04-Oct-2014 06:47 AM
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यह तमाचा है उन लोगों के चेहरे पर जो जिले और मोहल्लों को देश बनाने पर तुले हुए हैं। यह तमाचा है भारत जैसे राष्ट्रों की अखंडता को चुनौती देने वालों के मुंह पर भी। 1707 तक एक स्वतंत्र देश

रहने वाले स्कॉटलैंड ने अंतत: ब्रिटेन के साथ रहने का फैसला कर लिया है और प्रथक राष्ट्र की मांग करने वाले प्रथकता वादियों के मनसूबों को नाकाम कर दिया है। उल्लेखनीय यह है कि ब्रिटेन ने कभी बल पूर्वक स्कॉटलैंड को हथियाया था लेकिन आज उसी स्कॉटलैंड के निवासियों ने अपनी उदारता का परिचय देते हुए मौजूदा व्यवस्था को ही स्वीकार लिया है। इससे यह ज्ञात होता है कि स्कॉटलैंड में स्वतंत्रता की मांग करने वालोंं का आंदोलन कितना खोखला और अवास्तविक था। बहरहाल यह खूबसूरत देश अब वैधानिक रूप से ग्रेट ब्रिटेन का हिस्सा होगा तथा उत्तरी आयरलैंड, वेल्स सहित तमाम क्षेत्रों में उठ रही अलगाव की आवाजों को भी शांत करेगा। इससे सारी दुनिया में देशों को बांटने की साजिश कर रहे उन साजिशकर्ताओं को भी सबक मिलेगा जो अलगाव से आतंकवाद की राह पर चल पड़े हैं।
ब्रिटेन और स्कॉटलैंड के बीच भाषा का कोई झगड़ा नहीं था। स्कॉटलैंड की अपनी संसद थी। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में स्कॉटलैंड को स्वायत्त अधिकार था। इसी राह पर वेल्स और उत्तरी आयरलैंड भी चलते तो वह ब्रिटेन, जहां कभी सूरज नहीं डूबता था, इंग्लैंड में ही सिमट कर रह जाता। दुनिया में बहुत सी जगह ऐसा ही हो रहा है। जिन नेताओं को अपनी अलग राजधानी, अलग सेना, अलग विमान से लेकर तमाम सुविधाएं चाहिए और शासन का रौब रुतबा चाहिए वे निजी स्वार्थों के लिए कुछ लोगों को लेकर अलगाववादी आंदोलन चला देते हंै। जैसे कश्मीर में सुन्नियों के एक छोटे से समूह ने आजादी के नाम पर आतंक फैला रखा है और जन्नत को जहन्नुम बना दिया है। लेकिन जनता जागरूक हो रही है। वह चंद लोगों के सत्ता सुख के लिए देश को नहीं तोडऩा चाहती।
किसने किया वोट?
स्कॉटलैंड में 42 लाख लोग वोट के लिए रजिस्टर्ड किए गए थे, जिन्होंने यह फैसला किया कि उन्हें ब्रिटेन के साथ बने रहना है या नहीं। इसके लिए पूरे स्कॉटलैंड में यस और नो कैम्पेन चलाया जा रहा था। अलगाव वादियों का कहना था कि पूरा स्कॉटलैंड एकजुट हो चुका था। लेकिन अलगाव वादियों के इस दावे की हवा जनता ने निकाल दी। यह सच है कि 1707 तक स्कॉटलैंड एक स्वतंत्र देश था। लेकिन इसके बाद इंग्लैंड ने इस पर आधिपत्य जमा कर ग्रेट ब्रिटेन में मिला लिया। इसी तरह से नॉर्दर्न आयरलैंड भी इंग्लैंड में मिलाया गया था। लेकिन अब भौगोलिक रूप से देश को और छोटा करके अपनी ताकत कम करने का इरादा स्कॉटलैंड ने त्याग दिया। यह एक अभूतपूर्व निर्णय है।
कौन थे आजादी कैम्पेन के पीछे
नेशनल स्कॉटिश पार्टी के नेता और स्कॉटलैंड के पहले मंत्री एलेक्स सेल्मंड पूरे स्कॉटलैंड में यस कैम्पेन चला रहे थे। वे स्कॉटिश आजादी के सबसे पहले समर्थकों में से एक थे। लेकिन जनता ने उन्हें आईना दिखा दिया कि वे अलग देश और अलग सत्ता के सपने न देखें। हारने के बाद उतरे मुंह से उन्होंने कहा कि अब स्कॉटलैंड के इतिहास को नए सिरे से बनाने की जरूरत है। सेल्मंड को एक बार उन्हीं की पार्टी से निलंबित किया जा चुका था। राजनेता से पहले वे इकोनॉमिस्ट के रूप में काम कर चुके थे। ब्रिटिश पीएम ने लोगों से अपील की थी कि ज्यादा अधिकार और पैसे देंगे, हमें मत छोड़ो। ब्रिटिश प्रधानमंत्री की यह अपील स्कॉटलैंड के लोगों के दिल को छू गई। मतदान के कुछ दिन पूर्व ब्रिटेन के तीन बड़े नेता एबर्डीन में थे। ये हैं डेविड कैमरन, उपप्रधानमंत्री निक क्लैग और विपक्ष के नेता एड मिलिबैंड। ये ऐसे मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे, जिन्होंने अभी तक अपना मन नहीं बनाया था। उन्होंने कहा था कि, वे दिल, दिमाग और मन से एक रहना चाहते हैं। स्कॉटिश नेता अलेक्स सैल्मंड की आजादी की मांग पर कैमरन ने टिप्पणी करते हुए कहा, स्थाई और अस्थाई को गड्डमड्ड मत कीजिए। फिर चेतावनी भी दी थी, अलगाव दर्द भरे तलाक की तरह होगा। ये सारी कोशिशें रंग लाई।
ब्रिटेन की आखिरी कोशिश थी तीन गारंटी
ब्रिटेन ने तीन गारंटियां दी थीं जिनका ज्यादा असर हुआ।
गारंटी 1- स्कॉटिश संसद को नए अधिकार देंगे।
स्कॉटिश संसद को 19 सितंबर के बाद से ज्यादा अधिकार देकर मजबूत करेंगे। 2015 में कानून बना देंगे।
स्कॉटिश संसद को ब्रिटिश संविधान का स्थायी हिस्सा बना देंगे।
गारंटी 2- स्कॉटलैंड को निष्पक्ष न्याय की गारंटी।
सुरक्षा और संसाधनों के उपयोग तथा रक्षा, समृद्धि में बराबरी के अधिकार की गारंटी।
यूके पेंशन और हेल्थकेयर फंडिंग से हर व्यक्ति के आर्थिक कल्याण की गारंटी।
गारंटी 3- अगर स्कॉटिश लोग चाहें तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) पर ज्यादा खर्च का अधिकार।
बार्नेट एलोकेशन जारी रखने का अधिकार, जरूरत के मुताबिक ज्यादा फंड उगाहने का अधिकार, खर्च करने का अंतिम अधिकार स्कॉटलैंड को देने की गारंटी।
स्वास्थ्य पर खर्च करने का अंतिम अधिकार स्कॉटिश संसद को देने की गारंटी।
-Dharmendra Kathuria