03-Oct-2014 11:43 AM
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बिहार के सुशील मोदी का दर्द आखिर सामने आ ही गया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में बोल दिया कि योगी आदित्यनाथ भाजपा के चेहरे नहीं हैं और योगी आदित्यनाथ स्टाइल की राजनीति बिहार में नहीं

चलने वाली है। जाहिर सी बात है बिहार में मुद्दे दूसरे होते हैं और लव जिहाद जैसे मुद्दे उल्टे भी पड़ सकते हैं। कभी इसी डर से भाजपा ने लगभग एक दशक तक नरेंद्र मोदी को बिहार में घुसने नहीं दिया था। इस बार भी मोदी बिहार में जब गए तो उनके हाथों में विकास का एजेंडा था। मोदी ने अपने भाषणों के दौरान कभी भी किसी सांप्रदायिक एजेंडे को हवा नहीं दी। आज बिहार के मोदी भी इसे लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि बिहार में विपक्ष की संयुक्त शक्ति किसी भी सांप्रदायिक एजेंडे के मुकाबले न केवल अधिक ताकतवर सिद्ध होगी बल्कि इसका उल्टा असर भी पड़ सकता है। यही कारण है कि आदित्यनाथ के विरोध में बोलने के बाद मोदी ने बाद में सतर्कता पूर्वक अपने बयान पर सफाई भी दी। उधर गिरिराज सिंह ने आदित्यनाथ का समर्थन कर दिया।
लव जिहाद जैसे ध्रुवीकरण का आइडिया फेल होने के बाद बीजेपी में बहस शुरू हो गई है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को फ्रंट पर रखा था। लेकिन जिहाद मॉडल नाकाम होने के बाद बीजेपी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। सुशील मोदी ने कहा कि बीजेपी दो धर्मों के बीच होने वाली उन शादियों का विरोध करती है जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन, इमोशनल ब्लैकमेल जैसी हरकतें होती हैं। उन्होंने कहा कि सांगठनिक रूप से कराई जा रही अंतर्धामिक शादियों का भी हम कड़ा विरोध करते हैं। सुशील मोदी ने कहा कि देश के कई राज्यों में ऐसी हरकतें हो रही हैं। इसमें केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में आसानी से देखा जा सकता है। मोदी ने कहा, मैं लव जिहाद जैसे टर्म के उपयोग के पक्ष में नहीं हूं।
जाहिर है सुशील मोदी बिहार की राजनीति को पार्टी के अन्य राज्यों की राजनीतिक लाइन से अलग रखना चाहते हैं। बीजेपी बिहार यूनिट पार्टी की आक्रामक लाइन के मुकाबले अपनी उदार छवि को आगे रखना चाहती है। बीजेपी बिहार इस बात को समझती है कि यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति उत्तरप्रदेश की तरफ फिट नहीं बैठ सकती। नीतीश बिहार की राजनीति में सेक्युलरिजम को आधार बनाकर अपने एजेंडों को आगे बढ़ा रहे हैं। बिहार सरकार अंतर्जातीय और अंतर्धामिक विवाह करने वाले जोड़ों को 50,000 की रकम इनाम देती है। सुशील मोदी बिहार में नीतीश की इस रणनीति को बखूबी समझते हैं। बीजेपी के अंदर भी सांप्रदायिकता के बजाय विकास और तरक्की को एजेंडा बनाने के लिए आवाज उठ रही है। सुशील मोदी ने कहा कि हालांकि बिहार में बीजेपी को मुसलमान शायद वोट नहीं करते हैं लेकिन कोई नहीं कह सकता है कि बिहार बीजेपी मुस्लिम विरोधी है। बिहार में मुस्लिम बीजेपी से नफरत नहीं करते हैं। हमने आज तक कोई ऐसा मुद्दा नहीं उठाया जिसे सांप्रदायिक खांचे में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार बीजेपी विकास, तरक्की और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर चुनाव में उतरेगी।
सुशील मोदी ने कहा कि मैं 15 सालों से बिहार में इफ्तार का आयोजन कर रहा हूं। मेरी इफ्तार पार्टी किसी से कम नहीं होती है। हाल ही में बिहार में सीतामढ़ी जिले के रामपुर खुर्द गांव में दलित महिला यशोदा देवी पर कथित रूप से जबरन धर्म परिवर्तन कराने के दबाव को लेकर सुशील मोदी ने गांव में बीजेपी की एक टीम भेजी थी। इस महिला का पति हिन्दू से मुसलमान बन गया था और वह अपनी पत्नी पर भी इस्लाम कबूल करने का दबाव बना रहा था। इस मुद्दे पर सुशील मोदी ने कहा, मैंने इसे परखने के लिए पार्टी की एक टीम भेजी थी। साफ है कि यहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था। मैंने इस मसले को अपने तरीके से हैंडल किया। इसे हिन्दू बनाम मुसलमान नहीं बनाया। मैंने इस मुद्दे को महिला के साथ नाइंसाफी के रूप में डील किया क्योंकि कानून जबरन मजहब परिवर्तन की अनुमति नहीं देता है। बिहार में संपन्न हुए उपचुनाव में भाजपा ने दो मुस्लिमों को टिकट दिया था। दोनों को 30 हजार से ज्यादा वोट मिले। हाल में तीन और प्रभावी मुस्लिम नेता ने बीजेपी में शामिल हुए हैं। इनमें नीतीश कैबिनेट में आबकारी मंत्री रहे जमशेद अशरफ, पूर्व विधायक अखलाक अहमद और बेगूसराय से पूर्व जेडी (यू) सांसद मोनाजिर हसन हैं।
-R.M.P. Singh