालों में कार्यरत ये डॉक्टर ही जब निजी अस्पतालों में अपना जोहर दिखाते हंैं तो उनसे कोई चूक नहीं होती। सरकारी अस्पताल ंमें आते ही इनकी लापरवाहियां चरम सीमा पर पहुंच जाती हैं। छत्तीसगढ़ में यह लापरवाही तो स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में ही हुई।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पहले भी उजागर हो चुकी है। प्रदेश में आंख फोड़वा कांड एवं गर्भाशय जैसे गंभीर मामले के बाद बिलासपुर जिले में नसबंदी से चार महिलाओं की मौत हो गई है और अनेक की हालत गंभीर है। बताया जा रहा है कि आपरेशन पूर्व महिलाएं कुछ भी नहीं खाई थी उन्हें शून्य करने वाला हाईडोज इंजेक्शन देने से वे सहन नहीं कर पाई।ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आपरेशन के दौरान पेट में इंफेक्शन फैलने से यह गंभीर मामला हुआ है।