17-Oct-2014 08:52 AM
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विशाखापटनम जैसा शहर, उसका एयरपोर्ट, उसका बंदरगाह सहित सरकार के कई महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान और लोगों की अरबों की संपत्ति हुदहुद तूफान से तबाह हो गई है। यूं तो समूचे आंध्रप्रदेश में हुदहुद

ने तबाही मचाई है। उड़ीसा में भी असर हुआ है। तकरीबन सभी समुद्र तटवर्ती राज्यों में थोड़ा बहुत असर देखा जा रहा है, लेकिन चंद्रबाबू नायडू की चिंता पोर्टसिटी विशाखापटनम को लेकर है। वे बस में घूम-घूमकर स्वयं राहत और बचाव कार्य देख रहे हैं। उन्होंने टेलीकॉम अधिकारियों को धमकी दी है कि या तो दिन-रात मेहनत करके टेलीकॉम व्यवस्था सुधारिए या फिर जेल में जाने को तैयार रहिए। कई अधिकारी बहुत दिनों से सोए नहीं है। छोटे कर्मचारियों की भी नींद हराम है। सारी तकनीकी सेवा दिन-रात जुटी हुई है। किसी भी तरह कम्यूनिकेशन बहाल किया जाना है, लेकिन अकेले संचार की बहालगी से क्या होगा। चारों तरफ तबाही का मंजर है। आंध्र के कई इलाके तबाह हो चुके हैं। तेज रफ्तार हवाओं और पानी ने लाखों के आशियानों को उजाड़ दिया है। उनके खेतों में पानी भरा गया है। फसले नमकीन हो गई हैं। खड़ी फसल उजड़ चुकी है। खेत खलिहान में जो कुछ रखा था वह या तो बह गया है या फिर उड़ चुका है। बचाव का कोई माध्यम नहीं है। बचाव कर्मियों को पहुंचने में दिक्कत जा रही है। तूफानी हवाएं 195 किलोमीटर की रफ्तार तक पहुंच गई थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि असर कितना खतरनाक रहा होगा। अकेले विशाखा पटनम शहर में एक लाख घर प्रभावित हुए हैं। उड़ीसा और तटवर्ती आंध्र के नुकसान का अभी कोई आंकलन नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री ने हवाई दौरा करके एक हजार करोड़ रुपए की राहत राशि की घोषणा की है, लेकिन नुकसान बहुत अधिक हुआ है। कई इलाकों में 72 घंटों से बिजली बंद है। चंद्रबाबू नायडू ने सरकार से दो हजार करोड़ रुपए तत्काल मांगे हैं। लगभग 80 किलोमीटर रेल लाइन पूरी तरह नष्ट हो गई है और नेशनल हाइवे नंबर पांच सहित राज्य की तमाम मुख्य सड़कें तबाही के कारण जगह-जगह अवरुद्ध हैं। विजय नगरम, श्रीकाकुलम जिलों में भी भारी तबाही हुई है। उड़ीसा के लगभग 8 जिले इस तूफान से प्रभावित हैं जिसमें कोरापुट जिले में बहुत नुकसान हुआ है। दो लाख लोगों को उड़ीसा में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया जो अब वापस अपने घर लौट रहे हैं।
गनीमत यह है कि इस तूफान से कुल जमा 24 मौतें ही हुई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मौसम विभाग ने सटीक भविष्यवाणी कर दी थी। लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया। लेकिन संपत्ति की सुरक्षा करना संभव नहीं था। जो चार लाख लोग राहत शिविरों में पहुंचाए गए थे उनकी व्यवस्था करने में भी सरकारी मशीनरी को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। अभी भी वायुसेना के हेलीकाप्टर राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
कैसे बढ़ा तूफान
तूफान 6 अक्टूबर को अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह से होते हुए 12 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में टकराया। 12 अक्टूबर से पहले इसकी गति बढ़ते-बढ़ते 215 किलो मीटर प्रति घंटे तक पहुँच गई था। इस तूफान के कारण 38 रेल यात्राओं को रद्द कर दिया गया। 7 अक्टूबर को यह उत्तरी हिंद महासागर में बना व पहली बार दिखाई दिया। 8 अक्टूबर को यह अण्डमान और निकोबार से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गया। इसके बाद यह 8 से 11 अक्टूबर तक यहीं विकराल रूप व अपनी गति अधिक करता रहा। 11 अक्टूबर को इसके कारण ओडिशा व आंध्र प्रदेश में तेज हवा के साथ वर्षा होने लगी। 12 अक्टूबर को यह आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 215 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से टकराया। इसी रात 11 से 12 के मध्य यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से होते हुए 50 किलो मीटर की गति से पहुँचा व अगले दिन के सुबह यह चला गया। इसके बाद कई स्थानो में वर्षा हुई। 13 अक्टूबर यह छत्तीसगढ़ में 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बस्तर से रायपुर संभाग की ओर गया। 14 अक्टूबर को इसके कारण दिल्ली व उत्तर प्रदेश में इसका प्रभाव दिखने लगा।
-IndraKumar Binnani