17-Oct-2014 08:25 AM
1234793
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की पीठ थपथपाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ने पूरे देश को दिशा दी है और वह अब सबसे तेजी से बढ़ते विकसित राज्यों

की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है। मोदी के इस कथन ने शिवराज के चेहरे पर मुस्कान और संतोष के भाव ला दिए। मोदी ने शिवराज की सराहना भी की तथा यह कहा कि यह विकास शिवराज सिंह के नेतृत्व में संभव हो सका। मोदी ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि शिवराज बोलते बहुत अच्छा हैं किंतु मैं करने में विश्वास करता हूँ। जिस वक्त मोदी यह कह रहे थे उस वक्त वहां रिलायंस इण्डस्ट्री के अध्यक्ष मुकेश अंबानी, रिलायंस एडीजी ग्रुप के अध्यक्ष अनिल अंबानी, गोदरेज समूह के अध्यक्ष आदि गोदरेज, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल धूत, टाटा संस के अध्यक्ष सायरस मिस्त्री, अडानी समूह के सीएमडी गौतम अडानी, एस्सार समूह के अध्यक्ष शशि रूइया, रेमण्ड समूह के सीएमडी गौतम सिंघानिया जैसे देश के जाने-माने उद्योगपति बैठे हुए थे। कुछ विदेशी निवेशक भी थे। जाहिर है उत्साह भरा माहौल था। कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शीर्ष अधिकारी आए हुए थे। मोदी ने मेक-इन इंडिया के तहत देश में रक्षा उत्पादों के निर्माण का सुझाव दिया था। मध्यप्रदेश ने इस सुझाव पर नीति भी बना ली। इस तत्परता की भी नरेंद्र मोदी ने तारीफ की। उन्होंने अपने भाषण में मध्यप्रदेश में लगी विभिन्न इकाइयों का भी जिक्र किया। मोदी परिणाम मूलक विकास के पक्षधर रहे हैं, उनके भाषण में प्रशंसा के साथ-साथ कहीं न कहीं चेतावनी भी छिपी हुई थी कि काम करके दिखाना होगा। इसलिए भले ही जैविक खेती जैसे क्षेत्रों में मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन उद्योग को लेकर मध्यप्रदेश में जितनी संभावना थी उतना काम नहीं हुआ, भारत की तरह मध्यप्रदेश भी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से उद्यम आधारित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में छलांग लगाने की कोशिश कर रहा है। अत: इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की उपयोगिता समझी जा सकती है।
बाद में जब प्रधानमंत्री अपना भाषण समाप्त कर जाने लगे तो उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रोटोकाल के तहत सीएम ही पीएम को विदा करने जाता है किंतु आप यही रहें। इसके बाद सीएम ने यशोधरा राजे को प्रधानमंत्री को एयरपोर्ट तक छोडऩे को कहा। बाद में जाने कहां से अचानक ताई सुमित्रा महाजन उनके पीछे आ गईं पीएम हवाई जहाज से उतरकर उनसे बात कर रहे थे इस बीच कैलाश विजयवर्गीय भी वहां पहुंच गए। जहां नरेंद्र मोदी ने उनसे 10 मिनट तक अकेले में क्या बात की यह तो पता नहीं, परंतु प्रधानमंत्री ने कैलाश विजयवर्गीय को इतनी तवज्जो दी है इसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।
उधर शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में मध्यप्रदेश की जिन खूबियों का जिक्र किया वे खूबियां निसंदेह मध्यप्रदेश में हैं, लेकिन निवेश और प्रोजेक्ट उतने क्यों नहीं आ पा रहे हैं यह चिंता का विषय हो सकता है। तीन दिन तक देश के शीर्ष उद्योगपतियों से लेकर मंझले और छोटे निवेशकों तक से बातचीत करके। संगोष्ठियों, चर्चाओं का आयोजन करके प्रदेश सरकार ने निवेश के प्रति अपनी गंभीरता दिखाई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके परिणाम सुखद ही होंगे। खासकर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां मध्यप्रदेश में निवेश आसानी से आ सकता है। जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा सहित गैर परंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अच्छा काम कर सकता है। सीमेंट उत्पादन में भी प्रदेश के पास आदर्श परिस्थितियां हैं, लेकिन इसके पर्यावरणीय प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। जेपी ग्रुप के जयप्रकाश गौड़ ने कह दिया है कि उनका समूह मध्यप्रदेश में 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा। जिसमें सीमेंट के अलावा मीडिया में भी निवेश किया जाएगा। एस्सेल ग्रुप के सुभाष चंद्रा पांच हजार करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं और पचास हजार रुपए के निवेश वे छह परियोजनाओं में करने वाले हैं। अंबानी बंधुओं ने भी निवेश में रुचि दिखाई है। कई देशी-विदेशी निवेशकों ने निवेश का आश्वासन दिया तो मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 6 लाख 89 करोड़ के निवेश की संभावना है। पहले यह आंकड़ा छह लाख 79 करोड़ रुपए का था। हालांकि बाद में सरकारी दस्तावेजों में कुल 5 लाख 89 हजार 313 करोड़ रुपए के निवेश का ब्यौरा दिया गया है। ब्यौरा बॉक्स में देखें।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में कई देशों के राजदूत भी बुलाए गए थे। ऐसा अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किया गया था। स्पेन के राजदूत गुस्ताव मेन्यूअल और स्वीडन के राजदूत हेराल्ट सेंडबर्ग ने विशेष रुचि दिखाई। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मेन्यूफेक्चरिंग विषय पर हुए सेक्टोरल सेमिनार में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भूपेन्द्र सिंह की उपस्थिति में ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माता प्रो. एएस पिल्लई ने डिफेन्स के विकास के लिए मध्यप्रदेश को एक उभरता हुआ क्षेत्र बताया।
मध्यप्रदेश सरकार ने निवेशकों को बताया कि उन्हें क्यों निवेश करना चाहिए। ये जिम्मेदारी मुख्य सचिव एंटोनी जे सी डिसा को दी गई थी उन्होंने विस्तृत ब्यौरा देते हुए कहा कि प्रदेश में जहाँ विकास दर और कृषि दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है वहीं विद्युत के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता और अच्छी सड़कों का जाल बिछाये जाने से उद्योगों के विकास और जरूरतमंद लोगों को रोजगार दिलवाने का कार्य बहुत आसान हो गया है। प्रदेश में विद्युत उत्पादन क्षमता में 14 हजार मेगावॉट की वृद्धि में 65 प्रतिशत पारम्परिक विद्युत उत्पादन के साथ ही 35 प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि हुई है। अगले 12 से 24 माह के मध्य नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में 5,500 मेगावॉट विद्युत उत्पादन प्रारंभ होगा। प्रदेश में डेढ़ लाख किलोमीटर श्रेष्ठ सड़कों में 5,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, 10 हजार किलोमीटर प्रांतीय राजमार्ग और 20 हजार किलोमीटर में मुख्य जिला मार्ग हैं। इसके अलावा ग्रामीण सड़कों का निर्माण भी हुआ है। भूमि की उपलब्धता और वैज्ञानिक भण्डारण की सुविधाएँ तेजी से बढ़ी हैं। मुख्य फसलों के अलावा उद्यानिकी और जैविक खेती में प्रदेश ने रकबा बढ़ाया है। उद्योगों को पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है।
सवाल यह है कि मध्यप्रदेश में उद्योगों को रोका किसने हैं। पिछली किसी भी सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि हमें उद्योग नहीं चाहिए। कांग्रेसी सरकारों से लेकर भाजपाई सरकारों तक उद्योगों का इस्तकबाल ही करते आई हैं, जितने वादे पिछले एक दशक में उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश से किए उनमें से एक चौथाई भी पूरे हो जाते तो प्रदेश की तकदीर ही बदल जाती।
जब से भाजपा सत्तासीन हुई है कई उद्योग समिट, मीट इत्यादि हुए हैं, मुख्यमंत्री ने भी कई देशों की यात्रा करके निवेश को आकर्षित करने का प्रयास किया है, लेकिन जमीन पर इस निवेश की हकीकत क्या है? कहां लगे हैं उद्योग? कहां हैं वे नौजवान जिनको रोजगार मिला है? कहां हैं वे ग्रामीण जिनका पलायन रुक गया है? कहां हैं वे बड़े उद्योगों के आसपास लगने वाले छोटे-छोटे उद्योग जो बड़े उद्योगों के लिए कई तरह का काम करते हैं? हर बार ऐसे इन्वेस्टर्स समिट में वे लोग ही आते हैं जो आश्वासन देकर बेवफाई करने के लिए मशहूर हैं। जिन लोगों ने पिछली बार आश्वासन दिया था और उसे पूरा नहीं किया, उन लोगों को फिर से क्यों बुलाया गया।
लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि आज तक इतने बड़े और इतनी अधिक संख्या में इन्वेस्टर्स समिट इत्यादि आयोजित करने वाले मध्यप्रदेश ने कभी इस बात पर शोध की है कि हमें किस तासीर के उद्योगों की जरूरत है? क्या प्रदेश के पास वह आंकड़ा है कि प्रदेश में कितने इंजीनियर्स, किस-किस विषय में योग्यता प्राप्त हैं? किस उद्योग के अनुरूप कितने तकनीशियन आदि हैं? क्या उद्योग विभाग यह बता सकता है कि प्रदेश में कितने युवा ऐसे हैं जो विभिन्न उद्योगों में खप सकते हैं? क्या कोई ऐसा आंकड़ा है जो योग्यता के आधार पर बेरोजगारों का वर्गीकरण कर सके? क्या मजदूरों की संख्या और उनमें कुशल-अकुशल मजदूरों का संपूर्ण डाटा उपलब्ध है?
पिछले एक दशक में उद्योगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जो सब्सिडी सरकार ने प्रदान की है, उसका सरकार को क्या लाभ हुआ और प्रदेश के युवाओं को क्या फायदा हुआ, इसका आंकड़ा उद्योग

विभाग या सरकार के पास है? यदि जमीन का एक टुकड़ा जिसका बाजार में भाव 100 रुपए है, वह किसी उद्योग को मात्र 1 रुपए में दिया गया है तो उससे क्या फायदा हुआ? क्या उसने उस जमीन का सदुपयोग किया, प्रदेश के लोगों को रोजगार मिला, उस जमीन पर लगने वाला उद्यम फल-फूल रहा है और वहां काम करने वालों को उचित वेतन और सुविधाएं मिल रही हैं, इसकी फिक्र कभी सरकार ने की है? यह फिक्र की जाना इसलिए जरूरी है कि जो लाखों-करोड़ रुपए की प्रत्यक्ष और परोक्ष सब्सिडी उद्यमों को दी जा रही है, यदि उसके ऐवज में प्रदेश के लोगों का कल्याण नहीं हो रहा है तो फिर उस सब्सिडी का औचित्य क्या है। पिछले एक दशक में 9 इन्वेस्टर्स समिट हो चुकी हैं। वर्ष 2007 से 2010 के बीच 2 बड़े आयोजन भी हुए। लगभग 150-200 कंपनियों ने प्रदेश को आश्वासन दिया कि वे निवेश करेंगे। कुछ निवेश अवश्य हुआ, लेकिन जो कुछ हुआ वह जो वादा किया गया उसका थोड़ा सा ही हिस्सा था। जब खजुराहों में इन्वेस्टर्स समिट हुआ था उसके बाद से लेकर पिछले चुनावी मौसम तक (2009) प्रदेश में 234 समझौतों पर बात एक सीमा तक आगे बढ़ी, लेकिन खास बात यह है कि जो 86 समझौते बाद में रद्द हो गए वे ही बड़े निवेश वाले थे। सफलता की दर 73 प्रतिशत होने के बावजूद हाथ कुछ नहीं लगा। क्योंकि कंपनियों ने केवल निवेश किया, नए प्रोजेक्ट शुरू नहीं किए। मिसाल के तौर पर हाल ही में इंदौर समिट में आए, टाटा समूह के सायरस मिस्त्री ने कहा कि वे देवास में पहले से ही स्थापित लैदर फैक्ट्री का विस्तार करेंगे। इसे निवेश कहा जाएगा, लेकिन नई इकाई के विषय में कुछ नहीं कहा गया। यही कारण है कि अभी तक प्रदेश में केवल 12 प्रोजेक्ट ही शुरू हो सके हैं। अर्थात् प्रति इन्वेस्टर्स समिट कुल 1.25 प्रतिशत सफलता।
किंतु फिर भी यदि मुख्यमंत्री ने एक बड़े निवेश का वादा किया है तो उसके परिणामों की प्रतीक्षा की ही जानी चाहिए। इतने बड़े आयोजन का मकसद यदि आधा भी सफल हो जाता है तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुखद बदलाव होंगे। लेकिन हमें कुछ दुखदायी आंकड़ों को भी नियंत्रित करने की कोशिश करनी पड़ेगी। फिर चाहे वह उच्च जच्चा बच्चा मृत्युदर हो, स्वास्थ्य की लचर सेवाएं हों, शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति न हुई हो, ग्रामीण अर्थव्यवस्था पिछड़े हालात में हो या अपराधों का बोलबाला हो। निवेशक तो तभी आएंगे जब वे अच्छा माहौल देखेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिशा में प्रयास भी प्रारंभ कर दिए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में आगे की प्रगति के विषय में बताया है। वे अन्य उद्योगपतियों को भी इस विषय में पत्र लिख रहे हैं।
उपलब्धियां एवं भविष्य की नीति
सहभागिता
एमएसएमई सम्मेलन - 2100 डेलीगेट्स
जीआईएस - 5000 डेलीगेट्स
कुल - 7100 डेलीगेट्स
200+ शीर्ष उद्योगपति
107 उद्योग संगठन व पीएसयू के प्रतिनिधि
32 सहभागी देश
9 पार्टनर देश
28 राजदूत तथा उच्चायुक्त
किसने क्या आश्वासन दिया
मुकेश अंबानी ने रिलायंस समूह द्वारा आगामी डेढ़ वर्ष में 20 हजार करोड़ रूपये का निवेश करने का वायदा किया।
रिलायंस ए.डी.ए. समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा कि उनका समूह कोल, पावर, सीमेंट तथा टेलीकॉम में सन 2020 तक 30 हजार करोड़ रूपये का और निवेश करेगा।
लार्सन ट्रूब्रो (एल.एन.टी.) समूह के चेयरमेन ए.एम. नायर ने मध्यप्रदेश में कौशल विकास केन्द्र सहित रक्षा उत्पाद में निवेश की मंशा व्यक्त की।
टाटा समूह के चेयरमेन श्री सायरस मिस्त्री ने कहा कि टाटा कंसलटेंसी सर्विस इंदौर में 10 हजार युवा को रोजगार देगी। उन्होंने देवास में स्थापित टाटा इंटरनेशनल के विस्तार सहित विदिशा में फूड पेकेजिंग, देवास में स्किल ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने, जबलपुर तथा उज्जैन में प्रस्तावित बीआरटीएस में सहयोग देने की बात की।
गौतम अडानी ने कहा कि उनका समूह आगामी पाँच वर्ष में प्रदेश में 20 हजार करोड़ का निवेश करेगा।
एस्सार समूह के चेयरमेन शशि रूइया ने ऊर्जा, स्टील, बीपीओ तथा कोलबेंड में 4000 करोड़ रूपये का निवेश करने की जानकारी दी।
वेलस्पन समूह की सिंदूर मित्तल ने कहा कि नवकरणीय ऊर्जा में समूह आगामी दिनों में 5000 करोड़ का निवेश करेगा।
आस्ट्रेलिया से आये जे.एन.एस. समूह के जान स्टोन ने निवेश का माहौल तैयार करने के लिये प्रदेश सरकार की सराहना की।
फ्यूचर समूह के चेयरमेन किशोर बियानी ने मध्यप्रदेश में फूड पार्क स्थापित कर 10,000 युवाओं को रोजगार देने का वायदा किया।
पर्यावरण की चिंता : सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट सिस्टम पर अमल
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पहली बार पर्यावरण की चिंता देखी गई और नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त संजय शुक्ला ने निवेशकों को जानकारी दी कि मध्यप्रदेश के 377 शहरी नगरीय निकायों के लिए इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट सिस्टम स्थापित कर अमल किया जायगा। नगरीय निकायों को 25-26 क्लस्टर में विभाजित कर सिस्टम का क्रियान्वयन होगा। यह परियोजना निजी-जन भागीदारी (क्कक्कक्क) मोड पर संचालित होगी। परियोजना लागत का 70 प्रतिशत राज्य शासन और 30 प्रतिशत निजी क्षेत्र द्वारा राशि वहन किया जायेगा। नगर परिषद नामली, सैलाना, गौतमपुरा, राजगढ़ (धार) और महेश्वर कचरामुक्त शहर घोषित हो चुके हैं। जन-भागीदारी से संचालित कार्यक्रम में चित्रकूट नगर पालिका भी इसमें शामिल है। कार्यक्रम में घर-घर से कचरे का संग्रहण, परिवहन, प्रोसेसिंग, आईईसी गतिविधियाँ और निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका दिखी है। इन्दौर नगर निगम ने भी पीपीपी मोड के जरिये ए टू जेड गुडगाँव प्रा.लि. के साथ इस दिशा में कार्य किया है। ग्वालियर नगर निगम भी निजी क्षेत्र की भागीदारी से कार्य कर रहा है। मध्यप्रदेश सरकार ने विजन 2018 में सभी शहरी-नगरीय निकायों में सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट को अमल में लाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सभी शहरों में घर-घर से कचरा एकत्रित कर उसका डिस्पोजल करवाया जायेगा। क्लस्टर आधारित प्रोजेक्ट में प्रत्येक 50-80 किलोमीटर परिधि के निकायों का एक क्लस्टर रहेगा, उसमें छोटे निकाय भी शामिल रहेंगे।
निवेश की मंशा
3162 - रु. 4.37 लाख करोड़ (वेब के माध्यम से पंजीकृत)
12 - रु. 1.52 लाख करोड़ (समिट के दौरान घोषणाएं)
कुल - 3176 निवेश
रु. 5.89 लाख करोड़
निवेश की संभावना - विभागवार
विभाग संख्या प्रस्तावित पूंजी निवेश
(रुपए करोड़ में)
विमानन विभाग 4 431
बायो डायवरसिटी एवं बायोटेक्रालॉजी 21 154
आयुष विभाग 1 150
उद्योग तथा विनिर्माण 1398 126016
उच्च शिक्षा 10 1830
सूचना प्रौद्योगिकी 77 44435
नगरीय विकास 199 65482
वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स 22 996
ऊर्जा विभाग 39 93375
चिकित्सा शिक्षा विभाग 48 13960
गैर परम्परागत ऊर्जा 189 94193
स्वास्थ्य सेवाएं 47 16457
स्कूल शिक्षा विभाग 4 122
तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास 23 4351
पर्यटन 59 6270
वन विभाग (ईको टूरिज्म तथा वन विकास निगम) 7 768
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण 726 36462
खनिज साधन विभाग 180 47260
मध्यप्रदेश रोड डेव्हेलपमेंट कार्पो. लि. 25 19190
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी 40 11054
लोक निर्माण विभाग 56 6355
स्कूल शिक्षा विभाग 4 122
तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास 23 4351
पर्यटन 59 6270
कुल योग 3176 589313
-Sunil Singh