17-Sep-2014 06:44 AM
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देश का मौलि मुकुट कश्मीर मूसलाधार बारिश से तबाह हो चुका है। लगातार छ: दिन तक तेज पानी गिरा और उसके बाद तीन-चार दिन रुक-रुक कर बारिश होती रही। जो इलाके निचले थे वे

जलप्लावित हो गए, जो ढलान पर थे वहां के घरों को पहाड़ी मिट्टी बहा कर ले गई। जो ऊंचाई पर थे उन घरों की नींव पानी ने खोखली कर दी। हर तरफ पानी ही पानी और पानी में बहते-डूबते, बचने की कोशिश करते लोग। प्रशंसा करनी होगी देश की सेना की जिसने कश्मीर के बेटों, वृद्धों, महिलाओं और बच्चों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। दिन-रात हमारे जांबाज सैनिक उन लोगों को बचाते रहे जिनका सर्वस्व इस बारिश ने छीन लिया। कश्मीर में 60 वर्ष के बाद ऐसी भयानक बारिश देखने को मिली। 60 वर्ष पहले भी ऐसा ही भयानक मंजर देखने में आया था जब बारिश ने कश्मीर की वादियों को लबरेज कर दिया था। किंतु उस वक्त कश्मीर की जनसंख्या इतनी नहीं थी लिहाजा वहां तबाही नहीं मची। पर अब बदलते वक्त के साथ जनसंख्या बढऩे के कारण लोग उन इलाकों में भी रहने चले गए जो पहाड़ी ढलानों पर या निचले स्थानों पर थे इसलिए बाढ़ के रास्ते में जो भी आया वह बह गया। लगभग 300 जानें गईं। हजारों बेघर हो गए। झेलम, चिनाव, तवी, मुनावर, पुलस्तर जैसी नदियां भयानक बहाव से बहने लगीं। कई पुल टूट गए। कई सड़कें बह गईं।
देश का संपर्क जम्मू कश्मीर से टूट गया। बारिश इतनी भयानक थी कि बिजली, मोबाईल और इंटरनेट सेवा ठप्प हो गई। केंद्र ने राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की 6 टीमों को भेजा, सेना ने हैलिकाप्टरों को राहत कार्यों में लगाया। कई मकान ध्वस्त हो गए। भूस्खलन ने रातों रात चैन की नींद सोते लोगों को अपने आगोश में ले लिया। कई लोग बहकर पाकिस्तान में भी पहुंच गए जिनके जीवत या मृत होने की कोई खबर नहीं है। स्थिति बहुृत नाजुक है। बारिश के बाद अब पीने के पानी और राहत, बचाव कार्य की चिंता है। पानी धीरे-धीरे उतर रहा है। 2500 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं। जिनमें से साढ़े चार सौ पानी में डूब चुके हैं। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री राजनाथ सिंह का दौरा हो चुका है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तो कहा कि ऐसी तबाही उन्होंने कश्मीर में इससे पहले कभी नहीं देखी। वैष्णो देवी के 35 हजार श्रद्धालु भी फंस गए थे। बाद में उन्हें सुरक्षित निकाला गया। जम्मू को बाकी देश से जोडऩे वाले पांचों पुल खतरे में हैं क्योंकि उनके आस-पास की मिट्टी बह गई है। इन पुलों की तुरन्त मरम्मत जरूरी है। लेकिन यह तभी संभव है जब कुछ दिनों तक बारिश थमी रहे। पुलवामा में तो बचाव कार्य में लगे सेना के नौजवान ही वोट से बह गए जिनका कुछ पता नहीं लगा। पुंछ, श्रीनगर, राजौरी, बारामुला में लाशें मिलने का सिलसिला जारी है। झेलम कई बार खतरे के निशान से ऊपर जा चुकी है। जम्मू से कटरा ट्रैन रूट को बंद करना पड़ा था। कई जगह रेल की पटरियों को भी नुकसान पहुंचा है। बहुत सी टनल में पानी आने की बात कही जा रही है। वैष्णो देवी यात्रा में तो पहाड़ से पत्थर गिरने लगे थे जिसके चलते यात्रा को रोकना पड़ा। कई श्रद्धालु माता का दर्शन किए बगैर ही वापस लौट आए। गनीमत यह है कि कोई बांध नहीं टूटा। अब राजनीतिज्ञ इस बाढ़ पर अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से राज्य आपदा फंड का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है, जिसमें 90 फीसदी योगदान केंद्र सरकार का होता है। उन्होंने बताया कि इस आपदा के समय केंद्र सरकार राज्य के साथ है। राज्य सरकार को हरसंभव सहायता दी जाएगी। वहीं राज्यसभा में प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर कहा है कि लोगों के जानमाल के नुकसान को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री को उत्तराखंड की त्रासदी की तर्ज पर लोगों को बाढग़्रस्त क्षेत्रों से बाहर निकालने के लिए सेना और वायु सेना की सेवा देने की भी मांग की है। गुलाम नबी आजाद के मुताबिक प्रधानमंत्री ने उन्हें राज्य को इस आपदा से उबारने के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। गुलाम नबी आजाद ने जम्मू और कश्मीर के बाढग़्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद श्रीनगर से प्रधानमंत्री से बात की है। आजाद ने प्रधानमंत्री से कहा है कि जम्मू कश्मीर के लगभग सभी इलाकों में बाढ़ से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। कठुआ से लेह तक तबाही का मंजर है। अब इस त्रासदी से निपटना राज्य सरकार के बूते की बात नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्य सरकार को तुरंत फंड देने की मांग की। ताकि तुरंत राहत कार्य किया जाए।