19-Nov-2014 03:26 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बहुप्रतीक्षित मंत्रीमंडल विस्तार को अंतिम रूप दे दिया और 9 नवंबर को अपनी कैबिनेट में 4 कैबिनेट, 14 राज्य व 3 स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री शामिल कर लिए। मोदी के मंत्रिमंडल में कुछ संभावित चेहरे शामिल किए गए, तो कुछ ऐसे भी थे जिनका मंत्रिमंडल में आना सभी को आश्चर्यचकित कर गया।
अपनी अनोखी कार्यशैली के लिए विख्यात मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार में भी यह जता दिया कि वे मुक्त रहकर काम करने में माहिर हैं। उन्होंने संघ के दबाव को दरकिनार करते हुए शिवसेना को मंत्रिमंडल से बाहर ही रखा। शिवसेना के बाहर रहने से अब यह तय हो गया है कि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्तों में वह मधुरता नहीं रही।
मोदी का मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यत: राज्य मंत्रियों पर ही केंद्रित रहा। उन्होंने सीधे कैबिनेट मंत्री बनाने की बजाय राज्य मंत्री बनाने में ज्यादा रुचि दिखाई। इस कदम से उन मंत्रियों को अनुभव मिलेगा जो राज्य मंत्री बनाए गए हैं और वे प्रमोशन पाने के लिए भी मन लगाकर काम करेंगे। नीचे से ऊपर जाने की यह प्रक्रिया प्रशासनिक दृष्टि से भी उपयोगी है, इससे मंत्रियों के परफारमेंस का आंकलन करने में आसानी होगी। खासकर स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री आगे बढऩे के लिए बेहतर कोशिश कर सकता है। मोदी ने जो 21 साथी शामिल किए हैं उनमें मनोहर पर्रिकर, सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा और वीरेन्द्र सिंह कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं।
मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री थे और मोदी के समर्थन में वे सन 2012 से ही अभियान चला रहे थे। उनका एक मात्र लक्ष्य था कि मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाए। पर्रिकर ने मोदी का समर्थन करने के लिए लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता से भी टक्कर ली और पार्टी के कई नेताओं की नाराजगी मोल ली। लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है, सादगी से जीवन जीने वाले पर्रिकर की पृष्ठभूमि आईआईटी की है, वे गोवा में अपने योग्य प्रशासन का परिचय दे चुके हैं और गुटबाजी के माहौल में भी कुशलता से काम करने में माहिर हैं। संघ परिवार का उन्हें आशीर्वाद है तो हिंदुत्ववादी ताकतें भी उन्हें कहीं न कहीं सपोर्ट करती हैं, लेकिन वे संतुलित नेता भी हैं जिन्होंने गोवा में अवैध माइनिंग पर रोक लगा थी। इसके बाद मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में बंडारू दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी और महेश शर्मा ने शपथ ली। मुख्तार अब्बास नकवी, रामकृपाल यादव, हरिभाई चौधरी, सांवरलाल जाट, मोहन कुंदारिया, गिरिराज सिंह, हंसराज अहीर, रामशंकर कठेरिया, वाईएस चौधरी और जयंत सिन्हा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबुल सुप्रियो, साध्वी निरंज ज्योति, विजय सांपला ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
आईआईटी, मुंबई से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद राजनीति में आए पर्रिकर का शुरुआती कॅरियर काफी चुनौती भरा था। 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने पर्रिकर ने सफलतापूर्वक 2005 तक गोवा का शासन संभाला। सत्ता परिवर्तन के दौर में वे विपक्ष के नेता के तौर पर भी अपने काम को बखूबी अंजाम देते रहे और एक जिम्मेदार नेता के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहे। मनोहर पर्रिकर के छोटे बेटे अभिजीत पर कुछ वर्ष पहले जमीन के एक सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे। इन आरोपों में बाद में कोई सत्यता नहीं पाई गई और इन्हें खारिज कर दिया गया। साल 2001 में पर्रिकर आईआईटी, मुंबई की तरफ से विशेष एल्यूमिनी अवॉर्ड से भी नवाजे गए। कांग्रेस नेता और आधार कार्ड योजना के चेयरमैन रहे नंदन नीलेकणी और मनोहर पर्रिकर दोनों 1978 में आईआईटी ग्रैजुएट हैं। मनोहर पर्रिकर पहली बार 1994 में गोवा के दूसरे विधानसभा सभा चुनावों में विधायक चुने गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के विश्वसनीय सहयोगी और कुशल रणनीतिकार जगत प्रकाश नड्डा का केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रवेश उनकी योग्यता और उस खासियत का नतीजा है, जिसमें वह पर्दे के पीछे काम करना पसंद करते हैं। विनम्र स्वभाव वाले और कॉलेज के जीवन में प्रख्यात छात्र नेता रहे नड्डा बड़ी चुनौतियों का समाधान करने वालों में गिने जाते हैं। वह बीजेपी के अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार थे, लेकिन इस साल के शुरू में इस पद की दौड़ में पिछडऩे के बाद उन्होंने अमित शाह को पूरा समर्थन दिया। मोदी और अमित शाह के साथ-साथ सर्वाधिक प्रभावशाली तीन लोगों की तिकड़ी के सदस्य नड्डा पार्टी के सभी बड़े निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं।
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेट सुरेश प्रभु अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान इंडस्ट्री ,पयार्वरण, और ऊर्जा मंत्रालय संभाल चुके हैं। उन्हें ऊर्जा क्षेत्र का एक्सपर्ट माना जाता है। यही वजह है कि शिवसेना के एतराज के बावजूद उन्हें मंत्री बनाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने योजना आयोग को भंग कर उसकी जगह नए सलाहकार आयोग के गठन की बात कही थी जिसमें उपाध्यक्ष के तौर पर भी सुरेश प्रभु का नाम सबसे आगे आया था। हालांकि, अभी तक नया आयोग गठित नहीं हो पाया है। सुरेश प्रभु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी काफी करीबी हैं और प्रधानमंत्री के साथ जी 20 समिट में हिस्सा लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन जा रहे हैं। वाजपेयी के शासनकाल में उर्जा मंत्री रहते हुए प्रभु उर्जा क्षेत्र के निजीकरण के हिमायती रहे हैं। इसकी वजह मानी जाती है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनकी निकटता।
चौधरी वीरेंद्र सिंह हरियाणा के कद्दावर जाट नेताओं में गिने जाते हैं। वीरेंद्र हाल ही में हुए आम चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। बीरेंद्र हरियाणा के जाने-माने जाट नेता रहे चौधरी छोटूराम के पोते हैं। इनके पिता चौ. नेकीराम भी अविभावित पंजाब में राजनीति करते रहे हैं और लंबे समय तक हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। बीरेंद्र सिंह को मंत्री बनाकर बीजेपी ने हरियाणा के जाट समाज को खुश करने का कार्ड चला है।
बिहार के सारण से 16 वीं लोकसभा में भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। रूडी ने सारण सीट से लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी को हराया था। मंत्री बनाकर बीजेपी ने उन्हें राबड़ी देवी को हराने का ईनाम दिया है। रूडी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। वे बिहार से आने वाले युवा और राजपूत चेहरे भी हैं।