श्रमेव जयते से जीतेगा श्रमिक?
09-Nov-2014 10:55 AM 1234794

नरेंद्र मोदी सरकार 66 वर्ष पुराने फैक्ट्री एक्ट सहित तमाम नियमों में बदलाव करने जा रही है। आम तौर पर श्रमिकों से संबंधित किसी भी नियम-कानून में बदलाव होता है तो इसका फायदा मालिकों को मिलता है, श्रमिकों को नहीं। इसलिए मोदी क्या करने जा रहे हैं, इसका इंतजार शीत सत्र तक करना होगा। लेकिन जो सूचना मिली है, उसने देश भर के श्रम संगठनों को चिंता में डाल दिया है और वे मोदी सरकार की नीयत को लेकर आशंका व्यक्त कर रहे हैं। भारतीय मजदूर संघ ने तो अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त करते हुए कहा है कि मोदी सुधारों की बात तो कर रहे हैं पर उसमें मजदूरों का क्या पक्ष है इस पर कोई स्पष्ट राय मोदी सरकार ने नहीं दी है।
मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम के तहत कई योजनाएं पेश कीं, जिनमें कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के जरिये पोर्टेबिलिटी, श्रम मंत्रालय के साथ कामकाज में सहूलियत प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था के लिए पोर्टल और यूनिफाइड लेबर इन्सपेक्शन स्कीम शामिल हैं। उन्होंने इन योजनाओं की शुरुआत करते हुए कहा कि ये सभी कदम उनकी सरकार के न्यूनतम सरकार और अधिकतम सुशासनÓ की पहल को बताते हैं। लेबर इन्सपेक्शन में पारदर्शिता लाकर इंस्पेक्टर राज खत्म करने और अधिकारियों द्वारा परेशान करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि एकाधिकार से जुड़ी प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शी लेबर इन्सपेक्शन स्कीम तैयार की जा रही है। अभी इन्सपेक्शन के लिए इकाइयों का चयन स्थानीय स्तर पर किया जाता है, जिसमें व्यावहारिक मापदंड का अभाव पाया जाता है। नई योजना के तहत गंभीर मामले अनिवार्य इन्सपेक्शन की सूची में आएंगे।
मोदी ने कहा कि जितनी ताकत सत्यमेव जयते की है, उतनी ही ताकत श्रमेव जयते की है। उन्होंने कहा, गरीबों के 27 हजार करोड़ रुपये ईपीएफ में पड़े हैं, जिसके लिए किसी ने दावा नहीं किया है। यह गरीब कर्मचारियों की मेहनत का पैसा है और मुझे इसे उन्हें वापस लौटाना है।Ó छोटे कारोबारियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें फॉर्म के झंझट से मुक्ति मिलेगी, अब 16 की जगह एक फॉर्म भरने होंगे और यह ऑनलाइन उपलब्ध है। मोदी ने ऐलान किया कि अब कम्प्यूटर पर ड्रॉ के जरिये यह तय होगा कि कौन लेबर इंस्पेक्टर किस फैक्टरी का इन्सपेक्शन करने के लिए जाएगा और उसे 72 घंटे के भीतर ऑनलाइन रिपोर्ट आपलोड करनी होगी। पीएम ने 2020 तक दुनिया में करोड़ों कामगारों की जरूरत होगी। हमें श्रम को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। आईटीआई वालों को हीन भावना से देखा जाता है, यह सही नहीं है। योजनाओं की शुरुआत के मौके पर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआई) में ट्रेनिंग ले रहे 4.2 लाख छात्रों को पीएम की ओर से एसएमएस भेजकर उनका उत्साह बढ़ाया गया। एसएमएस में प्रधानमंत्री इन छात्रों को विशिष्ट बताते हुए उन्हें स्किल डिवलेपमेंट का ब्रैंड ऐंबैसडर बनने के लिए प्रेरित किया।
छात्रों के अलावा करीब एक करोड़ ईपीएफओ उपभोक्ताओं को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर के जरिये पोर्टेबिलिटी के बारे में एसएमएस भेजा गया। यूएएन के जरिए उपभोक्ता अपने ईपीएफ खाते की ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करने के साथ ही फंड निकालने के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकेंगे। उन्हें अपने नियोक्ता से आवेदन फॉरवर्ड कराने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। नौकरी बदलने के बाद भी कर्मचारी का यूएएन नंबर वही रहेगा। उसे केवल नए नियोक्ता के पास अपना यूएएन दर्ज कराना होगा। ईपीएफओ अब तक लगभग 4.17 करोड़ ईपीएफ ग्राहकों के यूएएन तैयार कर चुका है, जो 15 अक्टूबर से ऑपरेशनल हो गए। तीसरी स्कीम का संबंध श्रम सुधारों से है। इसके तहत श्रम मंत्रालय द्वारा तैयार एकीकृत श्रम पोर्टल और यूनिफाइड लेबर इन्सपेक्शन स्कीम की शुरुआत हुई। आगे चलकर यूनिक लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर (एलआईएन) के जरिए प्रत्येक औद्योगिक इकाई का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन संभव होगा। वे आसानी से अपना एकल रिटर्न दाखिल कर सकेंगी। लेबर इंस्पेक्टर भी इस पर अपनी निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड कर शिकायतों का त्वरित समाधान कर सकेंगे। जल्द ही 6-7 लाख इकाइयों को एलआईएन जारी किए जाने की संभावना है। चौथी और अंतिम स्कीम स्किल डिवलेपमेंट अप्रेंटिसशिप से ताल्लुक रखती है। इस समय देश में उद्यमिता प्रशिक्षण के लिए 4.9 लाख सीटें उपलब्ध हैं। इसके बावजूद महज 2.82 लाख अप्रेंटिस ही प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है। इसके लिए अप्रेंटिस प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। योजना के तहत प्रशिक्षुओं का स्टाइपेंड (मानदेय) बढ़ाने के साथ-साथ सिलेबस में भी बदलाव होगा। इससे मार्च, 2017 तक एक लाख प्रशिक्षुओं को फायदा मिलने की उम्मीद है। अगले कुछ वर्षो में प्रशिक्षु सीटों की संख्या बढ़कर 20 लाख होने की संभावना है।

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