03-Oct-2014 11:47 AM
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सारदा चिट फंड मामला अब बंगाल की सीमाओं में कैद होकर नहीं रह गया है, बल्कि यह पूर्वोत्तर के राज्यों का घोटाला बनता जा रहा है। असम के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शंकर प्रसाद रुआ ने इस

घोटाले में नाम आने के बाद स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनके घर पर छापा मारा गया था। इसके बाद सीबीआई ने पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम की धर्मपत्नी नलिनी चिदम्बरम से भी पूछताछ की। पेशे से वकील नलिनी को कानूनी सलाह के एवज में एक करोड़ रुपए की फीस दी गई थी। सारदा समूह पूर्वोत्तर में 42 करोड़ रुपए की लागत से एक टीवी चैनल खरीदना चाहता था। समूह ने नलिनी चिदम्बरम से पूछा कि खरीदें अथवा नहीं। नलिनी चिदम्बरम ने 42 करोड़ रुपए निवेश न करने की सलाह दी और उन्हें फीस के रूप में सारदा समूह ने गरीब निवेशकों की गाढ़ी कमाई में से एक करोड़ रुपए दे दिए जिसे प्रख्यात वकील नलिनी चिदम्बरम ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
इससे सिद्ध होता है कि गरीबों ने अपना खून-पसीना बहाकर, अपने बच्चों का पेट काटकर, कठिनाई भरे दिन बिताकर, दिन-रात मेहनत करके और भूखे रहकर जो पैसा इक_ा किया उसे सारदा समूह के बड़े अधिकारी राजनीतिज्ञों की सांठ-गांठ से मजे लेकर उड़ाते रहे और केंद्र तथा बंगाल की सरकार सोई रही। गरीबों के प्रति असंवेदनशीलता और करुणाहीनता का यह निकृष्टतम उदाहरण कहा जा सकता है। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि चिटफंड घोटाले के लाभान्वितों में वे लोग भी शामिल हैं जो पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से ताल्लुक रखते हैं। इस घोटाले में उड़ीसा के पूर्व महाधिवक्ता अशोक मोहंती की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी यह स्पष्ट दर्शा रही है कि घोटाले के तार दूर-दूर तक पहुंच रहे हैं और गरीबों का खून-पसीने का पैसा लूटने में सभी लोग शामिल हैं। बताया जाता है कि उड़ीसा में ही 40 के लगभग राजनीतिज्ञ जिनमें सांसद, विधायक और मंत्री शामिल हैं इस घोटाले से जुड़े हुए हैं। सीबीआई इन सब की जांच कर रही है। मोहंती ने कटक मेंं प्रदीप नामक एक व्यक्ति से संपत्ति खरीदी थी जो अर्थतत्व नामक कंपनी का प्रमुख है। यह कंपनी सबसे बड़ी घोटालेबाज कंपनी है। प्रदीप की गिरफ्तारी हो चुकी है। पहले यह जमीन किसी न्यायाधीश के पास थी जिसे प्रदीप ने खरीदा और मोहंती को 2013 में हस्तांतरित कर दी। मोहंंती का कहना है कि उन्होंने इस जमीन की कीमत चुकाई है लेकिन सीबीआई का आरोप है कि पैसे के लेनदेन का कोई सबूत नहीं है। सीबीआई उड़ीसा मेें ही ऐसी 43 फर्मों की जांच कर रही है जो राज्य में चिटफंड स्कीम चला रही थीं जिनमें लाखों निवेशकों का पैसा अटका हुआ है जिन्हें भारी ब्याज का लालच देकर इन कंपनियों ने ठगा है। इन्हीं में से एक नब दिगंत कैपिटल सर्विस लिमिटेड के संस्थापक निदेशक बीजू जनता दल के सांसद रामचंद्र हैं। इस कंपनी की भी जांच चल रही है। इस वर्ष 31 अगस्त को रामचंद्र के मयूरभंज स्थित आवास से 28 लाख रुपए बरामद किए गए हैं। भुवनेश्वर में भी नवीन पटनायक के एक निकट व्यक्ति पर्वत त्रिपाठी की चिटफंड मामले में भागीदारी बताई जा रही है। असम में भी इस घोटाले के तार फैले हुए हैं। सीबीआई ने असमी गायक सदानंद गोगोई को गिरफ्तार किया था, गोगोई सारदा समूह के लिए विज्ञापन बनाते थे। असम में भी कई लोगों से पूछताछ की गई है, इसके अलावा कुछ की गिरफ्तारी भी की गई है।
ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब के अधिकारी देबब्रत सरकार, शहर के कारोबारी संधीर अग्रवाल, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी रजत मजूमदार और अब गोगोई शामिल हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस के विशेष जांच दल ने तृणमूल कांग्रेस से निलंबित सांसद कुणाल घोष को बीते साल गिरफ्तार किया था। इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तृणमूल के एक मंत्री, कई सांसद और पार्टी के एक कद्दावर नेता के एक नजदीकी सहयोगी से पूछताछ की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया था। आरोप है कि चिटफंड का काला धंधा चलाने के लिए सारधा समूह ने आरबीआई के कुछ अधिकारियों को बतौर घूस प्रतिमाह मोटी रकम दी थी। समूह ईस्ट बंगाल क्लब के पदाधिकारी देवाशीष सरकार और कोलकाता के दो व्यवसायी सज्जन अग्रवाल और संधीर अग्रवाल (पिता-पुत्र) के माध्यम से पैसे भिजवाता था। ईडी और सीबीआई के समक्ष सारधा समूह के चेयरमैन सुदीप्त सेन और देवाशीष दोनों ने यह बात स्वीकार की है। देवाशीष के घर की तलाशी में सीबीआई को इस सम्बन्ध में कुछ कागजात भी मिले हैं। ईडी सूत्रों के अनुसार न केवल आरबीआई, बल्कि सेबी के कुछ अधिकारियों पर भी अंगुली उठी है। डीजीपी शंकर प्रसाद की आत्महत्या कई सवाल खड़े कर रही है। वे कौन सी परिस्थितियां थी जिनके चलते उन्हें ऐसा खतरनाक कदम उठाना पड़ा? क्या उन पर कोई मानसिक दबाव था?
-shayam sing sikarwar