09-Nov-2014 07:13 AM
1234843
फिल्म तमंचे बॉलीवुड की चालू मसाला फिल्म है। इसके बी और सी सेंटरों पर अच्छा बिजनेस करने की उम्मीद है। दिल्ली एनसीआर में शूट की गयी सीमित बजट की यह फिल्म संभवत: अपनी लागत वसूलने में कामयाब रहे। 90 के दशक में बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में बनी हैं इसलिए इस फिल्म में कुछ नयापन नहीं नजर आता।
यह दो आशिकों की प्रेम कहानी है जिसकी पृष्ठभूमि में अपराध है। दोनों की पहली मुलाकात पुलिस हिरासत में होती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश का किडनैपर मुन्ना मिश्रा (निखिल द्विवेदी) पुलिस की वैन में जा रहा है कि तभी अचानक संतुलन बिगडऩे के कारण वैन गहरी खाई में गिर जाती है। यहीं पर वैन के दूसरे कोने में बंदूक थामे बैठी दिल्ली की बाबू (रिचा चड्ढा) से मुन्ना की मुलाकात होती है। बाबू एनसीआर में ड्रग्स के काम में लगे एक गिरोह के लिए काम करती है। दोनों को एक साथ भागने का मौका मिल जाता है। पुलिस से छुपने के लिए दोनों जो समय एक-दूसरे के साथ बिताते हैं, इसी दौरान एक दूसरे को चाहने लगते हैं। एक दिन अचानक बाबू गायब हो जाती है। मुन्ना उसकी तलाश में दिल्ली पहुंचता है, जहां उसका सामना राणा (दमनदीप सिंह) से होता है जोकि नशे का कारोबार करता है। यहां पर उसे बाबू की हकीकत भी पता चलती है। दरअसल बाबू राणा की गर्लफ्रेंड है और उसके गैंग में काम करती है। निखिल ने वाकई अच्छा काम किया है। पहले के मुकाबले अब उनमें काफी परिवर्तन देखा जा सकता है। रिचा की संवाद अदायगी उनका सबसे सशक्त पक्ष है। वह भी अपने रोल में जमी हैं। अन्य कलाकारों का काम भी अच्छा रहा। गीत संगीत सामान्य है। निर्देशक फिल्म की सुस्त रफ्तार पर यदि ध्यान दे पाते तो यह कुछ और बेहतर बन सकती थी। कहानी पर भी कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। बस सब कुछ एक्शन के सहारे हासिल करने की कोशिश की गयी है।
